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Apple Crop In Faridabad: हिमाचल, जम्मू-कश्मीर में ही नहीं अब हरियाणा में भी हो रही सेब की खेती

उद्योग नगरी के लिए जाने जाने वाला फरीदाबाद अब सेब की खेती के लिए भी जाना जाएगा. दरअसल फरीदाबाद के गांव शाहपुरा के किसान नरेश ने 45 डिग्री तापमान में सेब के पौधे लगाकर अंभव को संभव कर दिखाया है. पढ़ें पूरी खबर...

farmer naresh prepared apple crop
शाहपुरा में सेब की खेती
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Published : Jun 2, 2022, 3:20 PM IST

फरीदाबाद: देश के ठंडे प्रदेशों हिमाचल और जम्मू कश्मीर में सेब के बगीचे एक आम बात है. लेकिन जहां भीषण गर्मी पड़ती हो वहां सेब का पेड़ उगाना ही एक बड़ी बात होगी. ऐसा ही एक कारनामा कर दिखाया है फरीदाबाद के किसान नरेश ने. दरअसल नरेश ने 45 डिग्री तापमान में सेब की फसल उगा कर सभी को अचंबित कर दिया है. बता दें, फरीदाबाद को अब तक केवल उद्योगों के लिए जाना जाता है, लेकिन अब फरीदाबाद को सेब की खेती के लिए भी जाना जा रहा है.

फरीदाबाद के गांव शाहपुरा के किसान नरेश ने वर्ष 2019 से सेब की खेती कर रहे (farmer naresh prepared apple crop) हैं और अब सेब के पेड़ पर फल लगना शुरू हो गए हैं. जुलाई महीने में इन पेड़ से निकलकर सेब मार्केट में पहुंच जाएगा. नरेश ने बताया कि 2019 में ज्यादा बारिश होने के कारण उनकी धान की फसल खराब हो गई थी जिसके बाद उनके पिता ने उनको कोई दूसरी खेती करने की सलाह दी. जिसके बाद नरेश ने यूट्यूब पर एक किसान हरि सिंह का वीडियो देखा जिससे प्रेरित होकर वह उनसे मिलने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले गए.

फरीदाबाद में सेब की खेती

जहां हरि सिंह ने उन्हें करीब सेब के 170 छोटे पौधे दिए. नरेश ने वर्तमान में सेब के तीन किस्म के पौधे लगाए हुए हैं. जिसमें सेब की अन्ना, गोल्डन और हरमन 99 किस्म शामिल है. करीब 1 एकड़ में उन्होंने सेब की खेती की है. नरेश को उम्मीद है कि जुलाई में जब सेब की फसल मंडी पहुंचेगी तो उनको पहली ही फसल में अच्छा मुनाफा होगा. हरियाणा कि करनाल में ही केवल सेब की खेती हो रही है. फरीदाबाद में वह पहली बार और प्रथम किसान है जो सेब की खेती कर रहे हैं. साल भर का करीब ₹100000 का खर्चा सेब की फसल पर हो रहा है और उनको उम्मीद है कि जब पहली फसल जुलाई में मार्केट पहुंचेगी तो एक ही फसल पर उन्हें डेढ़ लाख के करीब मुनाफा होगा.

फरीदाबाद में सेब की खेती में इन परेशानियों का करना पड़ सकता है सामना: फरीदाबाद जैसे गर्म तापमान वाले क्षेत्र में सेब की खेती के लिए सबसे बड़ी परेशान तापमान की है. गर्मी के मौसम में तापमान 45 डिग्री से भी ज्यादा पहुंच गया है. उद्योग ज्यादा होने के कारण प्रदूषण का स्तर भी ज्यादा रहता है जिसका असर पौधे से निकले सेब पर पढ़ रहा है. प्रदूषण ज्यादा होने के कारण सेब के रंग और उसके वजन पर भी फर्क पड़ रहा है. ठंडे इलाके में होने वाले सेब के मुकाबले यहां उगने वाले सेब का रंग और वजन अलग हो सकता है. किसान को तापमान को सामान्य रखने और दूसरी दवाइयों में लागत ज्यादा पड़ सकती है.

