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गुरुग्राम की बादशाहपुर विधानसभा सीट से बीजेपी की हार के ये रहे कारण

बादशाहपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद जीते हैं. उन्होंने बीजेपी के मनीष यादव को 10 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है.

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Published : Oct 26, 2019, 10:19 AM IST

गुरुग्राम: हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों ने सबको हैरान कर दिया है. बीजेपी के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए. वहीं प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा बादशाहपुर में भी बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. बादशाहपुर विधानसभा में बीजेपी के हार के कई कारण बताए जा रहे हैं.

टिकट वितरण का असर चुनाव परिणाम में दिखा
बीजेपी हाईकमान द्वारा टिकट वितरण का असर चुनाव के परिणामों में साफ देखने को मिला है. जहां बादशाहपुर सीट पर बीजेपी के कद्दावर नेता राव नरबीर सिंह काबिज थे, लेकिन बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया और मनीष यादव को मैदान में उतारा था. मनीष यादव के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रचार किया लेकन मनीष यादव निर्दलीय उम्मीदवार राकेश दौलतबाद से चुनाव हार गए.

आखिर क्यों हारी बीजेपी हरियाणा की सबसे बड़ी विधानसभा बादशाहपुर, देखें वीडियो

बीजेपी हुई गुटबाजी का शिकार
बादशाहपुर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी मनीष यादव की हार की एक वजह नरबीर समर्थकों का मन से चुनावी मैदान में नहीं उतरना भी बताया जा रहा है. मनीष के चुनाव प्रचार में राव नरबीर के समर्थकों का योगदान काफी कम था. बादशाहपुर क्षेत्र में राव नरबीर के बहुत से समर्थक हैं लेकिन वो समर्थक मनीष के साथ खड़े होते नहीं दिखाई दिए. वहीं खुद राव नरबीर सिंह मनीष के चुनाव प्रचार से नदारद रहे.

कम मतदान भी है मुख्य कारण

माना जा रहा है कि शहरी मतदाता बीजेपी के लिए रीढ़ की हड्डी जैसे होते हैं, लेकिन इन्हीं शहरी क्षेत्रों में बेहद कम मतदान हुआ. जिससे बीजेपी को बेहद नुकसान उठाना पड़ा.

नोटा का लोगों ने किया प्रयोग
हरियाणा की 14वीं विधानसभा चुनाव में एक ओर जहां राष्ट्रीय पार्टी के उम्मीदवारों और निर्दलीयों को जमकर वोट पड़े. वहीं बड़ी संख्या में मतदाताओं ने नोटा का भी बटन दबाया है. गुरुग्राम की चारों विधानसभा क्षेत्रों में चार हजार 296 मतदाताओं ने किसी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार को वोट डालने की बजाय नोटा को वोट डाला है. इनमें से नोटा को सर्वाधिक वोट बादशाहपुर विधानसभा में पड़े हैं.

नो वर्क-नो वोट हो सकता है कारण
जानकारों की मानें तो बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र में नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलने का एक कारण नो वर्क-नो वोट भी हो सकता है. दरअसल चुनाव से पहले ही बादशाहपुर विधानसभा में रहने वाले खासतौर पर सोसायटियों में रहने वाले मतदाताओं ने पहले ही बीजेपी को चेता दिया था कि विकास के नाम पर ही वे वोट करेंगे. वहीं इन सोसाइटी वासियों ने कई बार सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन भी किया था.

बता दें कि बादशाहपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद जीते हैं. उन्होंने बीजेपी के मनीष यादव को 10 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में BJP-JJP गठबंधन की बनेगी सरकार, दुष्यंत चौटाला होंगे डिप्टी सीएम

गुरुग्राम: हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों ने सबको हैरान कर दिया है. बीजेपी के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए. वहीं प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा बादशाहपुर में भी बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. बादशाहपुर विधानसभा में बीजेपी के हार के कई कारण बताए जा रहे हैं.

टिकट वितरण का असर चुनाव परिणाम में दिखा
बीजेपी हाईकमान द्वारा टिकट वितरण का असर चुनाव के परिणामों में साफ देखने को मिला है. जहां बादशाहपुर सीट पर बीजेपी के कद्दावर नेता राव नरबीर सिंह काबिज थे, लेकिन बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया और मनीष यादव को मैदान में उतारा था. मनीष यादव के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रचार किया लेकन मनीष यादव निर्दलीय उम्मीदवार राकेश दौलतबाद से चुनाव हार गए.

आखिर क्यों हारी बीजेपी हरियाणा की सबसे बड़ी विधानसभा बादशाहपुर, देखें वीडियो

बीजेपी हुई गुटबाजी का शिकार
बादशाहपुर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी मनीष यादव की हार की एक वजह नरबीर समर्थकों का मन से चुनावी मैदान में नहीं उतरना भी बताया जा रहा है. मनीष के चुनाव प्रचार में राव नरबीर के समर्थकों का योगदान काफी कम था. बादशाहपुर क्षेत्र में राव नरबीर के बहुत से समर्थक हैं लेकिन वो समर्थक मनीष के साथ खड़े होते नहीं दिखाई दिए. वहीं खुद राव नरबीर सिंह मनीष के चुनाव प्रचार से नदारद रहे.

