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चरखीदादरी में सरकारी स्कूल बना तालाब, टूटी-फूटी छत के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं मासूम

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Published : Sep 30, 2022, 8:54 AM IST

चरखीदादरी के नीमड़ी गांव में एक स्कूल ऐसा भी है जहां रोज छात्रों की जान का खतरा रहता है. मामला नीमड़ी गांव के राजकीय माध्यमिक स्कूल का है. जहां स्कूल की इमारतें पूरी तरह से बदहाली का शिकार हो चुकी (Government secondary school building dilapidated) हैं. स्कूल में बने कमरों की छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. छत कब गिर जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है

Dilapidated school building In Charkhi Dadri
चरखीदादरी में सरकारी स्कूल बना तालाब, टूटी-फूटी छत के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं मासूम

चरखी दादरी: शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. हरियाणा शिक्षा विभाग (Haryana Education Department) द्वारा स्कूलों की देखरेख पर हर साल करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया जाता है. बावजूद इसके सरकारी स्कूलों की स्थिति दयनीय बनी हुई है. अधिकारियों की अनदेखी और लापरवाही की वजह से नीमड़ी गांव में स्थित राजकीय माध्यमिक स्कूल में पानी भरा हुआ है. स्कूल की छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. कमरों में प्लास्टर गिरने लग गया है. कमरे के बीम एक ओर झुक गए हैं. इसकी वजह से यहां पर बच्चों के लिए खतरा पैदा हो गया है.

गांव के लोगों का कहना है कि राजकीय माध्यमिक स्कूल चरखीदादरी (Government Secondary School Charkidadri) में बरसात के दिनों उखड़ी फर्श और सीलन भरी दीवारों के बीच छात्रों को बैठना पड़ रहा है. उनका कहना है कि सालों पहले इस स्कूल के भवन का निर्माण करवाया गया था, इसके बाद से आज तक इस भवन की मरम्मत नहीं की गई. इस वजह से अब भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. भवन की हालात इतनी खस्ता हो चुकी है कि बरसाती दिनों में स्कूल के कमरे तालाब में बन जाते हैं. बरसात के दिनों में स्कूल की पढ़ाई व्यवस्था भगवान भरोसे रहती है.

वहीं जब स्कूल जर्जर स्कूल भवन को लेकर छात्रों से बात की गई तो बच्चों ने सहम कर जबाब दिया डर तो बहुत लगता है. लेकिन, क्या करें बहुत सारे बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं. सब इसी बिल्डिंग और छत के नीचे पढ़ते हैं. छात्र छात्राओं का कहना है कि वह जब कमरों के अंदर बैठकर पढ़ाई करते हैं तो उनको यह डर लगा रहता है कि कहीं छत टूट कर उनके ऊपर नहीं गिर पड़े. अध्यापक जब उनको पढ़ाते हैं तो उनको आधा ध्यान छत की तरफ रहता है और आधा ध्यान पढ़ाई पर रहता है . बता दें कि पिछले दिनों लगातार हुई बारिश के कारण स्कूल के कमरों में जलभराव (Waterlogging in school rooms) हो गया है. हालांकि स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों को दूसरी बिल्डिंग में शिफ्ट किया. इस बिल्डिंग में भी लगातार प्लास्टर झड़ रहा है.

अभिभावकों ने इस मामले में सरकार व प्रशासन से संज्ञान लेते हुए समाधान की मांग उठाई है. वहीं छात्रों ने भी कहा कि उन्हें भय के साये में पढ़ाई करनी पड़ रही है. क्या पता कब बड़ा हादसा हो जाए. अभिभावक रविंद्र चहल ने बताया कि बारिश के कारण स्कूल के कमरों की दीवारों में दरार आ गई है. अब बरसात का पानी सीधा कमरे में आता है. बरसात वाले दिनों में अक्सर अपने बच्चों की चिंता लगी रहती है कि कहीं कोई हादसा ना हो जाय.

स्कूल अध्यापक विनोद कुमार ने बताया कि स्कूल के हालात बुरे हैं. मजबूरी में बच्चों को दूसरों कमरों में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. इन कमरों के प्लास्टर भी झड़ रहे हैं, अगर प्रशासन व सरकार ने संज्ञान नहीं लिया तो बड़ा हादसा हो सकता है.

