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बीरेंद्र सिंह के पोस्टर से बीजेपी नेता गायब, आज कार्यकर्ताओं की बैठक के बाद ले सकते हैं बड़ा फैसला

चौधरी बीरेंद्र सिंह हमेशा अपने बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं. फिलहाल वो एक कार्यकर्ता सम्मेलन और पोस्टर को लेकर चर्चा में हैं. दरअसल आज चौधरी बीरेंद्र सिंह ने आदमपुर में कार्यकर्ता सम्मेलन बुलाया है लेकिन इसके पोस्टर में एक भी बीजेपी नेता (Chaudhary Birender Singh Poster) की तस्वीर नहीं है.

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Published : Sep 9, 2022, 2:02 PM IST

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चौधरी बीरेंद्र सिंह ने आदमपुर में कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है.

हिसार: पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के सुर इन दिनों बदले बदले नजर आ रहे हैं. ये हम नहीं बल्कि उनके द्वारा बुलाए गए कार्यकर्ता सम्मेलन का एक पोस्टर बता रहा है. दरअसल चौधरी बीरेंद्र सिंह ने शुक्रवार को आदमपुर हल्के में कार्यकर्ता सम्मेलन (Birender Singh Worker Meeting) बुलाया है. मौका और जगह देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि आदमपुर उपचुनाव को देखकर बीरेंद्र सिंह ने ये बैठक बुलाई है. लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि कार्यकर्ता सम्मेलन का जो पोस्टर सामने आया है उसमें बीजेपी का किसी भी नेता का चेहरा (No BJP leader on hordings) नहीं है.

बीरेंद्र सिंह की मीटिंग का पोस्टर- इस पोस्टर की शुरुआत में ही लिखा है कि बीरेंद्र सिंह के साथी, यानी ये खालिस बीरेंद्र सिंह का कार्यकर्ता सम्मेलन है. बीरेंद्र सिंह हरियाणा के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे हैं. उनके अपने कार्यकर्ता भी हो सकते हैं लेकिन वो मोदी सरकार के मंत्री रह चुके हैं और उनके बेटे ब्रजेंद्र सिंह मौजूदा समय में हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद हैं. ऐसे में बीरेंद्र सिंह के कार्यकर्ता सम्मेलन के पोस्टर में किसी भी बीजेपी नेता की तस्वीर ना होना सवाल तो खड़ा करता है. बताया जा रहा है कि बीरेंद्र सिंह अपने समर्थकों के साथ मुलाकात के बाद कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं. ये बड़ा ऐलान क्या होगा, इसको लेकर हरियाणा के सियासी गलियारों में फिलहाल कयास ही लगाए जा रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि आखिर क्या चाहते हैं बीरेंद्र सिंह ?

ओपी चौटाला को हराकर पहली बार संसद पहुंचे थे चौधरी बीरेंद्र सिंह- हरियाणा में बीरेंद्र सिंह मौजूदा दौर में भी सबसे कद्दावर नेताओं में से एक माने जाते हैं. वे लगभग 50 साल से राजनीति में हैं. बीरेंद्र सिंह आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक तौर पर एक मजबूत प्रभाव रखने वाले परिवार से ताल्लुक रखते हैं. वे हरियाणा के प्रख्यात किसान नेता सर छोटू राम के पोते हैं. उनके पिता नेकी राम भी हरियाणा की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं. साल 1977 में पहली बार उचाना कलां विधानसभा सीट बनी. चौधरी बीरेंद्र सिंह यहां के पहले विधायक बने. बीरेंद्र सिंह पांच बार 1977, 1982, 1994, 1996 और 2005 में उचाना से विधायक बन चुके हैं. वे तीन बार हरियाणा सरकार में मंत्री भी रहे. साल 1984 में बीरेंद्र सिंह पहली बार संसद पहुंचे. उन्होंने हिसार लोकसभा क्षेत्र से इनेलो प्रत्याशी ओमप्रकाश चौटाला को चुनावी मैदान में मात दी थी. इसके बाद साल 2010 में कांग्रेस के टिकट से वे राज्यसभा पहुंच गए.

42 साल बाद छोड़ा कांग्रेस का साथ- कांग्रेस से 42 साल तक जुड़े रहने के बाद बीरेंद्र सिंह 16 अगस्त 2014 में जींद की एक रैली की. इस रैली में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली. मोदी सरकार में बीरेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री रहे. जून 2016 में बीजेपी ने उन्हें दोबारा राज्यसभा भेज दिया. बीरेंद्र सिंह साल 2020 तक राज्यसभा सदस्य रहे. जींद से उनके बेटे और पूर्व आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह ने साल 2019 का लोकसभा चुनाव जीता तो उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देने के बाद बीरेंद्र सिंह ने भविष्य में चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. चौधरी बीरेंद्र सिंह हमेशा अपनी बेबाकी और अलग राजनीतिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं. इस समय में इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन क्या रंग लेकर आएगा इस पर पूरे प्रदेश के लोगों की निगाहें टिकी हैं.

