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Rajya Sabha elections: क्या आप जानते हैं राज्यसभा का चुनाव कैसे होता है, जानिए मतदान की पूरी प्रक्रिया

राज्यसभा राज्यसभा चुनाव में मतदान दूसरे आम चुनावों जैसा नहीं होता है. राज्यसभा में वोटिंग के तरीके और नियम अलग बाकी चुनावों से अलग होता है. क्या आप जानते हैं कि राज्यसभा में वोटिंग (Rules of voting in Rajya Sabha elections) कैसे होती है. राज्यसभा चुनाव में न्यूनतम वोट का फॉर्मूला क्या है. विधायकों के मत कैसे खारिज होतें हैं. साथ ही चुनाव आयोग का पेन देने का नियम क्या है. आइये आपको बताते हैं राज्यसभा चुनाव में मतदान की प्रक्रिया.

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Published : Jun 6, 2022, 10:23 PM IST

Rules of voting in Rajya Sabha elections
Rules of voting in Rajya Sabha elections

चंडीगढ़: आगामी 10 जून को देश में राज्यसभा की खाली सीटों के लिए चुनाव होना है. कार्तिकेय शर्मा के तीसरे प्रत्याशी के तौर पर नामांकन के बाद अब हरियाणा में दो राज्यसभा (Rajya Sabha elections in Haryana) सीटों के लिए मतदान तय हो गया है. राज्यसभा चुनाव लोकसभा या विधानसभा चुनावों की तरह नहीं होता है. जिसमें आम नागरिक वोट करता है और बाद मतों की गिनती करके किसी एक उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया जाता है. राज्यसभा चुनाव मतदान की प्रक्रिया अलग होती है. वोट करने वाले विधानसभा में आम लोगों द्वारा चुनकर आए विधायक होते हैं. जो अपने मतदान से इन चुनावों में राज्यसभा उम्मीदवार की जीत या हार तय करते हैं.

राज्यसभा चुनाव में न्यूनतम वोट का नियम- राज्यसभा चुनाव की वोटिंग का एक तय फार्मूला (Minimum vote formula in Rajya Sabha elections) होता है. वह यह है कि किसी प्रदेश में कितनी राज्यसभा सीटें हैं. उसमें एक जोड़ा जाता है. राज्यसभा सीटों में एक जोड़ने के बाद जो संख्या आती है उससे राज्य की कुल विधानसभा सीटों की संख्या को भाग दिया जाता है. भाग देने के बाद जो संख्या आती है उसमें फिर एक जोड़ दिया जाता है. अब जो नतीजा आयेगा वही एक सीट के लिए जरूरी मत होंगे. एक उम्मीदवार को कितने न्यूनतम विधायकों का मत चाहिए इसे एक उदाहरण से समझिए. अभी हरियाणा में 2 राज्यसभा सीटों के लिए मतदान होना है. इस 2 में एक जोड़ा जाये तो यह 3 हो जायेगा. हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. अब 90 को 3 से भाग देने पर संख्या आई 30. अब जब 30 में एक जोड़ा जाएगा तो यह 31 हुआ. यानि किसी भी उम्मीदवार को जीतने के लिए 31 प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी.

यहां यह भी ध्यान देना होगा कि एक विधायक एक से अधिक वोट कर सकता है. लेकिन ऐसे में वह उम्मीदवार को वरीयता क्रम यानि पहली प्रेफरेंस वोट और दूसरी प्रेफरेंस के हिसाब से वोट देता है. कुल मिलाकर हरियाणा में पहले उम्मीदवार को 31 प्राथमिक वोट की जरुरत होगी. ऐसे में जब 90 में से 31 वोट अलग हो जाएंगे तो ऐसे में दूसरे उम्मीदवार को वोट करने वाले विधायकों की संख्या 59 रह जाएगी. जिसकी वजह से दूसरी सीट पर जीतने वाले को कम से कम 30 वोट की आवश्यकता रहेगी.

राज्यसभा चुनाव में मतदान का नियम- राज्यसभा चुनाव के लिए कुछ तय नियम (Rules of voting in Rajya Sabha elections) होते हैं. इस चुनाव में वोटर यानि विधायक आम चुनावों यानि लोकसभा या विधानसभा चुनावों की तरह आपना वोट किसी को दिखाए बिना नहीं डालता है. जिस भी पार्टी का विधायक होता है उसे अपनी पार्टी के पोलिंग ऐजेंट को अपने बैलेट पेपर को दिखाना जरूरी होता है. अगर वो नहीं दिखाता है तो वोट खारिज हो जाता है. इसके साथ ही दूसरी पार्टी के पोलिंग ऐजेंट को भी अगर विधायक ने बैलेट पेपर दिखाया तो भी उसका वोट रद्द हो जाता है. हालांकि यह नियम सिर्फ राजनीतिक पार्टियों के विधायकों पर लागू होते हैं. निर्दलीय विधायक पर यह नियम लागू नहीं होते. वो छिपाकर वोट डाल सकते हैं. लेकिन अगर राजनीतिक दल के विधायक नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उनका वोट रद्द हो जाता है.