क्या कहते हैं शिक्षा अधिकारी- जिला शिक्षा अधिकारी कृष्णा फोगाट ने बताया कि राजकीय माध्यमिक स्कूल चरखीदादरी की बिल्डिंग जर्जर है, जिसे कंडम करवाने बारे कार्रवाई की जा रही है. स्कूल के कमरों में पानी भरने की जानकारी मिली है, मैं स्वंय मौका निरीक्षण करते हुए उच्चाधिकारियों को अवगत करवाउंगी. वहीं स्कूल प्रबंधन को कमरों में पानी भरने व प्लास्टर झड़ने के कारण सेफ बिल्डिंग में कक्षाएं चलाने के निर्देश दिए हैं.

चरखी दादरी: शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. हरियाणा शिक्षा विभाग (Haryana Education Department) द्वारा स्कूलों की देखरेख पर हर साल करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया जाता है. बावजूद इसके सरकारी स्कूलों की स्थिति दयनीय बनी हुई है. अधिकारियों की अनदेखी और लापरवाही की वजह से नीमड़ी गांव में स्थित राजकीय माध्यमिक स्कूल में पानी भरा हुआ है. स्कूल की छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. कमरों में प्लास्टर गिरने लग गया है. कमरे के बीम एक ओर झुक गए हैं. इसकी वजह से यहां पर बच्चों के लिए खतरा पैदा हो गया है.

गांव के लोगों का कहना है कि राजकीय माध्यमिक स्कूल चरखीदादरी (Government Secondary School Charkidadri) में बरसात के दिनों उखड़ी फर्श और सीलन भरी दीवारों के बीच छात्रों को बैठना पड़ रहा है. उनका कहना है कि सालों पहले इस स्कूल के भवन का निर्माण करवाया गया था, इसके बाद से आज तक इस भवन की मरम्मत नहीं की गई. इस वजह से अब भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. भवन की हालात इतनी खस्ता हो चुकी है कि बरसाती दिनों में स्कूल के कमरे तालाब में बन जाते हैं. बरसात के दिनों में स्कूल की पढ़ाई व्यवस्था भगवान भरोसे रहती है.

वहीं जब स्कूल जर्जर स्कूल भवन को लेकर छात्रों से बात की गई तो बच्चों ने सहम कर जबाब दिया डर तो बहुत लगता है. लेकिन, क्या करें बहुत सारे बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं. सब इसी बिल्डिंग और छत के नीचे पढ़ते हैं. छात्र छात्राओं का कहना है कि वह जब कमरों के अंदर बैठकर पढ़ाई करते हैं तो उनको यह डर लगा रहता है कि कहीं छत टूट कर उनके ऊपर नहीं गिर पड़े. अध्यापक जब उनको पढ़ाते हैं तो उनको आधा ध्यान छत की तरफ रहता है और आधा ध्यान पढ़ाई पर रहता है . बता दें कि पिछले दिनों लगातार हुई बारिश के कारण स्कूल के कमरों में जलभराव (Waterlogging in school rooms) हो गया है. हालांकि स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों को दूसरी बिल्डिंग में शिफ्ट किया. इस बिल्डिंग में भी लगातार प्लास्टर झड़ रहा है.

अभिभावकों ने इस मामले में सरकार व प्रशासन से संज्ञान लेते हुए समाधान की मांग उठाई है. वहीं छात्रों ने भी कहा कि उन्हें भय के साये में पढ़ाई करनी पड़ रही है. क्या पता कब बड़ा हादसा हो जाए. अभिभावक रविंद्र चहल ने बताया कि बारिश के कारण स्कूल के कमरों की दीवारों में दरार आ गई है. अब बरसात का पानी सीधा कमरे में आता है. बरसात वाले दिनों में अक्सर अपने बच्चों की चिंता लगी रहती है कि कहीं कोई हादसा ना हो जाय.

स्कूल अध्यापक विनोद कुमार ने बताया कि स्कूल के हालात बुरे हैं. मजबूरी में बच्चों को दूसरों कमरों में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. इन कमरों के प्लास्टर भी झड़ रहे हैं, अगर प्रशासन व सरकार ने संज्ञान नहीं लिया तो बड़ा हादसा हो सकता है.

क्या कहते हैं शिक्षा अधिकारी- जिला शिक्षा अधिकारी कृष्णा फोगाट ने बताया कि राजकीय माध्यमिक स्कूल चरखीदादरी की बिल्डिंग जर्जर है, जिसे कंडम करवाने बारे कार्रवाई की जा रही है. स्कूल के कमरों में पानी भरने की जानकारी मिली है, मैं स्वंय मौका निरीक्षण करते हुए उच्चाधिकारियों को अवगत करवाउंगी. वहीं स्कूल प्रबंधन को कमरों में पानी भरने व प्लास्टर झड़ने के कारण सेफ बिल्डिंग में कक्षाएं चलाने के निर्देश दिए हैं.

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