फरीदाबाद: प्रदूषण के मामले में औद्योगिक नगरी के हालात नहीं सुधर नहीं रहे हैं. प्रदूषण ने एक तरफ जहां शहर की फिजा को बिगाड़ दिया है, वहीं लोगों की सेहत को भी बुरी तरह प्रभावित किया है. अगर ऐसी ही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में समस्या और बढ़ सकती है.
पॉलिटिकल लीडर्स पोजिशन एंड एक्शन एंड एयर क्वालिटी इन इंडिया 2014-19 ने जो ताजा जानकारी दी है. उस रिपोर्ट 'क्लाइमेट ट्रेंड्स' के अनुसार उसमें 15 प्रदूषित शहरों की सूची में 14 शहर भारत के हैं. फरीदाबाद जिला प्रदूषित शहरों की सूची में दूसरे स्थान पर है. शहर के प्रदूषण की मौजूदा स्थिति की बात करें तो केंद्रीय नियंत्रण प्रदूषण बोर्ड की साइट पर आम दिनों में भी पीएम 2.5 की मात्रा 350 से अधिक है. कई बार यह मात्रा 400 को भी पार कर जाती है. जो कि तय मानक से छह गुना से भी अधिक है.
पर्यावरणविदों के अनुसार प्रदूषण को बढ़ाने में काफी हद तक आमजन जिम्मेदार है. सरकारी तंत्र की लापरवाही की वजह से अभी तक फरीदाबाद में कूड़े का सटीक निस्तारण शुरू नहीं हो सका है. शहर में जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर से प्रदूषण बढ़ रहा है. औद्योगिक इकाइयों से निकलता धुआं और कई जगह पत्ते और कचरे को जलाए जाने से भी प्रदूषण बढ़ा है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि धूल, धुआं और अन्य प्रकार से वायु प्रदूषण कई बीमारियां पैदा कर रहा है. खुले में पड़े कूड़े के ढेर, पराली का जलना, सड़कों पर उड़ती धूल तथा कूड़े का जलाया जाना प्रदूषण बढ़ने का प्रमुख कारण है. वायु प्रदूषण पर काबू पाने में शासन-प्रशासन ने अब तक गंभीरता नहीं बरती. वन क्षेत्र में भी निर्माण हो रहे हैं. प्रदूषण वातावरण में सांस लेना मुश्किल हो रहा है. जब तक सरकार गंभीरता नहीं बरतेगी, सुधार नहीं होगा.
शहर में बढते प्रदूषण के लिए कई प्रमुख कारण है जैसे की घरों से कचरा निकालकर खुले स्थानों पर डाल दिया जाता है. सारी हदे उस समय पार हो जाती है. जब उस कचरे के ढेर में आग लगा दी जाती है. फिर ये आग धीरे-धीरे करके कई दिनों तक चलती रहती है. कचरे के ढेर में कई प्रकार के वैस्ट कैमिकल भी होते है. जिनसे जहरीली गैसे निलकती है. ऐसे में सांस के मरीजो को सबसे ज्यादा परेशानीयों का सामना करना पडता है. प्रदूषण का असर हवा में ही नहीं पानी में भी इसका असर देखने को मिल रहा है.