ETV Bharat / city

जर्मिला देवी बनी हांसी की पहली महिला ई-रिक्शा चालक, प्रेरित करती है इनकी कहानी - जातिवादी सोच

पुरुषवादी समाज की जंजीरों को तोड़ते हुए महिलाएं समाज में नए आयाम स्थापित कर रही हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है भाटला गांव की जर्मिला देवी ने. रूढ़िवादी सोच से लड़कर जर्मिला देवी शहर की पहली महिला ई-रिक्शा चालक बनी हैं.

female driver
author img

By

Published : Jul 31, 2019, 10:04 PM IST

हिसार: समाज में महिलाओं के बढ़ते रुतबे से जुड़ी कहानियां सामने आती रहती हैं जो महिलाओं की तरक्की पर मुहर लगाती हैं. पुरुषवादी और जातिवादी समाज की सोच को हराते हुए हांसी के भाटला गांव की अनुसूचित जाति की जर्मिला देवी हांसी शहर की पहली ई-रिक्शा चालक बन गई हैं. जर्मिला का कहना है कि जब वह सड़कों पर ई-रिक्शा में सवारियों को बैठाकर चलती हैं तो लोग अजीब नजरों से देखते हैं जैसे कि यह काम केवल मर्दों का ही है.

भाटला गांव में अनुसूचित जाति और सवर्ण समुदाय के बीच विवाद के चलते जर्मिला देवी अपने दो बच्चों सहित गांव छोड़कर शहर में आकर रहने लगी. शहर में आने के बाद उनके सामने आजीविका चलाने की चुनौती खड़ी हो गई तो जर्मिला ने ई-रिक्शा चलाकर रोजगार कमाने की ठान ली. किसी तरह ई-रिक्शा खरीदने के लिए पैसे जमा किया और जर्मिला ई-रिक्शा लेकर सड़क पर निकल पड़ी.

यहां देखें वीडियो.

जर्मिला देवी ने बताया कि सामाजिक बहिष्कार के अतिरिक्त अपने पति की रूढ़िवादी और पुरुषवादी मानसिकता से भी वह तंग आ चुकी थी. जिनके चलते उसने गांव भाटला से पलायन कर लिया और हांसी में किराए पर मकान लेकर रहने लगी. जर्मिला दो बच्चों की मां है.

उन्होंने कहा कि वह अपने पेशे से और इस बात से बेहद खुश हैं कि वह अब आत्मनिर्भर हैं. अब वह खुद को जातिवादी और पुरुषवादी बेड़ियों से आजाद महसूस कर रही हैं. जर्मिला देवी ने महिलाओं को आह्वान करते हुए कहा कि वे जुल्म और उत्पीड़न ना सहे, खुद को स्वावलंबी बनाएं और घर से बाहर निकल कर खुद को साबित करें. हम उम्मीद करते हैं कि बाकी महिलाएं भी जर्मिला देवी से प्रेरित होकर रूढ़िवादी और पिछड़ी मानसिकता की जंजीरों को तोड़कर सामने आएंगी.

हिसार: समाज में महिलाओं के बढ़ते रुतबे से जुड़ी कहानियां सामने आती रहती हैं जो महिलाओं की तरक्की पर मुहर लगाती हैं. पुरुषवादी और जातिवादी समाज की सोच को हराते हुए हांसी के भाटला गांव की अनुसूचित जाति की जर्मिला देवी हांसी शहर की पहली ई-रिक्शा चालक बन गई हैं. जर्मिला का कहना है कि जब वह सड़कों पर ई-रिक्शा में सवारियों को बैठाकर चलती हैं तो लोग अजीब नजरों से देखते हैं जैसे कि यह काम केवल मर्दों का ही है.

भाटला गांव में अनुसूचित जाति और सवर्ण समुदाय के बीच विवाद के चलते जर्मिला देवी अपने दो बच्चों सहित गांव छोड़कर शहर में आकर रहने लगी. शहर में आने के बाद उनके सामने आजीविका चलाने की चुनौती खड़ी हो गई तो जर्मिला ने ई-रिक्शा चलाकर रोजगार कमाने की ठान ली. किसी तरह ई-रिक्शा खरीदने के लिए पैसे जमा किया और जर्मिला ई-रिक्शा लेकर सड़क पर निकल पड़ी.

यहां देखें वीडियो.

