चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल (CM Manohar Lal) और गृह मंत्री अनिल विज (Home Minister Anil Vij) के बीच वैसे तो कई बार कई मुद्दों को लेकर टकराव होता रहा है, लेकिन इस बार फिर एक नया टकराव देखने को मिल सकता है. दरअसल मुख्यमंत्री ने एक आईपीएस अधिकारी को परिवहन विभाग का प्रिंसिपल सेक्रेटरी (Principal Secretory Transport Department) नियुक्त किया है. वह भी इस मामले में गृह मंत्री अनिल विज (Home Minister Anil Vij) की सहमति ना होने के बावजूद.
दरअसल आईपीएस कला रामचंद्र (IPS Kala Ramachandran) को परिवहन विभाग की प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त करने पर सरकार में फिर से अंदरूनी विवाद खड़ा हो गया है. जानकारी के मुताबिक, जब गृह सचिव ने आईपीएस कला रामचंद्रन और अन्य आईपीएस के तबादले की फाइल गृह मंत्री अनिल विज (Anil Vij) को भेजी तो उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग (डीओपीटी) की सलाह के बिना आईपीएस को तबादले में प्रधान सचिव लगाने से इनकार करते हुए फाइल सीएम को भेज दी थी, बावजूद इसके हुआ उलटा.
सूत्रों के मुताबिक सीएम ने लिखा कि डीओपीटी से मंजूरी बाद में ले ली जाएगी. इस पर अनिल विज ने डीओपीटी से सलाह के निर्देश दिए व होम सेक्रेटरी को फाइल भेज दी. अब विज की सलाह माने बिना रविवार को आईपीएस रामचंद्रन का तबादला ट्रांसपोर्ट में कर दिया गया है, जबकि सामान्य तौर पर इस तरह के पद पर आईएएस अधिकारी तैनात होते हैं.
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जानकारी के मुताबिक, गृह मंत्री विज आईपीएस अधिकारीय को आईएएस कैडर की पोस्ट पर लगाने के पक्ष में नहीं हैं. जबकि, सरकार परिवहन विभाग में आईपीएस-एचपीएस की नियुक्ति कर रही है. शत्रूजीत कपूर के साथ जिलों में आरटीए के ज्यादातर पदों पर डीएसपी लगाए गए हैं. डायरेक्टर पद पर भी आईपीएस तैनात हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृह मंत्री के बीच छिड़ा विवाद और खिंच सकता है.
इससे पहले भी डीजीपी की नियुक्ति को लेकर और सीआईडी विभाग को लेकर मुख्यमंत्री और गृह मंत्री अनिल विज के बीच काफी विवाद हुआ था. ऐसे ही और कई मामलों में कई बार देखा गया है कि इन दोनों के बीच विवाद बना रहता है. ऐसे में फिर से एक नया विवाद खड़ा होता दिखाई दे रहा है. देखना होगा कि आने वाले दिनों में इसका क्या असर होता है.
ये है असल मामला: गृह मंत्री अनिल विज का शुरुआत से स्टैंड रहा है कि जो अधिकारी पुलिसिंग के अलावा दूसरे कार्यों में लगे हैं, उन्हें उनके मूल काडर में वापस लाकर पुलिसिंग का काम करवाया जाए. प्रदेश की आईएएस लॉबी भी चाहती है कि आईएएस की काडर पोस्ट पर किसी आईपीएस को न लगाया जाए, लेकिन खुलकर विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे. इस मामले में डीओपीटी को अपनी आपत्ति लिखित में दर्ज करवाने वाले आईएएस अशोक खेमका पहले ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने अपना विरोध कागज पर दर्ज किया है.
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