चंडीगढ़: आज वरलक्ष्मी पूजा है. श्रावण माह की पूर्णिमा से ठीक पहले शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए वरलक्ष्मी का व्रत किया जाता है. वरलक्ष्मी व्रत मुख्यत: दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है, लेकिन इसके चमत्कारिक प्रभाव के कारण अब उत्तर भारत में भी कई राज्यों में यह व्रत किया जाने लगा है. विष्णु पुराण और नारद पुराण में इस व्रत के बारे में उल्लेख है कि जो व्यक्ति वरलक्ष्मी व्रत करता है वह धन, वैभव, संपत्ति और उत्तम संतान से युक्त होता है.
वरलक्ष्मी व्रत श्रावण पूर्णिमा अर्थात् रक्षाबंधन से ठीक पहले आने वाले शुक्रवार को किया जाता है. इस साल श्रावण पूर्णिमा 22 अगस्त को आ रही है, उससे पहले का शुक्रवार आज है, इसलिए आज वरलक्ष्मी व्रत है. यह व्रत आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर किया जाता है. इस बार वरलक्ष्मी व्रत के दिन प्रदोष, सर्वार्थसिद्धि योग और रवियोग का शुभ संयोग बन रहा है जो अधिक सिद्धिदायक होगा.
वरलक्ष्मी व्रत केवल विवाहित महिलाएं ही कर सकती हैं. कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत करना वर्जित है. परिवार के सुख और संपन्नता के लिए विवाहित पुरुष भी यह व्रत कर सकते हैं, यदि पति-पत्नी दोनों साथ में यह व्रत रखें तो दोगुना फल प्राप्त होता है. व्रत के प्रभाव से जीवन के समस्त अभाव दूर हो जाते हैं. आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं और व्रती के जीवन में धन का आगमन आसान हो जाता है.
वरलक्ष्मी की उत्पत्ति क्षीरसागर से मानी गई है. गौर वर्ण की यह देवी दुग्ध के समान धवल वस्त्र धारण किए रहती है. इस दिन महिलाएं और पुरुष व्रत रखें. लक्ष्मी की पूजा ठीक उसी प्रकार की जाती है जैसे दीपावली पर लक्ष्मी पूजा की जाती है. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर एक कलश सजाकर उस पर श्वेत रंग की रेशमी साड़ी सजाई की जाती है. वरलक्ष्मी को विभिन्न प्रकार के सुगंधित पुष्प, मिठाई अर्पित किए जाते हैं.
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