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कैसे कबाड़ और टूटी चूड़ियों से बनाया गया चंडीगढ़ में खूबसूरत 'वंडरलैंड', जानें

चंडीगढ़ में सुखना झील के निकट स्थापित रॉक गार्डन टूरिस्टों के बीच बेहद प्रसिद्ध है. इसके बनने के पीछे की कहानी भी उतनी ही खास है. जानें इसके बारे में.

orld famous rock garden
चंडीगढ़ में खूबसूरत 'वंडरलैंड'
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Published : Dec 6, 2019, 2:32 PM IST

चंडीगढ़: यूं तो आपने कई कलाकार देखे होंगे जो अलग-अलग चीजों का इस्तेमाल कर बगीचे को कई तरह की कलाकृतियां बनाकर सजाते हैं. लेकिन आज हम आपको ऐसे गार्डन के बारे में बताएंगे जहां कचरे और बेकार की वस्तुओं से बनी मूर्तियां और कलाकृतियां देखने को मिलेंगी. ये चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन है जो दुनिया के विख्यात गार्डेन्स में शुमार है. इस गार्डेन को 1958 में नेक चंद ने बनाया था.

रॉक गार्डन रचनात्मकता और कल्पना का अद्भुत प्रतीक
रॉक गार्डन नेक चंद की रचनात्मकता और कल्पना का एक अद्भुत और उत्कृष्ट प्रतीक है. इस गार्डन में नेकचंद ने घरेलू, शहरी और औद्योगिक कचरे से कई मूर्तियां और कलाकृतियां बनाई हैं. नेकचंद एक कर्मचारी थे जो दिन भर साइकिल पर बेकार पड़ी ट्यूब लाइट्स, टूटी हुई चूड़ियां, चीनी मिट्टी के बर्तन, तार, ऑटो पार्ट्स, चीनी के कप, फ्लश की सीट, बोतल के ढक्कन और बेकार फेंकी हुई चीजों को बीनते रहते और यहां सेक्टर-1 में जमा करते रहते और जब भी उन्हें कुछ समय मिलता वो इन चीजों से बेहतरीन और उत्कृष्ट मूर्तियां और अन्य कलाकृतियां बनाने बैठ जाते.

कैसे कबाड़ और टूटी चूड़ियों से बनाया गया चंडीगढ़ में खूबसूरत 'वंडरलैंड', देखें

कूड़े कचरे से कलाकृतियां बनाने का शौक
रॉक गार्डन के बारे में बात करते हुए रॉक गार्डन के निर्माता नेक चंद के बेटे ने अनुज सैनी ने बताया कि उनके पिता नेक चंद का जन्म पाकिस्तान के बेरिया कलां गांव में 15 दिसंबर 1924 को हुआ था. बंटवारे के बाद नेक चंद साल 1950 को भारत में आकर चंडीगढ़ बस गए थे. यहां वे पीडब्लयूडी विभाग में काम करते थे. चंडीगढ़ में उन्हें उस समय एक सड़क निर्माण की जिम्मेदारी मिली थी. निर्माण स्थल के पास ही पीडब्लयूडी विभाग का स्टोर बनाया गया था. यहीं से नेक चंद को कूड़े कचरे से कलाकृतियां बनाने का शौक पैदा हुआ. वे यहां अपना काम खत्म करने के बाद कलाकृतियां बनाने में लग जाते थे और देर रात कर काम करते रहते थे.

'नेक चंद इस जगह को मानते थे देवी-देवताओं का स्थान'
नेक चंद के बेटे अनुज सैनी ने कहा कि वो इस जगह को देवी देवताओं का स्थान कहते थे. इसलिए उन्होंने रॉक गार्डन के अंदर के सभी दरवाजों को कम ऊंचाई का बनाया गया ताकी यहां आने वाले लोग सिर झुका कर आएं. नेकचंद भारत के सर्वाधिक चर्चित कलाकारों में से एक थे. उनकी कृतियां पेरिस, लंदन, न्यूयॉर्क, वाशिंगटन डीसी और बर्लिन जैसे दुनिया के मशहूर शहरों में भी शुमार हैं. उन पर कई किताबें भी लिखी जा रही हैं. कई देशों ने उन्हें मानद नागरिकता की पेशकश की. उन्हें 1984 में पद्मश्री से नावाजा गया, लेकिन नेकचंद फाउंडेशन का मानना है कि भारतीय कला जगत में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें और उच्च सम्मान से नवाजा जाना चाहिए.

