गुरुग्राम: भारत और चीन के बीच एलएसी पर चल रहे विवाद के बाद भारतीयों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. भारत-चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख की गलवान वैली में हुई हिंसक झड़प में 20 जवान शहीद हुए थे. जिसके बाद से देश में चीनी सामान के बहिष्कार पर चर्चा जोरों पर है. गुरुग्राम समेत पूरे भारत के अलग-अलग हिस्सों से प्रोडक्ट बहिष्कार की तस्वीरें सामने आ रही है. लेकिन यहां पर सवाल ये उठता है कि क्या भारत के पास चीनी प्रोडक्ट का कोई दूसरा विकल्प है. ये जानने के लिए ईटीवी भारत ने गुरुग्राम के उद्योगपतियों के खास बातचीत की.
'चीन के पास है वैरायटी प्रोडक्ट'
गुरुग्राम के बड़े गारमेंट्स मेन्युफैक्चरर कंपनी में से एक इंडस्ट्रियलिस्ट अश्वनी नरूला ने ईटीवी भारत को बताया कि चीन के पास प्रोडक्ट की वैरायटी और फिनिशिंग अधिक है. इसलिए न चाहते हुए भी उन्हें चीन से सामान लेना पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर चीन का बहिष्कार करना है तो भारत में इंडस्ट्री को बढ़ावा देना होगा. एकदम से चीन का बहिष्कार करना बेहद मुश्किल है. उन्होंने बताया कि वो बटन, फ्यूजिंग आदि सामान चीन से इम्पोर्ट करते हैं.
ऑटो सेक्टर में 25-30% कच्चा माल चीन से होता है इंपोर्ट
साइबर सिटी गुरुग्राम ऑटोमोबाइल हब है. ऑटोमोबाइल सेक्टर की जानी-मानी कंपनी मारुति से लेकर होंडा के प्लांट गुरुग्राम में हैं. जिनके साथ कई कंपनियां काम करती हैं. ऐसे ही एक मेन्युफैक्चरिंग कंपनी के डायरेक्टर केके गांधी ने ईटीवी भारत को बताया कि 25 से 30 फीसदी के रॉ मटेरियल चीन से इंपोर्ट किए जाते हैं. जैसे- हेड लाइट, इंडिकेटर, फैंसी लाइट आदि कई समान चीन से इम्पोर्ट होता है. क्योंकि चीन के पास सस्ते दामों में वैरायटी ज्यादा है. उन्होंने कहा कि सरकार अगर हमारी मदद करे चीन को पीछे छोड़ सकते हैं.
चीन से कम से कम समान इंपोर्ट करने पर जोर
उन्होंने बताया कि कई कंपनियों ने उन्हें शेड्यूल तैयार करने के निर्देश दिए हैं. इस शेड्यूल में ये मांगा गया है कि एक साल में अगर 30 प्रतिशत समान भारत में बना लिया जाए और वो 30 प्रतिशत इंपोर्ट चाइना से कम कर दिया जाए तो कितना फर्क आएगा. वहीं दूसरे साल में 60 प्रतिशत और तीसरे साल में पूरा 100 प्रतिशत इंपोर्ट बंद करने की बात कही है.
आपको बात दें कि एलएसी पर चीनी सैनिकों से झड़प के बाद भारत के नागरिकों में चीन के प्रति गुस्सा और आक्रोश बढ़ता जा रहा है. चाइनीस सामान के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ती जा रही है. चीन को सबक सिखाने के लिए लोग सोशल मीडिया पर भी चीनी सामान के बहिष्कार की मुहिम चला रहे हैं.
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