farmer naresh prepared apple crop
फरीदाबाद में सेब की खेती

सेब की फसल पर क्या बोले कृषि एक्सपर्ट: कृषि एक्सपर्ट महावीर मलिक ने बताया कि फरीदाबाद में पैदा होने वाले सेब और ठंडे इलाके में लगने वाले सेब में काफी अंतर होगा. उन्होंने बताया कि दोनों जगह के सेबों के स्वाद में अंतर तो होगा ही साथ ही वजन में भी अंतर होगा. उन्होंने कहा कि सेब को ठंडे तापमान की आवश्यकता सबसे ज्यादा रहती है और पहाड़ों पर जो वातावरण सेब को मिलता है वह फरीदाबाद जैसे इलाके में मिल पाना नामुमकिन है. इसके साथ ही किसान की लागत भी ठंडे इलाके में लगने वाली लागत से ज्यादा महंगी पड़ेगी. तापमान को ठंडा रखने के लिए किसानों को बार-बार खेत में पानी देना होगा.

सेब की खेती के लिए एक्सपर्ट की राय बेहद जरूरी: उन्होंने कहा कि ज्यादा तापमान के कारण यहां पर कीटनाशक दवाइयों का ज्यादा प्रयोग हो रहा है. उनका मानना है कि प्रदूषण के कारण सेब के रंग पर भी फर्क पड़ रहा है जिसका असर सेब के मार्केट में आने पर पड़ सकता है और मार्केट में ठंडे इलाके में होने वाले सेब की तुलना में कम भाव यहां के सेब को मिलेगा. उन्होंने कहा कि अगर किसान इसकी खेती कर रहा है तो समय-समय पर किसी एक्सपर्ट की राय बेहद जरूरी है.

इजरायल की अन्ना प्रजाति का सेब अधिक तापमान पर भी फल जाता है. दूसरे सेब के मुकाबले यह जल्दी पकता है. इसकी फसल जून में ही तैयार हो जाती है जबकि दूसरे प्रजाति के सेब जुलाई में तैयार हो जाते हैं. तीसरे साल में यह प्रजाति का पेड़ फल देना शुरू कर देता है और करीब 10 साल तक इससे फल लिया जा सकता है. हालांकि इसकी क्वालिटी उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले सेब से कम होती है. 42 डिग्री तक भी तापमान में यह पौधा फल जाता है. बाकी बची 2 प्रजातियों गोल्डन और हरमन इन्हें ठंडे तापमान की आवश्यकता होती है. साल के 2 महीने 7 डिग्री तक का तापमान उनके लिए चाहिए होता है.

फरीदाबाद: देश के ठंडे प्रदेशों हिमाचल और जम्मू कश्मीर में सेब के बगीचे एक आम बात है. लेकिन जहां भीषण गर्मी पड़ती हो वहां सेब का पेड़ उगाना ही एक बड़ी बात होगी. ऐसा ही एक कारनामा कर दिखाया है फरीदाबाद के किसान नरेश ने. दरअसल नरेश ने 45 डिग्री तापमान में सेब की फसल उगा कर सभी को अचंबित कर दिया है. बता दें, फरीदाबाद को अब तक केवल उद्योगों के लिए जाना जाता है, लेकिन अब फरीदाबाद को सेब की खेती के लिए भी जाना जा रहा है.

फरीदाबाद के गांव शाहपुरा के किसान नरेश ने वर्ष 2019 से सेब की खेती कर रहे (farmer naresh prepared apple crop) हैं और अब सेब के पेड़ पर फल लगना शुरू हो गए हैं. जुलाई महीने में इन पेड़ से निकलकर सेब मार्केट में पहुंच जाएगा. नरेश ने बताया कि 2019 में ज्यादा बारिश होने के कारण उनकी धान की फसल खराब हो गई थी जिसके बाद उनके पिता ने उनको कोई दूसरी खेती करने की सलाह दी. जिसके बाद नरेश ने यूट्यूब पर एक किसान हरि सिंह का वीडियो देखा जिससे प्रेरित होकर वह उनसे मिलने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले गए.

