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हिसार में डिजाइन की गई ईजी ऐप, इसकी सहायता से जरूरतमंदों तक पहुंच पाएगा राशन

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Published : Apr 30, 2020, 10:07 AM IST

हिसार: लॉकडाउन के दौरान लोगों को हो रही परेशानी को ध्यान में रखते हुए हिसार जीजेयू विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग ने ईजी ऐप नामक एक एंड्रॉयड एप्लीकेशन डिजाइन की है. जिसकी सहयता से सामाजिक संस्थाओं द्वारा बांटा जा रहा राशन जरूरतमंद लोगों को मिल सकेगा.

GJU University designed easy app in Hisar
हिसार में डिजाइन की गई इजी ऐप, इसकी सहायता से जरूरतमंद तक पहुंच पाएगा राशन

हिसार: प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बताया जा रह है कि प्रशासन और संस्थाओं के ओर से बांटा जा रहा राशन कुछ जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. वहीं लॉकडाउन के दौरान लोगों को परेशानी हो रही परेशानी को ध्यान में रखते हुए हिसार जीजेयू विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग ने एक एंड्रॉयड एप्लीकेशन डिजाइन की है.

बताया जा रहा है कि एप्लिकेशन गरीब लोगों तक राशन बांटने की प्रक्रिया में अहम रोल अदा करेगी. इससे जरूरतमंद परिवार को खाने का राशन मिल पाएगा. कई बार सामाजिका और धार्मिक संस्थाएं एक ही जगह पर राशन कई बार बांट देते हैं. और जिसके चलते कुछ जरूरतमंद लोग रह जाते हैं.

ये एप्लीकेशन गरीबों की सहायता करने वाले लोगों को कुछ डिटेल दिखा देगा कि किस परिवार को पहले कितना राशन मिला था कब और कितने दिन के लिए दिया गया था. और किसके द्वारा दिया गया था. इससे राशन को सही तरीके से बांटा जा सकेगा.

गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार ने लॉकडाउन के दौरान सामाजिक समस्याओं को देखते हुए इस ऐप को बनाने वाले शिक्षक और छात्रों का धन्यवाद किया. उन्होंने बताया कि इस ऐप के माध्यम से एक तरफ राशन वितरण प्रणाली बेहतर होगी. वहीं गली मोहल्लों के दुकानदार ग्राहकों से जुड़ सकेंगे और ग्राहकों को अपनी गली मोहल्ले के दुकानदारों से संपर्क करने में आसानी होगी.

उन्होंने बताया कि प्रशासन और सामाजिक संस्थाएं लोगों को सूखा राशन बांट रही हैं. ऐसे में कई बार एक ही परिवार को विभिन्न संस्थाओं द्वारा राशन मिल जाता है. और कई परिवारों को आवश्यकता होने के बाद भी नहीं मिल पाता हैं.

इस ऐप के माध्यम से संस्था पता कर सकती है कि जिस घर में राशन दिया जा रहा है. उसमें पिछली बार राशन कब और कितना, किस संस्था द्वारा दिया गया था. ऐसे में ये कारगर साबित होगा. उन्होंने बताया कि विश्व विद्यालय के शिक्षक और छात्रों द्वारा बनाई गई ये इजी ऐप और इजी बिजनेस गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद हैं. इजी बिजनेस ऐप दुकानदारों के लिए और इजी ऐप ग्राहकों के लिए होगा.

वहीं कंप्यूटर साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर सुनील कुमार ने बताया कि ऐप में अभी तक 45 दुकानदार रजिस्टर कर चुके हैं. वहीं 20 ऑर्डर बुक किए जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि लगभग डेढ़ सौ ग्राहकों ने ऐप को डाउनलोड किया है. इस ऐप को हिसार, सिरसा, हांसी और कुरुक्षेत्र जिले के लोगों ने भी डाउनलोड किया है.

उन्होंने बताया कि छोटे दुकानदारों की डिटेल ग्राहक के पास नहीं होती और इसके कारण ग्राहक को दूर जाना पड़ता है और छोटे दुकानदार का सामान नहीं बिक पाता. ऐसे में इस ऐप का विचार आया. प्रशासन की तरफ से होलसेल दुकानों की जानकारी दी गई है. उन्होंने बताया कि इस ऐप की दूसरी विशेषता ये है कि ये उन सभी छोटे दुकानदारों को ग्राहकों से जोड़ेगी. ताकि छोटे दुकानदार भी लॉकडाउन के दौरान आजीविका चला सकें.