जितने विधायकों का वोट कैंसिल होगा उतनी संख्या कुल विधायकों की संख्या से कम हो जाती है. इस हिसाब से उम्मीदवार की जीत का आंकड़ा भी उतना कम हो जायेगा. साथ ही विधायक को वोट डालते वक्त अपनी पहली और दूसरी पसंद के उम्मीदवार चुनना होता है. यदि उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता का वोट मिल जाता है तो वह जीत जाता है नहीं तो इसके लिए चुनाव होता है. इसके अलावा राज्यसभा चुनाव में खास तरह का पेन और खास तरह की स्याही जोकि पर्पल कलर की होती है उसका का इस्तेमाल होता है. यह पेन चुनाव आयोग की तरफ से दिया जाता है. एक पेन का इस्तेमाल एक ही बार किया जाता है. पेन का इस्तेमाल करने के बाद उसको चुनाव अधिकारी को दिया जाता है. यह स्याही कर्नाटक के मैसूर में तैयार होती है. जो लंबे वक्त तक नहीं मिटती है. ऐसा इसलिए होता है कि कई बार चुनावों में गड़बड़ी के आरोपों के चलते अलग-अलग लोग याचिकाएं लगा देते हैंं तो ऐसे में अगर स्याही जल्दी मिट गई तो परेशानी हो सकती है.

राज्यसभा चुनाव में पेन का नियम- अगर कोई विधायक निर्धारित स्याही वाले पेन (Pen rule in Rajya Sabha elections) की जगह किसी अन्य पेन का इस्तेमाल करता है तो उसका वोट खारिज हो जाता है. जैसा कि साल 2016 के जून महीने में हरियाणा की विधानसभा में राज्यसभा चुनावों में इसी स्याही के विवाद की वजह से कांग्रेस के 14 वोट रद्द हो गए थे. इन 14 विधायकों के मत पत्र पर चुनाव आयोग की दी गई पेन की जगह किसी और पेन की स्याही पाई गई थी. उस विवाद को ध्यान में रखते हुए इस बार हरियाणा में राज्यसभा चुनावों में सभी विधायकों को अलग-अलग पेन दिए जाएंगे. जिससे इस बार फिर किसी तरह का विवाद न हो. समान्यतौर पर राज्यसभा चुनावों एक ही पेन का इस्तेमाल होता है.

ये भी पढ़ें-हरियाणा में राज्यसभा की खाली हो रहीं 2 सीटों पर होगी कांटे की टक्कर, कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है बीजेपी-जेजेपी

चंडीगढ़: आगामी 10 जून को देश में राज्यसभा की खाली सीटों के लिए चुनाव होना है. कार्तिकेय शर्मा के तीसरे प्रत्याशी के तौर पर नामांकन के बाद अब हरियाणा में दो राज्यसभा (Rajya Sabha elections in Haryana) सीटों के लिए मतदान तय हो गया है. राज्यसभा चुनाव लोकसभा या विधानसभा चुनावों की तरह नहीं होता है. जिसमें आम नागरिक वोट करता है और बाद मतों की गिनती करके किसी एक उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया जाता है. राज्यसभा चुनाव मतदान की प्रक्रिया अलग होती है. वोट करने वाले विधानसभा में आम लोगों द्वारा चुनकर आए विधायक होते हैं. जो अपने मतदान से इन चुनावों में राज्यसभा उम्मीदवार की जीत या हार तय करते हैं.

राज्यसभा चुनाव में न्यूनतम वोट का नियम- राज्यसभा चुनाव की वोटिंग का एक तय फार्मूला (Minimum vote formula in Rajya Sabha elections) होता है. वह यह है कि किसी प्रदेश में कितनी राज्यसभा सीटें हैं. उसमें एक जोड़ा जाता है. राज्यसभा सीटों में एक जोड़ने के बाद जो संख्या आती है उससे राज्य की कुल विधानसभा सीटों की संख्या को भाग दिया जाता है. भाग देने के बाद जो संख्या आती है उसमें फिर एक जोड़ दिया जाता है. अब जो नतीजा आयेगा वही एक सीट के लिए जरूरी मत होंगे. एक उम्मीदवार को कितने न्यूनतम विधायकों का मत चाहिए इसे एक उदाहरण से समझिए. अभी हरियाणा में 2 राज्यसभा सीटों के लिए मतदान होना है. इस 2 में एक जोड़ा जाये तो यह 3 हो जायेगा. हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. अब 90 को 3 से भाग देने पर संख्या आई 30. अब जब 30 में एक जोड़ा जाएगा तो यह 31 हुआ. यानि किसी भी उम्मीदवार को जीतने के लिए 31 प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी.