आदमपुर में होना है उपचुनाव- गौरतलब है कि इन दिनों हरियाणा की राजनीति में हर ओर आदमपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव की चर्चा है. कुलदीप बिश्नोई के कांग्रेस छोड़ने और विधायकी से इस्तीफा देने के बाद ये सीट खाली हुई है. कुलदीप बिश्नोई अब बीजेपी के साथ हैं और उनकी उम्मीदवारी आदमपुर से तय मानी जा रही है. इस स्थिति में चौधरी बीरेंद्र सिंह का कार्यकर्ता सम्मेलन और उसका पोस्टर (Chaudhary Birender Singh Poster) कई सवाल उठा रहा है.

हिसार: पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के सुर इन दिनों बदले बदले नजर आ रहे हैं. ये हम नहीं बल्कि उनके द्वारा बुलाए गए कार्यकर्ता सम्मेलन का एक पोस्टर बता रहा है. दरअसल चौधरी बीरेंद्र सिंह ने शुक्रवार को आदमपुर हल्के में कार्यकर्ता सम्मेलन (Birender Singh Worker Meeting) बुलाया है. मौका और जगह देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि आदमपुर उपचुनाव को देखकर बीरेंद्र सिंह ने ये बैठक बुलाई है. लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि कार्यकर्ता सम्मेलन का जो पोस्टर सामने आया है उसमें बीजेपी का किसी भी नेता का चेहरा (No BJP leader on hordings) नहीं है.

बीरेंद्र सिंह की मीटिंग का पोस्टर- इस पोस्टर की शुरुआत में ही लिखा है कि बीरेंद्र सिंह के साथी, यानी ये खालिस बीरेंद्र सिंह का कार्यकर्ता सम्मेलन है. बीरेंद्र सिंह हरियाणा के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे हैं. उनके अपने कार्यकर्ता भी हो सकते हैं लेकिन वो मोदी सरकार के मंत्री रह चुके हैं और उनके बेटे ब्रजेंद्र सिंह मौजूदा समय में हिसार लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद हैं. ऐसे में बीरेंद्र सिंह के कार्यकर्ता सम्मेलन के पोस्टर में किसी भी बीजेपी नेता की तस्वीर ना होना सवाल तो खड़ा करता है. बताया जा रहा है कि बीरेंद्र सिंह अपने समर्थकों के साथ मुलाकात के बाद कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं. ये बड़ा ऐलान क्या होगा, इसको लेकर हरियाणा के सियासी गलियारों में फिलहाल कयास ही लगाए जा रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि आखिर क्या चाहते हैं बीरेंद्र सिंह ?

ओपी चौटाला को हराकर पहली बार संसद पहुंचे थे चौधरी बीरेंद्र सिंह- हरियाणा में बीरेंद्र सिंह मौजूदा दौर में भी सबसे कद्दावर नेताओं में से एक माने जाते हैं. वे लगभग 50 साल से राजनीति में हैं. बीरेंद्र सिंह आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक तौर पर एक मजबूत प्रभाव रखने वाले परिवार से ताल्लुक रखते हैं. वे हरियाणा के प्रख्यात किसान नेता सर छोटू राम के पोते हैं. उनके पिता नेकी राम भी हरियाणा की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं. साल 1977 में पहली बार उचाना कलां विधानसभा सीट बनी. चौधरी बीरेंद्र सिंह यहां के पहले विधायक बने. बीरेंद्र सिंह पांच बार 1977, 1982, 1994, 1996 और 2005 में उचाना से विधायक बन चुके हैं. वे तीन बार हरियाणा सरकार में मंत्री भी रहे. साल 1984 में बीरेंद्र सिंह पहली बार संसद पहुंचे. उन्होंने हिसार लोकसभा क्षेत्र से इनेलो प्रत्याशी ओमप्रकाश चौटाला को चुनावी मैदान में मात दी थी. इसके बाद साल 2010 में कांग्रेस के टिकट से वे राज्यसभा पहुंच गए.

42 साल बाद छोड़ा कांग्रेस का साथ- कांग्रेस से 42 साल तक जुड़े रहने के बाद बीरेंद्र सिंह 16 अगस्त 2014 में जींद की एक रैली की. इस रैली में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली. मोदी सरकार में बीरेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री रहे. जून 2016 में बीजेपी ने उन्हें दोबारा राज्यसभा भेज दिया. बीरेंद्र सिंह साल 2020 तक राज्यसभा सदस्य रहे. जींद से उनके बेटे और पूर्व आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह ने साल 2019 का लोकसभा चुनाव जीता तो उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देने के बाद बीरेंद्र सिंह ने भविष्य में चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. चौधरी बीरेंद्र सिंह हमेशा अपनी बेबाकी और अलग राजनीतिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं. इस समय में इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन क्या रंग लेकर आएगा इस पर पूरे प्रदेश के लोगों की निगाहें टिकी हैं.

आदमपुर में होना है उपचुनाव- गौरतलब है कि इन दिनों हरियाणा की राजनीति में हर ओर आदमपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव की चर्चा है. कुलदीप बिश्नोई के कांग्रेस छोड़ने और विधायकी से इस्तीफा देने के बाद ये सीट खाली हुई है. कुलदीप बिश्नोई अब बीजेपी के साथ हैं और उनकी उम्मीदवारी आदमपुर से तय मानी जा रही है. इस स्थिति में चौधरी बीरेंद्र सिंह का कार्यकर्ता सम्मेलन और उसका पोस्टर (Chaudhary Birender Singh Poster) कई सवाल उठा रहा है.

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