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अरावली में अवैध निर्माण करने वालों को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, जल्द चलेगा बुलडोजर

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली में अवैध निर्माण करने वालों को कोई राहत नहीं दी है. आज हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस इलाके में अवैध निर्माण करने वालों को बक्शा नहीं जाएगा और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी.

Faridabad Aravalli Forest Illegal Construction
अरावली में अवैध निर्माण करने वालों को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, जल्द चलेगा बुलडोजर
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Published : Aug 3, 2021, 8:38 PM IST

फरीदाबाद: अरावली के वन क्षेत्र में अवैध निर्माण (Aravalli Forest Illegal Construction) करने वाले लोगों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) से राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है. मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पीएलपीए नोटिफाइड एरिया (Punjab Land Preservation Act) में अवैध निर्माण कर्ताओं को किसी प्रकार की कोई राहत नहीं मिली है. जिसके बाद ये तय हो चुका है कि यहां पर बने अवैध निर्माणों पर बुल्डोजर जरूर चलेगा.

अवैध निर्माणों की लिस्ट में कई बड़े नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक इसमें पूर्व मंत्री रहे महेंद्र प्रताप (Mahendra pratap singh), पूर्व मंत्री करतार भड़ाणा (Kartar Bhadana), सहित कई अन्य नाम भी सामने आ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई के आदेश को ही यथावत रखा और कहा कि हर हाल में वन क्षेत्र को अवैध कब्जों से मुक्त करना ही होगा. साथ ही खोरी गांव (faridabad khori village demolition) के प्रभावित लोगों के पुनर्वास् को लेकर कोर्ट ने कहा कि जो पात्र होंगे उन्हें की आवास दिए जाएंगे.

ये भी पढ़ें: खोरी गांव के बाद अरावली में VIP हस्तियों के फार्म हाउस पर चलेगा बुल्डोजर, प्रशासन ने की तैयारी

ऐसे में अब अरावली वन क्षेत्र में बने नामी गिरामी शिक्षण संस्थान, बैंक्वेट हाल और फार्म हाउस पर बुल्डोजर चलाने का रास्ता साफ हो गया है. नगर निगम और वन विभाग को दिए गए समय में ही तोड़फोड़ करनी होगी. फार्म हाउस और बैंक्वेट हॉल संचालकों के आवेदन को लेकर भी कोर्ट ने कहा कि सभी तरह के स्टे भी अब वापस ले लिए जाएंगे. कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो पता लगाए कि कौन से निर्माण वन क्षेत्र औप पीएलपीए में आ रहे हैं.

जिला वन विभाग के मुताबिक जिले में 5,430 हेक्टेयर में पीएलपीए नोटिफाइड एरिया है. इनमें से करीब 500 हेक्टेयर में अवैध निर्माण हुए हैं. अब तक कराए गए सर्वे के अनुसार करीब 130 से अधिक निर्माण है. पीएलपीए नोटिफाइड एरिया सबसे ज्यादा बड़खल, अनखीर, मांगर, पाली, कटन पहाड़ी, मेवला महराजपुर, अनंगपुर, धौज मोहब्ताबाद आदि इलाकों तक फैला है.

ये भी पढ़ें: खोरी गांव में तोड़फोड़ के बाद अब अरावली में बने अवैध फार्म हाउसों पर होगी कार्रवाई

अब प्रशासन को 4 हफ्ते के अंदर सारी कार्रवाई करनी है. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नगर निगम फरीदाबाद को यह भी आदेश दिया गया है कि जो लोग अपनी जमीन बता रहे हैं. ये पता लगाया जाए कि ये जमीन उनकी है या नहीं और क्या उन्होंने वहां पर पक्का निर्माण कार्य कराया है या नहीं.

फरीदाबाद: अरावली के वन क्षेत्र में अवैध निर्माण (Aravalli Forest Illegal Construction) करने वाले लोगों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) से राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है. मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पीएलपीए नोटिफाइड एरिया (Punjab Land Preservation Act) में अवैध निर्माण कर्ताओं को किसी प्रकार की कोई राहत नहीं मिली है. जिसके बाद ये तय हो चुका है कि यहां पर बने अवैध निर्माणों पर बुल्डोजर जरूर चलेगा.

अवैध निर्माणों की लिस्ट में कई बड़े नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक इसमें पूर्व मंत्री रहे महेंद्र प्रताप (Mahendra pratap singh), पूर्व मंत्री करतार भड़ाणा (Kartar Bhadana), सहित कई अन्य नाम भी सामने आ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई के आदेश को ही यथावत रखा और कहा कि हर हाल में वन क्षेत्र को अवैध कब्जों से मुक्त करना ही होगा. साथ ही खोरी गांव (faridabad khori village demolition) के प्रभावित लोगों के पुनर्वास् को लेकर कोर्ट ने कहा कि जो पात्र होंगे उन्हें की आवास दिए जाएंगे.

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ऐसे में अब अरावली वन क्षेत्र में बने नामी गिरामी शिक्षण संस्थान, बैंक्वेट हाल और फार्म हाउस पर बुल्डोजर चलाने का रास्ता साफ हो गया है. नगर निगम और वन विभाग को दिए गए समय में ही तोड़फोड़ करनी होगी. फार्म हाउस और बैंक्वेट हॉल संचालकों के आवेदन को लेकर भी कोर्ट ने कहा कि सभी तरह के स्टे भी अब वापस ले लिए जाएंगे. कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो पता लगाए कि कौन से निर्माण वन क्षेत्र औप पीएलपीए में आ रहे हैं.

जिला वन विभाग के मुताबिक जिले में 5,430 हेक्टेयर में पीएलपीए नोटिफाइड एरिया है. इनमें से करीब 500 हेक्टेयर में अवैध निर्माण हुए हैं. अब तक कराए गए सर्वे के अनुसार करीब 130 से अधिक निर्माण है. पीएलपीए नोटिफाइड एरिया सबसे ज्यादा बड़खल, अनखीर, मांगर, पाली, कटन पहाड़ी, मेवला महराजपुर, अनंगपुर, धौज मोहब्ताबाद आदि इलाकों तक फैला है.

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अब प्रशासन को 4 हफ्ते के अंदर सारी कार्रवाई करनी है. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नगर निगम फरीदाबाद को यह भी आदेश दिया गया है कि जो लोग अपनी जमीन बता रहे हैं. ये पता लगाया जाए कि ये जमीन उनकी है या नहीं और क्या उन्होंने वहां पर पक्का निर्माण कार्य कराया है या नहीं.

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