फरीदाबाद में सेब की खेती

जहां हरि सिंह ने उन्हें करीब सेब के 170 छोटे पौधे दिए. नरेश ने वर्तमान में सेब के तीन किस्म के पौधे लगाए हुए हैं. जिसमें सेब की अन्ना, गोल्डन और हरमन 99 किस्म शामिल है. करीब 1 एकड़ में उन्होंने सेब की खेती की है. नरेश को उम्मीद है कि जुलाई में जब सेब की फसल मंडी पहुंचेगी तो उनको पहली ही फसल में अच्छा मुनाफा होगा. हरियाणा कि करनाल में ही केवल सेब की खेती हो रही है. फरीदाबाद में वह पहली बार और प्रथम किसान है जो सेब की खेती कर रहे हैं. साल भर का करीब ₹100000 का खर्चा सेब की फसल पर हो रहा है और उनको उम्मीद है कि जब पहली फसल जुलाई में मार्केट पहुंचेगी तो एक ही फसल पर उन्हें डेढ़ लाख के करीब मुनाफा होगा.

फरीदाबाद में सेब की खेती में इन परेशानियों का करना पड़ सकता है सामना: फरीदाबाद जैसे गर्म तापमान वाले क्षेत्र में सेब की खेती के लिए सबसे बड़ी परेशान तापमान की है. गर्मी के मौसम में तापमान 45 डिग्री से भी ज्यादा पहुंच गया है. उद्योग ज्यादा होने के कारण प्रदूषण का स्तर भी ज्यादा रहता है जिसका असर पौधे से निकले सेब पर पढ़ रहा है. प्रदूषण ज्यादा होने के कारण सेब के रंग और उसके वजन पर भी फर्क पड़ रहा है. ठंडे इलाके में होने वाले सेब के मुकाबले यहां उगने वाले सेब का रंग और वजन अलग हो सकता है. किसान को तापमान को सामान्य रखने और दूसरी दवाइयों में लागत ज्यादा पड़ सकती है.

farmer naresh prepared apple crop
फरीदाबाद में सेब की खेती

सेब की फसल पर क्या बोले कृषि एक्सपर्ट: कृषि एक्सपर्ट महावीर मलिक ने बताया कि फरीदाबाद में पैदा होने वाले सेब और ठंडे इलाके में लगने वाले सेब में काफी अंतर होगा. उन्होंने बताया कि दोनों जगह के सेबों के स्वाद में अंतर तो होगा ही साथ ही वजन में भी अंतर होगा. उन्होंने कहा कि सेब को ठंडे तापमान की आवश्यकता सबसे ज्यादा रहती है और पहाड़ों पर जो वातावरण सेब को मिलता है वह फरीदाबाद जैसे इलाके में मिल पाना नामुमकिन है. इसके साथ ही किसान की लागत भी ठंडे इलाके में लगने वाली लागत से ज्यादा महंगी पड़ेगी. तापमान को ठंडा रखने के लिए किसानों को बार-बार खेत में पानी देना होगा.

सेब की खेती के लिए एक्सपर्ट की राय बेहद जरूरी: उन्होंने कहा कि ज्यादा तापमान के कारण यहां पर कीटनाशक दवाइयों का ज्यादा प्रयोग हो रहा है. उनका मानना है कि प्रदूषण के कारण सेब के रंग पर भी फर्क पड़ रहा है जिसका असर सेब के मार्केट में आने पर पड़ सकता है और मार्केट में ठंडे इलाके में होने वाले सेब की तुलना में कम भाव यहां के सेब को मिलेगा. उन्होंने कहा कि अगर किसान इसकी खेती कर रहा है तो समय-समय पर किसी एक्सपर्ट की राय बेहद जरूरी है.

इजरायल की अन्ना प्रजाति का सेब अधिक तापमान पर भी फल जाता है. दूसरे सेब के मुकाबले यह जल्दी पकता है. इसकी फसल जून में ही तैयार हो जाती है जबकि दूसरे प्रजाति के सेब जुलाई में तैयार हो जाते हैं. तीसरे साल में यह प्रजाति का पेड़ फल देना शुरू कर देता है और करीब 10 साल तक इससे फल लिया जा सकता है. हालांकि इसकी क्वालिटी उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले सेब से कम होती है. 42 डिग्री तक भी तापमान में यह पौधा फल जाता है. बाकी बची 2 प्रजातियों गोल्डन और हरमन इन्हें ठंडे तापमान की आवश्यकता होती है. साल के 2 महीने 7 डिग्री तक का तापमान उनके लिए चाहिए होता है.

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