ये भी पढ़िए: 'दिल्ली से हरियाणा में नहीं घुसने दिया जाएगा कोरोना,आत्मरक्षा के लिए बैन जरूरी'

इस ऐप में ग्राहक अपनी सुविधा अनुसार सामान की डिटेल लिखकर दुकानदार को भेज सकता है. अगर दुकानदार को कुछ समझ नहीं आ रहा है तो वो ग्राहक को सीधा फोन करके पूछ सकता है. जिससे आम आदमी को भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से रोका जा सकता है. साथ ही सभी छोटे बड़े दुकानदारों का काम भी लॉकडाउन के दौरान भी चल सकेगा.

हिसार: प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बताया जा रह है कि प्रशासन और संस्थाओं के ओर से बांटा जा रहा राशन कुछ जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. वहीं लॉकडाउन के दौरान लोगों को परेशानी हो रही परेशानी को ध्यान में रखते हुए हिसार जीजेयू विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग ने एक एंड्रॉयड एप्लीकेशन डिजाइन की है.

बताया जा रहा है कि एप्लिकेशन गरीब लोगों तक राशन बांटने की प्रक्रिया में अहम रोल अदा करेगी. इससे जरूरतमंद परिवार को खाने का राशन मिल पाएगा. कई बार सामाजिका और धार्मिक संस्थाएं एक ही जगह पर राशन कई बार बांट देते हैं. और जिसके चलते कुछ जरूरतमंद लोग रह जाते हैं.

ये एप्लीकेशन गरीबों की सहायता करने वाले लोगों को कुछ डिटेल दिखा देगा कि किस परिवार को पहले कितना राशन मिला था कब और कितने दिन के लिए दिया गया था. और किसके द्वारा दिया गया था. इससे राशन को सही तरीके से बांटा जा सकेगा.

गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार ने लॉकडाउन के दौरान सामाजिक समस्याओं को देखते हुए इस ऐप को बनाने वाले शिक्षक और छात्रों का धन्यवाद किया. उन्होंने बताया कि इस ऐप के माध्यम से एक तरफ राशन वितरण प्रणाली बेहतर होगी. वहीं गली मोहल्लों के दुकानदार ग्राहकों से जुड़ सकेंगे और ग्राहकों को अपनी गली मोहल्ले के दुकानदारों से संपर्क करने में आसानी होगी.

उन्होंने बताया कि प्रशासन और सामाजिक संस्थाएं लोगों को सूखा राशन बांट रही हैं. ऐसे में कई बार एक ही परिवार को विभिन्न संस्थाओं द्वारा राशन मिल जाता है. और कई परिवारों को आवश्यकता होने के बाद भी नहीं मिल पाता हैं.

इस ऐप के माध्यम से संस्था पता कर सकती है कि जिस घर में राशन दिया जा रहा है. उसमें पिछली बार राशन कब और कितना, किस संस्था द्वारा दिया गया था. ऐसे में ये कारगर साबित होगा. उन्होंने बताया कि विश्व विद्यालय के शिक्षक और छात्रों द्वारा बनाई गई ये इजी ऐप और इजी बिजनेस गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद हैं. इजी बिजनेस ऐप दुकानदारों के लिए और इजी ऐप ग्राहकों के लिए होगा.

वहीं कंप्यूटर साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर सुनील कुमार ने बताया कि ऐप में अभी तक 45 दुकानदार रजिस्टर कर चुके हैं. वहीं 20 ऑर्डर बुक किए जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि लगभग डेढ़ सौ ग्राहकों ने ऐप को डाउनलोड किया है. इस ऐप को हिसार, सिरसा, हांसी और कुरुक्षेत्र जिले के लोगों ने भी डाउनलोड किया है.

उन्होंने बताया कि छोटे दुकानदारों की डिटेल ग्राहक के पास नहीं होती और इसके कारण ग्राहक को दूर जाना पड़ता है और छोटे दुकानदार का सामान नहीं बिक पाता. ऐसे में इस ऐप का विचार आया. प्रशासन की तरफ से होलसेल दुकानों की जानकारी दी गई है. उन्होंने बताया कि इस ऐप की दूसरी विशेषता ये है कि ये उन सभी छोटे दुकानदारों को ग्राहकों से जोड़ेगी. ताकि छोटे दुकानदार भी लॉकडाउन के दौरान आजीविका चला सकें.

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इस ऐप में ग्राहक अपनी सुविधा अनुसार सामान की डिटेल लिखकर दुकानदार को भेज सकता है. अगर दुकानदार को कुछ समझ नहीं आ रहा है तो वो ग्राहक को सीधा फोन करके पूछ सकता है. जिससे आम आदमी को भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से रोका जा सकता है. साथ ही सभी छोटे बड़े दुकानदारों का काम भी लॉकडाउन के दौरान भी चल सकेगा.

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