चंडीगढ़ः नए कृषि कानूनों (three new farm laws) के खिलाफ किसान दिल्ली के चारों ओर लगभग 7 महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच सर्दी, बरसात या गर्मी कोई भी अड़चन अभी तक किसानों को डिगा नहीं पाई है, लेकिन हां पिछले कुछ वक्त से प्रदर्शन स्थलों पर किसानों की संख्या कम हुई है. जिस पर सरकार कहती है कि अब ये आंदोलन किसानों का नहीं रहा बल्कि कुछ लोगों का व्यक्तिगत एजेंडा बन गया है. इस सब के बीच किसानों ने शनिवार को पूरे देश में राज्यपालों को एक ज्ञापन सौंपने का प्लान बनाया, जिसके जरिए वो राष्ट्रपति तक अपनी बात पहुंचाना चाहते थे.
हरियाणा के किसान भी अपने इसी प्लान के साथ योगेंद्र यादव की अहुवाई में पंचकूला से इकट्ठा होकर चंडीगढ़ के लिए रवाना हुए, लेकिन हरियाणा पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए जगह-जगह बैरिकेड लगा रखे थे. फिर भी किसान कहां रुकने वाले थे उन्होंने तमाम बैरिकेड तोड़ दिए और पैदल मार्च करते हुए चंडीगढ़ की तरफ बढ़ गए. जब चंडीगड़ बॉर्डर पर किसान पहुंचे तो वहां भारी तादााद में हरियाणा पुलिस और चंडीगढ़ पुलिस दोनों ने डेरा डाल रखा था.
भारी संख्या में पुलिस की तैनाती की वजह से किसानों को काफी वक्त तक रुकना पड़ा, लेकिन उन्हें चंडीगढ़ राजभवन तक जाना था, यही प्लान था. फिर भी किसान चंडीगढ़ में नहीं गए.
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किसानों के चंडीगढ़ ना जाने की वजह थी कि राज्यपाल के एडीसी बॉर्डर पर ही पहुंच गए और उन्होंने किसानों से कहा कि अपना ज्ञापन यहीं सौंप दें वो राज्यपाल तक पहुंचा देंगे. जिस पर किसान मान गए क्योंकि किसानों का मकसद राजभवन कूच या उसके घेराव का नहीं था बल्कि उन्होंने पहले ही साफ कर दिया था कि वो शांतिपूर्ण तरीके से केवल राज्यपाल को ज्ञापन देना चाहते हैं. इसलिए किसानों ने राज्यपाल के नुमाइंदे के तौर पर पहुंचे एडीसी को ज्ञापन सौंपा और वापस चले गए. उन्हें चंडीगढ़ जाने की जरूरत ही नहीं पड़ी.
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