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किसानों को नहीं मिल रहा धान का MSP, एक हजार कम में बिक रहा बासमती - बल्लभगढ़ MSP पर नहीं बिक रहा धान

बल्लभगढ़ की अनाज मंडी में धान की सरकारी खरीद नहीं होने के चलते किसान अपनी फसल को ओने पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि कृषि कानून को लेकर पीएम से लेकर सीएम तक तक बड़े-बड़े दावे किए गए थे. लेकिन उनके सारे दावे फेल हो रहे हैं.

Paddy procurement in Ballabgarh Grain Market
बल्लभगढ़: MSP पर नहीं बिक रहा धान
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Published : Oct 9, 2020, 8:13 PM IST

Updated : Oct 9, 2020, 9:32 PM IST

फरीदाबाद: कृषि कानून को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, कृषि मंत्री जेपी दलाल और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने किसानों से बड़े-बड़े दावे किए थे. उन्होंने कहा था कि कृषि कानून आने के बाद किसान की फसल एमएसपी पर ही खरीदी जाएगी. उन्होंने कहा था कि कृषि कानून किसानों के हित में है. लेकिन उनके ये सारे दावे हवा हवाई होते दिखाई दे रहे हैं.

ये हम इसलिए कह रहे हैं कि हाल ही में ईटीवी भारत ने धान की खरीद को लेकर बल्लभगढ़ की अनाज मंडी का जायजा लिया. इस दौरान पता चला कि अनाज मंडी में एमएसपी पर धान की खरीद नहीं की जा रही है. जिसके चलते किसान अपना धान ओने पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि मंडी में अभी तक दो बार सरकारी रेट पर धान की खरीद की गई है.

बल्लभगढ़ अनाज मंडी में MSP पर नहीं खरीदा जा रहा धान

बल्लभगढ़ की धान मंडी में धान की खरीद सरकारी एजेंसी हाउस की तरफ से की जा रही है. 6 अक्टूबर से लेकर अभी तक कुल 1382 क्विंटल धान की खरीद सरकारी रेट पर की गई है. जबकि निजी खरीददारों के द्वारा 32718 क्विंटल धान खरीदा जा चुका है. किसानों का कहना है कि कृषि कानून को लेकर बीजेपी सरकार द्वारा बड़े-बड़े दावे किए गए थे. लेकिन उनके सारे दावे फेल हो रहे हैं. उनका कहना है कि किसानों को आज भी फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा है.

किसानों का कहना है कि जो बासमती चावल 2800 रुपये प्रति क्विंटल तक खरीदा जाता था. आज वो 1600 से लेकर 1900 तक खरीदा जा रहा है. वहीं बल्लभगढ़ मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी ऋषि पाल ने बताया कि मड़ी में अभी तक दो बार सरकारी एजेंसी द्वारा खरीद की गई है. उनका कहना है कि अगर किसानों को दूसरी मंडियों में फसल के भाव के बारे में जानकारी चाहिए तो वो किसान सहायता केंद्र फोन कर पता कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: अंबाला की इस जांबाज अफसर को मिला युद्ध सेवा पदक, की थी विंग कमांडर अभिनंदन की मदद

बता दें कि एक तरफ सरकार किसानों की आय दोगुना करने के दावे कर रही है. लेकिन वहीं दूसरी तरफ किसानों की आय लगातार घटती जा रही है. ये हम इसलिए कह रहे हैं कि क्योंकि प्रदेशभर की ज्यादातर मंडियों में सरकारी खरीद नहीं हो पा रही है. जिसक चलते किसानों को अपनी फसल ओने पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है. अब देखना होगा कि कब तक धान की सरकारी खरीद सुचारू रूप से हो पाती है.

फरीदाबाद: कृषि कानून को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, कृषि मंत्री जेपी दलाल और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने किसानों से बड़े-बड़े दावे किए थे. उन्होंने कहा था कि कृषि कानून आने के बाद किसान की फसल एमएसपी पर ही खरीदी जाएगी. उन्होंने कहा था कि कृषि कानून किसानों के हित में है. लेकिन उनके ये सारे दावे हवा हवाई होते दिखाई दे रहे हैं.

ये हम इसलिए कह रहे हैं कि हाल ही में ईटीवी भारत ने धान की खरीद को लेकर बल्लभगढ़ की अनाज मंडी का जायजा लिया. इस दौरान पता चला कि अनाज मंडी में एमएसपी पर धान की खरीद नहीं की जा रही है. जिसके चलते किसान अपना धान ओने पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि मंडी में अभी तक दो बार सरकारी रेट पर धान की खरीद की गई है.

बल्लभगढ़ अनाज मंडी में MSP पर नहीं खरीदा जा रहा धान

बल्लभगढ़ की धान मंडी में धान की खरीद सरकारी एजेंसी हाउस की तरफ से की जा रही है. 6 अक्टूबर से लेकर अभी तक कुल 1382 क्विंटल धान की खरीद सरकारी रेट पर की गई है. जबकि निजी खरीददारों के द्वारा 32718 क्विंटल धान खरीदा जा चुका है. किसानों का कहना है कि कृषि कानून को लेकर बीजेपी सरकार द्वारा बड़े-बड़े दावे किए गए थे. लेकिन उनके सारे दावे फेल हो रहे हैं. उनका कहना है कि किसानों को आज भी फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा है.

किसानों का कहना है कि जो बासमती चावल 2800 रुपये प्रति क्विंटल तक खरीदा जाता था. आज वो 1600 से लेकर 1900 तक खरीदा जा रहा है. वहीं बल्लभगढ़ मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी ऋषि पाल ने बताया कि मड़ी में अभी तक दो बार सरकारी एजेंसी द्वारा खरीद की गई है. उनका कहना है कि अगर किसानों को दूसरी मंडियों में फसल के भाव के बारे में जानकारी चाहिए तो वो किसान सहायता केंद्र फोन कर पता कर सकते हैं.

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बता दें कि एक तरफ सरकार किसानों की आय दोगुना करने के दावे कर रही है. लेकिन वहीं दूसरी तरफ किसानों की आय लगातार घटती जा रही है. ये हम इसलिए कह रहे हैं कि क्योंकि प्रदेशभर की ज्यादातर मंडियों में सरकारी खरीद नहीं हो पा रही है. जिसक चलते किसानों को अपनी फसल ओने पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है. अब देखना होगा कि कब तक धान की सरकारी खरीद सुचारू रूप से हो पाती है.

Last Updated : Oct 9, 2020, 9:32 PM IST
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