रॉक गार्डन हिल स्टेशन का दिलाता है एहसास
इतना ही नहीं रॉक गार्डन में पत्थरों से बनी बड़ी बड़ी दिवारें और झरने भी बनाए गए जो लोगों को किसी हिल स्टेशन में होने का एहसास दिलाते हैं. इन मूर्तियों के अलावा इस गार्डन में भवन के कचरे, खाने के कांटे, खेलने की गोलियां और गांव की छवि, चौपाल, पशुओं और काल्पनिक जीवों के आकार में दिखाया गया है. गार्डन में आपको झरने, पुल, घुमावदार रास्ते सहित 14 लुभावने चैंबर भी देखने को मिलेंगे. साथ ही आपको यहां एक ओपन थिएटर देखने को मिलेगा. जहां कई तरह की सांस्कृतिक गतिविधियां होती रहती हैं.

इस गार्डन को देख अचरज में पड़ जाते हैं पर्यटक
यहां आने वाले पर्यटक इन मूर्तियों, मंदिरों, महलों आदि को देखकर अचरज में पड़ जाते हैं कि कैसे बेकार के सामान से एक व्यक्ति इतनी शानदार कृतियों का निर्माण कर सकता है. रॉक गार्डन की कीर्ति अब देश विदेश के पर्यटकों और कला प्रेमियों के दिलों तक पहुंच चुकी है.

35 एकड़ में फैला हुआ है रॉक गार्डन
रॉक गार्डन चंडीगढ़ के सेक्टर-एक में स्थित है. यह 35 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है. इसे नेकचंद द्वारा निर्मित एक ऐसे 'साम्राज्य' के रूप में जाना जा सकता है, जिसमें ग्रामीण परिवेश और अन्य स्थानों के साथ-साथ भारत के समग्र जीवन एवं पारिस्थितिकी को दर्शाया गया है.

ये भी पढ़ें: कश्मीर में बर्फीले तूफान की चपेट में आने से 3 जवान शहीद, हरियाणा का एक जवान भी शामिल

चंडीगढ़: यूं तो आपने कई कलाकार देखे होंगे जो अलग-अलग चीजों का इस्तेमाल कर बगीचे को कई तरह की कलाकृतियां बनाकर सजाते हैं. लेकिन आज हम आपको ऐसे गार्डन के बारे में बताएंगे जहां कचरे और बेकार की वस्तुओं से बनी मूर्तियां और कलाकृतियां देखने को मिलेंगी. ये चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन है जो दुनिया के विख्यात गार्डेन्स में शुमार है. इस गार्डेन को 1958 में नेक चंद ने बनाया था.

रॉक गार्डन रचनात्मकता और कल्पना का अद्भुत प्रतीक
रॉक गार्डन नेक चंद की रचनात्मकता और कल्पना का एक अद्भुत और उत्कृष्ट प्रतीक है. इस गार्डन में नेकचंद ने घरेलू, शहरी और औद्योगिक कचरे से कई मूर्तियां और कलाकृतियां बनाई हैं. नेकचंद एक कर्मचारी थे जो दिन भर साइकिल पर बेकार पड़ी ट्यूब लाइट्स, टूटी हुई चूड़ियां, चीनी मिट्टी के बर्तन, तार, ऑटो पार्ट्स, चीनी के कप, फ्लश की सीट, बोतल के ढक्कन और बेकार फेंकी हुई चीजों को बीनते रहते और यहां सेक्टर-1 में जमा करते रहते और जब भी उन्हें कुछ समय मिलता वो इन चीजों से बेहतरीन और उत्कृष्ट मूर्तियां और अन्य कलाकृतियां बनाने बैठ जाते.

कैसे कबाड़ और टूटी चूड़ियों से बनाया गया चंडीगढ़ में खूबसूरत 'वंडरलैंड', देखें

कूड़े कचरे से कलाकृतियां बनाने का शौक
रॉक गार्डन के बारे में बात करते हुए रॉक गार्डन के निर्माता नेक चंद के बेटे ने अनुज सैनी ने बताया कि उनके पिता नेक चंद का जन्म पाकिस्तान के बेरिया कलां गांव में 15 दिसंबर 1924 को हुआ था. बंटवारे के बाद नेक चंद साल 1950 को भारत में आकर चंडीगढ़ बस गए थे. यहां वे पीडब्लयूडी विभाग में काम करते थे. चंडीगढ़ में उन्हें उस समय एक सड़क निर्माण की जिम्मेदारी मिली थी. निर्माण स्थल के पास ही पीडब्लयूडी विभाग का स्टोर बनाया गया था. यहीं से नेक चंद को कूड़े कचरे से कलाकृतियां बनाने का शौक पैदा हुआ. वे यहां अपना काम खत्म करने के बाद कलाकृतियां बनाने में लग जाते थे और देर रात कर काम करते रहते थे.

