ETV Bharat / city

फरीदाबाद में वन क्षेत्र की जमीन से अतिक्रमण हटाने के निर्देश, सुप्रीम कोर्ट ने 6 हफ्ते का दिया समय - वन क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के निर्देश फरीदाबाद

सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद जिले के गांव खोरी में वन क्षेत्र की जमीन पर अतिक्रमण (Encroachment on forest Land) हटाने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम को अतिक्रमण हटाने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया है.

supreme-court-gave-instructions-to-remove-encroachment-on-forest-land-in-faridabad
फरीदाबाद में वन क्षेत्र की जमीन से अतिक्रमण हटाने के निर्देश
author img

By

Published : Jun 7, 2021, 12:04 PM IST

Updated : Jun 7, 2021, 12:59 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद: फरीदाबाद जिले के खोरी गांव में वन क्षेत्र की जमीन पर अतिक्रमण (Encroachment on forest Land) करने वाले निवासियों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्ती दिखाई है. देश की सर्वोच्च अदालत ने फरीदाबाद नगर निगम को 6 सप्ताह के भीतर खोरी गांव में वन क्षेत्र पर बने तमाम अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दिए हैं. जिसके लिए फरीदाबाद के एसपी को नगर निगम के अधिकारियों को सभी सहायता और पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अतिक्रमण हटाने के बाद फरीदाबाद नगर निगम (Faridabad Municipal Corporation) के सीईओ और प्रदेश के वन विभाग के सचिव को हस्ताक्षर करके रिपोर्ट देनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश दिया है कि फरीदाबाद नगर निगम के सीईओ और वन विभाग के सचिव इस आदेश के कार्यान्वयन की निगरानी करेंगे और यदि रिपोर्ट के बाद भी वन क्षेत्र की जमीन पर अतिक्रमण पाया जाता है तो अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना ​​के लिए दोषी पाया जाएगा.

ये भी पढ़ें- अरावली में लगातार जारी है अवैध निर्माण, सरकार और प्रशासन बैठे हैं आंखें मूंदे

यही नहीं कोर्ट ने चेतावनी दी है कि इस बार उसने सचिव को तलब किया है, लेकिन अगली बार हरियाणा के मुख्य सचिव को भी इस मामले समन जारी हो सकते हैं. आदेश के बावजूद वन भूमि खाली नहीं करने के लिए निवासियों को भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फटकार लगाई है और कहा कि पुनर्वास के लिए उनकी राहत पर तभी विचार किया जाएगा, जब वे पहले वन क्षेत्र खाली करने के आदेश का पालन करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुनर्वास की नीति राज्य पर है और फिलहाल यह कानून का सवाल है. वन भूमि को खाली करना ही होगा. इसमें कोई समझौता नहीं हो सकता है. कोर्ट ने कहा कि चूंकि यह वन भूमि है, इसलिए इसे साफ करने की जरूरत है और उसके बाद ही यहां रहने वाले लोगों को राहत देने पर विचार किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- अरावली वन क्षेत्र से अवैध निर्माण हटाने को लेकर एनजीटी ने हरियाणा सरकार को दिया निर्देश

खोरी गांव के वन क्षेत्र में रह रहे लोगों की तरफ से अदालत में तर्क दिया गया कि हरियाणा को छोड़कर सभी राज्यों में पुनर्वास और फिर खाली करने की नीति है. इसलिए पहले उनके पुनर्वास पर ध्यान दिया जाए. लेकिन अदालत ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि कानून से राहत तभी मिल सकती है, जब आप कानून का पालन करें.

सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में जमीन खाली नहीं करने के लिए वहां रह रहे निवासियों को फटकार लगाई और कहा कि अगर वे अपने दम पर ऐसा नहीं करते हैं तो नगर निगम उन्हें जमीन खाली करने के लिए मजबूर करेगा और फिर कुछ भी नहीं माना जाएगा.

ये भी पढ़ें- फरीदाबाद: वन विभाग की जमीन पर बन रहे अवैध निर्माणों को नगर निगम की टीम ने किया ध्वस्त

नई दिल्ली/फरीदाबाद: फरीदाबाद जिले के खोरी गांव में वन क्षेत्र की जमीन पर अतिक्रमण (Encroachment on forest Land) करने वाले निवासियों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्ती दिखाई है. देश की सर्वोच्च अदालत ने फरीदाबाद नगर निगम को 6 सप्ताह के भीतर खोरी गांव में वन क्षेत्र पर बने तमाम अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दिए हैं. जिसके लिए फरीदाबाद के एसपी को नगर निगम के अधिकारियों को सभी सहायता और पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अतिक्रमण हटाने के बाद फरीदाबाद नगर निगम (Faridabad Municipal Corporation) के सीईओ और प्रदेश के वन विभाग के सचिव को हस्ताक्षर करके रिपोर्ट देनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश दिया है कि फरीदाबाद नगर निगम के सीईओ और वन विभाग के सचिव इस आदेश के कार्यान्वयन की निगरानी करेंगे और यदि रिपोर्ट के बाद भी वन क्षेत्र की जमीन पर अतिक्रमण पाया जाता है तो अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना ​​के लिए दोषी पाया जाएगा.

ये भी पढ़ें- अरावली में लगातार जारी है अवैध निर्माण, सरकार और प्रशासन बैठे हैं आंखें मूंदे

यही नहीं कोर्ट ने चेतावनी दी है कि इस बार उसने सचिव को तलब किया है, लेकिन अगली बार हरियाणा के मुख्य सचिव को भी इस मामले समन जारी हो सकते हैं. आदेश के बावजूद वन भूमि खाली नहीं करने के लिए निवासियों को भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फटकार लगाई है और कहा कि पुनर्वास के लिए उनकी राहत पर तभी विचार किया जाएगा, जब वे पहले वन क्षेत्र खाली करने के आदेश का पालन करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुनर्वास की नीति राज्य पर है और फिलहाल यह कानून का सवाल है. वन भूमि को खाली करना ही होगा. इसमें कोई समझौता नहीं हो सकता है. कोर्ट ने कहा कि चूंकि यह वन भूमि है, इसलिए इसे साफ करने की जरूरत है और उसके बाद ही यहां रहने वाले लोगों को राहत देने पर विचार किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- अरावली वन क्षेत्र से अवैध निर्माण हटाने को लेकर एनजीटी ने हरियाणा सरकार को दिया निर्देश

खोरी गांव के वन क्षेत्र में रह रहे लोगों की तरफ से अदालत में तर्क दिया गया कि हरियाणा को छोड़कर सभी राज्यों में पुनर्वास और फिर खाली करने की नीति है. इसलिए पहले उनके पुनर्वास पर ध्यान दिया जाए. लेकिन अदालत ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि कानून से राहत तभी मिल सकती है, जब आप कानून का पालन करें.

सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में जमीन खाली नहीं करने के लिए वहां रह रहे निवासियों को फटकार लगाई और कहा कि अगर वे अपने दम पर ऐसा नहीं करते हैं तो नगर निगम उन्हें जमीन खाली करने के लिए मजबूर करेगा और फिर कुछ भी नहीं माना जाएगा.

ये भी पढ़ें- फरीदाबाद: वन विभाग की जमीन पर बन रहे अवैध निर्माणों को नगर निगम की टीम ने किया ध्वस्त

Last Updated : Jun 7, 2021, 12:59 PM IST

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.