यहां यह भी ध्यान देना होगा कि एक विधायक एक से अधिक वोट कर सकता है. लेकिन ऐसे में वह उम्मीदवार को वरीयता क्रम यानि पहली प्रेफरेंस वोट और दूसरी प्रेफरेंस के हिसाब से वोट देता है. कुल मिलाकर हरियाणा में पहले उम्मीदवार को 31 प्राथमिक वोट की जरुरत होगी. ऐसे में जब 90 में से 31 वोट अलग हो जाएंगे तो ऐसे में दूसरे उम्मीदवार को वोट करने वाले विधायकों की संख्या 59 रह जाएगी. जिसकी वजह से दूसरी सीट पर जीतने वाले को कम से कम 30 वोट की आवश्यकता रहेगी.

राज्यसभा चुनाव में मतदान का नियम- राज्यसभा चुनाव के लिए कुछ तय नियम (Rules of voting in Rajya Sabha elections) होते हैं. इस चुनाव में वोटर यानि विधायक आम चुनावों यानि लोकसभा या विधानसभा चुनावों की तरह आपना वोट किसी को दिखाए बिना नहीं डालता है. जिस भी पार्टी का विधायक होता है उसे अपनी पार्टी के पोलिंग ऐजेंट को अपने बैलेट पेपर को दिखाना जरूरी होता है. अगर वो नहीं दिखाता है तो वोट खारिज हो जाता है. इसके साथ ही दूसरी पार्टी के पोलिंग ऐजेंट को भी अगर विधायक ने बैलेट पेपर दिखाया तो भी उसका वोट रद्द हो जाता है. हालांकि यह नियम सिर्फ राजनीतिक पार्टियों के विधायकों पर लागू होते हैं. निर्दलीय विधायक पर यह नियम लागू नहीं होते. वो छिपाकर वोट डाल सकते हैं. लेकिन अगर राजनीतिक दल के विधायक नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उनका वोट रद्द हो जाता है.

जितने विधायकों का वोट कैंसिल होगा उतनी संख्या कुल विधायकों की संख्या से कम हो जाती है. इस हिसाब से उम्मीदवार की जीत का आंकड़ा भी उतना कम हो जायेगा. साथ ही विधायक को वोट डालते वक्त अपनी पहली और दूसरी पसंद के उम्मीदवार चुनना होता है. यदि उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता का वोट मिल जाता है तो वह जीत जाता है नहीं तो इसके लिए चुनाव होता है. इसके अलावा राज्यसभा चुनाव में खास तरह का पेन और खास तरह की स्याही जोकि पर्पल कलर की होती है उसका का इस्तेमाल होता है. यह पेन चुनाव आयोग की तरफ से दिया जाता है. एक पेन का इस्तेमाल एक ही बार किया जाता है. पेन का इस्तेमाल करने के बाद उसको चुनाव अधिकारी को दिया जाता है. यह स्याही कर्नाटक के मैसूर में तैयार होती है. जो लंबे वक्त तक नहीं मिटती है. ऐसा इसलिए होता है कि कई बार चुनावों में गड़बड़ी के आरोपों के चलते अलग-अलग लोग याचिकाएं लगा देते हैंं तो ऐसे में अगर स्याही जल्दी मिट गई तो परेशानी हो सकती है.

राज्यसभा चुनाव में पेन का नियम- अगर कोई विधायक निर्धारित स्याही वाले पेन (Pen rule in Rajya Sabha elections) की जगह किसी अन्य पेन का इस्तेमाल करता है तो उसका वोट खारिज हो जाता है. जैसा कि साल 2016 के जून महीने में हरियाणा की विधानसभा में राज्यसभा चुनावों में इसी स्याही के विवाद की वजह से कांग्रेस के 14 वोट रद्द हो गए थे. इन 14 विधायकों के मत पत्र पर चुनाव आयोग की दी गई पेन की जगह किसी और पेन की स्याही पाई गई थी. उस विवाद को ध्यान में रखते हुए इस बार हरियाणा में राज्यसभा चुनावों में सभी विधायकों को अलग-अलग पेन दिए जाएंगे. जिससे इस बार फिर किसी तरह का विवाद न हो. समान्यतौर पर राज्यसभा चुनावों एक ही पेन का इस्तेमाल होता है.

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