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हरियाणा न्यायिक परीक्षा 2017: SC ने उम्मीदवारों को 30 ग्रेस मार्क्स देने के निर्देश दिए

शीर्ष अदालत ने कहा कि कड़ाई से मार्किंग के चलते मुख्य परीक्षा में 1195 उम्मीदवारों में से बस 9 ही उत्तीर्ण हुए थे जबकि 107 रिक्तियां हैं. उसने कहा कि लेकिन मूल्यांकन प्रक्रिया भेदभावकारी नहीं है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Dec 14, 2019, 7:40 AM IST

नई दिल्ली/ चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हरियाणा में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के 107 पदों के लिए उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों के लिए दो पेपरों में 30 ग्रेस मार्क्स देने का निर्देश देते हुए कहा कि मुख्य परीक्षा -2017 में मार्किंग सख्त थी.

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय को अपने रजिस्ट्रार के माध्यम से दो सप्ताह के भीतर मुख्य (लिखित) परीक्षा के नए परिणाम तैयार करने और उसके बाद चार सप्ताह के भीतर चयन प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया.

शीर्ष अदालत ने कहा कि कड़ाई से मार्किंग के चलते मुख्य परीक्षा में 1195 उम्मीदवारों में से बस 9 ही उत्तीर्ण हुए थे जबकि 107 रिक्तियां हैं. उसने कहा कि लेकिन मूल्यांकन प्रक्रिया ‘भेदभावकारी’ नहीं है. उसने अपने रजिस्ट्रार के माध्यम से पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को मुख्य (लिखित) परीक्षा का परिणाम दो सप्ताह के अंदर फिर से तैयार करने और उसके बाद चार सप्ताह के अंदर चयन प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने पूरी प्रक्रिया को खत्म करने के लिए 15 फरवरी, 2020 की समयसीमा तय की और कहा कि उम्मीदवार पिछले पांच सालों से परेशान हैं.

ये भी पढ़ें- सिरसा: आपसी रंजिश में 10 साल के बच्चे को जिंदा जलाने की कोशिश, पड़ोसियों पर आरोप

नई दिल्ली/ चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हरियाणा में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के 107 पदों के लिए उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों के लिए दो पेपरों में 30 ग्रेस मार्क्स देने का निर्देश देते हुए कहा कि मुख्य परीक्षा -2017 में मार्किंग सख्त थी.

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय को अपने रजिस्ट्रार के माध्यम से दो सप्ताह के भीतर मुख्य (लिखित) परीक्षा के नए परिणाम तैयार करने और उसके बाद चार सप्ताह के भीतर चयन प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया.

शीर्ष अदालत ने कहा कि कड़ाई से मार्किंग के चलते मुख्य परीक्षा में 1195 उम्मीदवारों में से बस 9 ही उत्तीर्ण हुए थे जबकि 107 रिक्तियां हैं. उसने कहा कि लेकिन मूल्यांकन प्रक्रिया ‘भेदभावकारी’ नहीं है. उसने अपने रजिस्ट्रार के माध्यम से पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को मुख्य (लिखित) परीक्षा का परिणाम दो सप्ताह के अंदर फिर से तैयार करने और उसके बाद चार सप्ताह के अंदर चयन प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने पूरी प्रक्रिया को खत्म करने के लिए 15 फरवरी, 2020 की समयसीमा तय की और कहा कि उम्मीदवार पिछले पांच सालों से परेशान हैं.

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