कम मतदान भी है मुख्य कारण

माना जा रहा है कि शहरी मतदाता बीजेपी के लिए रीढ़ की हड्डी जैसे होते हैं, लेकिन इन्हीं शहरी क्षेत्रों में बेहद कम मतदान हुआ. जिससे बीजेपी को बेहद नुकसान उठाना पड़ा.

नोटा का लोगों ने किया प्रयोग
हरियाणा की 14वीं विधानसभा चुनाव में एक ओर जहां राष्ट्रीय पार्टी के उम्मीदवारों और निर्दलीयों को जमकर वोट पड़े. वहीं बड़ी संख्या में मतदाताओं ने नोटा का भी बटन दबाया है. गुरुग्राम की चारों विधानसभा क्षेत्रों में चार हजार 296 मतदाताओं ने किसी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार को वोट डालने की बजाय नोटा को वोट डाला है. इनमें से नोटा को सर्वाधिक वोट बादशाहपुर विधानसभा में पड़े हैं.

नो वर्क-नो वोट हो सकता है कारण
जानकारों की मानें तो बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र में नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलने का एक कारण नो वर्क-नो वोट भी हो सकता है. दरअसल चुनाव से पहले ही बादशाहपुर विधानसभा में रहने वाले खासतौर पर सोसायटियों में रहने वाले मतदाताओं ने पहले ही बीजेपी को चेता दिया था कि विकास के नाम पर ही वे वोट करेंगे. वहीं इन सोसाइटी वासियों ने कई बार सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन भी किया था.

बता दें कि बादशाहपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद जीते हैं. उन्होंने बीजेपी के मनीष यादव को 10 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में BJP-JJP गठबंधन की बनेगी सरकार, दुष्यंत चौटाला होंगे डिप्टी सीएम

Intro:हरियाणा प्रदेश में जहा राजनीतिक दल सरकार बनाने की कवायत कर रहे है....वही भाजपा कहि सीटो पर हुई करारी हार पर भी मंथन करेगी...ऐसे ही प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा बादशाहपुर में भी भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा...आखिर क्यों भाजपा को बादशाहपुर विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा?

Body:टिकट वितरण का असर चुनाव परिणामो में दिखा

भाजपा हाईकमान द्वारा टिकट वितरण का असर चुनाव के परिणामों में साफ देखने को मिला है....जहा बादशाहपुर सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता काबिज थे....तो वही बादशाहपुर विधानसभा सीट से राव नरबीर सिंह का टिकट काट पार्टी ने मनीष यादव को मैदान में उतारा था....लेकिन मनीष चुनाव में इतना अच्छा प्रदर्शन नही कर पाए....हालांकि उनके लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक ने भी रैली की थी....लेकिन उसके बावजूद भाजपा को करारी हार मिली है....

भाजपा हुई गुटबाजी का शिकार

बादशाहपुर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मनीष यादव की हार की एक वजह नरबीर समर्थकों का मन से चुनावी मैदान में नहीं उतरना भी बताया जा रहा है...अक्सर मनीष के चुनावी प्रचार में राव नरबीर के समर्थको का योगदान काफी कम था...हालांकि बादशाहपुर क्षेत्र में राव नरबीर के बहुत से समर्थक हैं लेकिन वह समर्थक मनीष के साथ खड़े होते नहीं दिखाई दिए... नहीं नहीं खुद राव नरबीर सिंह मनीष के चुनाव प्रचार से नदारद नजर आए....

कम मतदान भी है मुख्य कारण

माना जा रहा है कि शहरी मतदाता भाजपा के लिए रीढ़ की हड्डी जैसे होते हैं लेकिन इन्हीं शहरी क्षेत्रों में बेहद कम मतदान हुआ जिससे भाजपा को बेहद नुकसान उठाना पड़ा...वही दूसरी ओर राकेश ने पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार विशेष रणनीति के तहत सोसायटियों में जाकर अपनी मजबूत पकड़ बनाई.... जिसका उन्हें फायदा भी मिला....

नोटा का लोगो ने किया प्रोयोग

हरियाणा की 14वीं विधानसभा चुनाव में एक ओर जहां राष्ट्रीय पार्टी के उम्मीदवारों और निर्दलीयों को जमकर वोट पड़े। वहीं बड़ी संख्या में मतदाताओं ने नोटा का भी बटन दबाया है।चारों विधानसभा क्षेत्रों में चार हजार 296 मतदाताओं ने किसी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार को वोट डालने की बजाय नोटा को वोट डाला है... इनमें से नोटा को सर्वाधिक वोट बादशाहपुर विधानसभा में पड़े हैं....

Conclusion:नो वर्क-नो वोट हो सकता है कारण

जानकारों की मानें तो बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र में नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलने का एक कारण नो वर्क-नो वोट भी हो सकता है....दरअसल चुनाव से पहले ही बादशाहपुर विधानसभा में रहने वाले खासतौर पर सोसाइटियों में रहने वाले मतदाताओं ने पहले ही भाजपा को चेता दिया था कि विकास के नाम पर ही वे वोट करेंगे.... वही इन सोसाइटी वासियों ने कई बार सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन भी किया था।

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