जर्मिला देवी ने बताया कि सामाजिक बहिष्कार के अतिरिक्त अपने पति की रूढ़िवादी और पुरुषवादी मानसिकता से भी वह तंग आ चुकी थी. जिनके चलते उसने गांव भाटला से पलायन कर लिया और हांसी में किराए पर मकान लेकर रहने लगी. जर्मिला दो बच्चों की मां है.

उन्होंने कहा कि वह अपने पेशे से और इस बात से बेहद खुश हैं कि वह अब आत्मनिर्भर हैं. अब वह खुद को जातिवादी और पुरुषवादी बेड़ियों से आजाद महसूस कर रही हैं. जर्मिला देवी ने महिलाओं को आह्वान करते हुए कहा कि वे जुल्म और उत्पीड़न ना सहे, खुद को स्वावलंबी बनाएं और घर से बाहर निकल कर खुद को साबित करें. हम उम्मीद करते हैं कि बाकी महिलाएं भी जर्मिला देवी से प्रेरित होकर रूढ़िवादी और पिछड़ी मानसिकता की जंजीरों को तोड़कर सामने आएंगी.

Intro:पुरुषवादी व जातिवादी सोच से लड़कर भाटला की जर्मिला देवी बनी शहर की पहली ई-रिक्शा चालक

पति था पुरुषवादी सोच से ग्रस्त व गांव ने किया जाति को लेकर शोषण, जर्मिला ने दोनों को किया अपने हौंसलों से पस्त



एंकर - पुरुषवादी समाज की जंजीरों को तोड़ते हुए महिलाएं समाज में नए आयाम स्थापित कर रही है। समाज में महिलाओं के बढ़ते रुतबे से जुड़ी कहानियां समाने आती रहती है जो महिलाओं की तरक्की पर मुहर लगाती है। पुरुषवादी व जातिवादी समाज की सोच को हराते हुए हांसी के भाटला गांव की अनुसूचित जाति की जर्मिला देवी ने हांसी शहर की पहली ई-रिक्शा चालक बन गई है। जर्मिला का कहना है कि जब वह सड़कों पर ई-रिक्शा में सवारियों को बैठाकर चलती है तो लोग अजीब नजरों से देखते हैं जैसे की यह काम केवल मर्दों का ही है।

भाटाला गांव में अनुसूचित जाति व सवर्ण समुदाय के बीच विवाद के चलते जर्मिला देवी अपने दो बच्चों सहित गांव छोड़कर शहर में आकर रहने लगी। शहर में आने के बाद उसके सामने आजीवीका की चुनौती उसके सामने खड़ी हो गई तो जर्मिला ने ई-रिक्शा चलाकर रोजगार कमाने की ठान ली। किसी तरह ई-रिक्शा खरीदने के लिए पैसों का जुगाड़ किया व जर्मिला ई-रिक्शा लेकर सड़क पर निकल पड़ी। आज जर्मिला शहर की सड़कों पर सवारियों से भरी ई-रिक्शा दौड़ती है तो सब देखते रह जाते हैं।Body:वीओ - जर्मिला देवी ने बताया कि सामाजिक बहिष्कार के अतिरिक्त अपने पति की रूढ़िवादी व पुरुषवादी मानसिकता से भी वह तंग आ चुकी थी। जिनके चलते उसने गांव भाटला से पलायन कर दिया तथा हांसी में किराए पर मकान लेकर रहने लगी। जर्मिला दो बच्चो की मां है। जिसके बाद रोजगार के लिए उसने ऑटो रिक्शा खरीद कर उसमें सवारियां ढोने का काम शुरू कर दिया। जर्मिला देवी ने बताया कि इस काम में शुरू शुरू में तो उससे बड़ी हिचक हुई तथा जनता भी उसे अजीब नजरों से देखती थी कि एक महिला ऑटो कैसे चला रही है। उसने कहा कि वह अपने पेशे से बहुत खुश है कि वह अब आत्मनिर्भर है। अब वह खुद को जातिवादी व पुरुषवादी बेड़ियो से आजाद महसूस कर रही है। जर्मिला देवी ने महिलाओं को आह्वान करते हुए कहा कि वे जुल्म व उत्पीड़न ना सहे, खुद को स्वावलंबी बनाएं तथा घर से बाहर निकल कर खुद को साबित करें।

बाइट - जर्मिला देवी।Conclusion:null
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.