चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा में वित्त वर्ष 2021-22 की शुरुआत नए सुधार संकल्पों के साथ हुई. विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने बैठक कर इस वर्ष के लिए गठित विधानसभा की समितियों के सभापतियों को कुशल कार्यशैली के गुर बताएं तो सभापतियों ने गत वर्षों के अनुभव और भविष्य के सुधार कार्यक्रमों की योजनाएं प्रस्तुत कीं.
गुप्ता ने कहा कि नए वित्त वर्ष के पहले तीन माह सिर्फ और सिर्फ गत वर्ष की क्रियान्वयन रिपोर्ट ( एक्शन टेकन रिपोर्ट ) पर काम किया जाए. इस पर कमेटी अधिकारियों की ओर से प्रदेश सरकार के संबंधित विभागों को पत्र लिख कर गत वर्ष की गई अनुशंसाओं और सिफारिशों पर क्रियान्वयन रिपोर्ट भेजने के नोटिस जारी करने शुरू कर दिए.
बैठक के दौरान विधान सभा अध्यक्ष का आग्रह इस बात पर रहा है कि लोक कल्याण के लिए कार्य प्रणाली में बड़े सुधार लाते वक्त अनेक प्रकार की आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए सभी समितियों के चेयरपर्सन और सदस्यों को मानसिक रूप से तैयार होकर शिद्दत से निर्णय लेने होंगे.
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ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि विधानसभा की कमेटियां सदन का छोटा स्वरूप है. इनमें सभी दलों के विधायक सम्मिलित रहते हैं. इन कमेटियों की सिफारिशों को कार्यपालिका के अधिकारियों को गंभीरता से लेना चाहिए. ये कमेटियां प्रत्यक्ष रूप से सदन के प्रति जिम्मेदार हैं और सदन सीधे तौर पर जनता के प्रति. इसलिए ये समितियां लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण घटक हैं.
बैठक के दौरान उन्होंने कमेटियों की कार्यप्रणाली को प्रभावशाली बनाने के सुझावों पर मंथन किया. गुप्ता ने कहा कि कमेटी की बैठकों में शुरू के तीन महीने गत वर्ष की अनुशंसाओं और सिफारिशों पर संबंधित विभागों द्वारा किया गया क्रियान्वयन पर ही काम हो. जिन विभागों ने इन सिफारिशों पर संतोषजनक कार्रवाई नहीं की हो, उन्हें कमेटियां तलब करें. कमेटी के सम्मुख संतोषजनक जवाब नहीं देने वाले अधिकारियों के मामले विशेषाधिकार कमेटी के सम्मुख प्रस्तुत किए जाएं.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कोई भी कमेटी सदस्य अधिकारियों के अहसानमंद न हों, इससे उनका प्रभाव कम होता है. उन्होंने कहा कि कमेटी बैठकों में आने वाले अधिकारियों को व्यक्तिगत व हलके तक सीमित रहने वाले कार्य न बताएं. समिति प्रदेश के हितों की रक्षा के लिए हैं और अधिकारियों से उन्हीं के लिए जवाबतलबी की जाए.
बैठक में उपस्थित अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जन जातियां तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण कमेटी के चेयरपर्सन ईश्वर सिंह ने शिकायत रखी कि कई बार अधिकारी जवाबदेही से बचने के लिए अपने कनिष्ठ अधिकारियों को बैठकों में भेज देते हैं. कई बार तो ऐसा भी देखने में आता है कि बिना अप्रुवल के कनिष्ठ अधिकारी बैठकों में आ जाते हैं.
ऐसे में न तो जवाबदेही निश्चित हो पाती और न ही काम हो पाता. इस पर विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कमेटियों की गंभीरता को बढ़ाने का सुझाव देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव के स्तर से नीचे के अधिकारियों को ऐसी बैठकों में सम्मिलित होने की अनुमति न दें.
उन्होंने कहा कि रिमांडर के बावजूद बैठकों से बचने का प्रयास करने वाले अधिकारियों के मामले विशेषाधिकार समिति के संज्ञान में लाए जाएं. बैठक में गत वर्षां के लंबित मामलों के निपटान पर विस्तृत विचार विमर्श हुआ.
स्थानीय निकायों एवं पंचायती राज संस्थानों की कमेटी के चेयरपर्सन डॉ. कमल गुप्ता ने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों के निपटान के लिए नवीनतम वर्षों के केस पहले निपटाने ठीक रहेंगे. इस पर विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि ऐसे मामलों को कानूनी सलाह के बाद ही निपटाया जाए.
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बैठक के दौरान आनन-फानन में आने वाले पूरक बजट और अनुदान मांगों पर भी चर्चा हुई. इस पर गुप्ता ने कहा कि जिस प्रकार विधेयकों के प्रारूप 5 दिन पहले प्रस्तुत करने निश्चित किए गए हैं, उसी तर्ज पर इस समस्या का भी समाधान किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पूरक बजट और अनुदान मांगों पर निर्धारित समयावधि से पूर्व ही विचार विमर्श किया जाना चाहिए. इसके लिए जरूरत पड़ने पर विधान सभा अध्यक्ष प्रदेश के वित्त मंत्री को पत्र भी लिखेंगे.
बैठक में जन स्वास्थ्य, सिंचाई, बिजली तथा लोक निर्माण (भवन एवं सड़के) विभाग की कमेटी के चेयरपर्सन दीपक मंगला, लोक लेखा समिति के चेयरपर्सन हरविन्द्र कल्याण, अनुमानों पर गठित कमेटी के सुभाष सुधा, अधीनस्थ विधायी कमेटी के लिए विधायक राम निवास, सरकारी अश्वासनों पर गठित कमेटी के चेयरपर्सन मोहम्मद इलियास, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं पर बनाई गई कमेटी की चेयरपर्सन सीमा त्रिखा उपस्थित रहे.