हिसार: समाज में महिलाओं के बढ़ते रुतबे से जुड़ी कहानियां सामने आती रहती हैं जो महिलाओं की तरक्की पर मुहर लगाती हैं. पुरुषवादी और जातिवादी समाज की सोच को हराते हुए हांसी के भाटला गांव की अनुसूचित जाति की जर्मिला देवी हांसी शहर की पहली ई-रिक्शा चालक बन गई हैं. जर्मिला का कहना है कि जब वह सड़कों पर ई-रिक्शा में सवारियों को बैठाकर चलती हैं तो लोग अजीब नजरों से देखते हैं जैसे कि यह काम केवल मर्दों का ही है.
भाटला गांव में अनुसूचित जाति और सवर्ण समुदाय के बीच विवाद के चलते जर्मिला देवी अपने दो बच्चों सहित गांव छोड़कर शहर में आकर रहने लगी. शहर में आने के बाद उनके सामने आजीविका चलाने की चुनौती खड़ी हो गई तो जर्मिला ने ई-रिक्शा चलाकर रोजगार कमाने की ठान ली. किसी तरह ई-रिक्शा खरीदने के लिए पैसे जमा किया और जर्मिला ई-रिक्शा लेकर सड़क पर निकल पड़ी.
जर्मिला देवी ने बताया कि सामाजिक बहिष्कार के अतिरिक्त अपने पति की रूढ़िवादी और पुरुषवादी मानसिकता से भी वह तंग आ चुकी थी. जिनके चलते उसने गांव भाटला से पलायन कर लिया और हांसी में किराए पर मकान लेकर रहने लगी. जर्मिला दो बच्चों की मां है.
उन्होंने कहा कि वह अपने पेशे से और इस बात से बेहद खुश हैं कि वह अब आत्मनिर्भर हैं. अब वह खुद को जातिवादी और पुरुषवादी बेड़ियों से आजाद महसूस कर रही हैं. जर्मिला देवी ने महिलाओं को आह्वान करते हुए कहा कि वे जुल्म और उत्पीड़न ना सहे, खुद को स्वावलंबी बनाएं और घर से बाहर निकल कर खुद को साबित करें. हम उम्मीद करते हैं कि बाकी महिलाएं भी जर्मिला देवी से प्रेरित होकर रूढ़िवादी और पिछड़ी मानसिकता की जंजीरों को तोड़कर सामने आएंगी.