'नेक चंद इस जगह को मानते थे देवी-देवताओं का स्थान'
नेक चंद के बेटे अनुज सैनी ने कहा कि वो इस जगह को देवी देवताओं का स्थान कहते थे. इसलिए उन्होंने रॉक गार्डन के अंदर के सभी दरवाजों को कम ऊंचाई का बनाया गया ताकी यहां आने वाले लोग सिर झुका कर आएं. नेकचंद भारत के सर्वाधिक चर्चित कलाकारों में से एक थे. उनकी कृतियां पेरिस, लंदन, न्यूयॉर्क, वाशिंगटन डीसी और बर्लिन जैसे दुनिया के मशहूर शहरों में भी शुमार हैं. उन पर कई किताबें भी लिखी जा रही हैं. कई देशों ने उन्हें मानद नागरिकता की पेशकश की. उन्हें 1984 में पद्मश्री से नावाजा गया, लेकिन नेकचंद फाउंडेशन का मानना है कि भारतीय कला जगत में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें और उच्च सम्मान से नवाजा जाना चाहिए.

रॉक गार्डन हिल स्टेशन का दिलाता है एहसास
इतना ही नहीं रॉक गार्डन में पत्थरों से बनी बड़ी बड़ी दिवारें और झरने भी बनाए गए जो लोगों को किसी हिल स्टेशन में होने का एहसास दिलाते हैं. इन मूर्तियों के अलावा इस गार्डन में भवन के कचरे, खाने के कांटे, खेलने की गोलियां और गांव की छवि, चौपाल, पशुओं और काल्पनिक जीवों के आकार में दिखाया गया है. गार्डन में आपको झरने, पुल, घुमावदार रास्ते सहित 14 लुभावने चैंबर भी देखने को मिलेंगे. साथ ही आपको यहां एक ओपन थिएटर देखने को मिलेगा. जहां कई तरह की सांस्कृतिक गतिविधियां होती रहती हैं.

इस गार्डन को देख अचरज में पड़ जाते हैं पर्यटक
यहां आने वाले पर्यटक इन मूर्तियों, मंदिरों, महलों आदि को देखकर अचरज में पड़ जाते हैं कि कैसे बेकार के सामान से एक व्यक्ति इतनी शानदार कृतियों का निर्माण कर सकता है. रॉक गार्डन की कीर्ति अब देश विदेश के पर्यटकों और कला प्रेमियों के दिलों तक पहुंच चुकी है.

35 एकड़ में फैला हुआ है रॉक गार्डन
रॉक गार्डन चंडीगढ़ के सेक्टर-एक में स्थित है. यह 35 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है. इसे नेकचंद द्वारा निर्मित एक ऐसे 'साम्राज्य' के रूप में जाना जा सकता है, जिसमें ग्रामीण परिवेश और अन्य स्थानों के साथ-साथ भारत के समग्र जीवन एवं पारिस्थितिकी को दर्शाया गया है.

ये भी पढ़ें: कश्मीर में बर्फीले तूफान की चपेट में आने से 3 जवान शहीद, हरियाणा का एक जवान भी शामिल

Intro:यूँ तो कई कलाकार अगल अलग चीजों का इस्तेमाल कर कई प्रकार की कलाकृतियाँ बनाते हैं लेकिन क्या आपने कभी ऐसे गार्डन के बारे में सुना है जहाँ आपको हर जगह केवल कचरे और बेकार की वस्तुओं से बनी मूर्तियां और कलाकृतियां देखने को मिलें! हम बात कर रहे हैं चंडीगढ़ स्थित रॉक गार्डन की जिसे 1958 में नेक चंद ने बनाया था।
Body:बात चंडीगढ़ जाने की हो और रॉक गार्डन न घूमा जाए ये तो हो ही नहीं सकता। रॉक गार्डन चंडीगढ़ के सेक्टर एक में सुखना झील और कैपिटल काम्प्लेक्स के बीच में स्थित है, ये गार्डन चंडीगढ़ शहर का एक प्रमुख और चर्चित पर्यटक स्थल है जिसे नेकचंद रॉक गार्डन के नाम से भी जाना जाता है। रॉक गॉर्डन में रोज करीब 5000 लोग जाते हैं.
रॉक गार्डन नेक चंद की रचनात्मकता और कल्पना का एक अद्भुत और उत्कृष्ट प्रतीक है। इस गार्डन में नेकचंद ने घरेलू, शहरी और औद्योगिक कचरे से कई मूर्तियां और कलाकृतियां बनाई हैं। नेकचंद एक कर्मचारी थे जो दिन भर साइकिल पर बेकार पड़ी ट्यूब लाइट्स, टूटी हुई चूड़ियां, चीनी मिट्टी के बर्तन, तार, ऑटो पार्ट्स, चीनी के कप, फ्लश की सीट, बोतल के ढक्कन और बेकार फेकी हुई चीजों को बीनते रहते और यहाँ सेक्टर एक में जमा करते रहते और जब भी उन्हें अपनी नौकरी से कुछ समय मिलता वे इन चीजों से बेहतरीन और उत्कृष्ट मूर्तियाँ और अन्य कलाकृतियां बनाने बैठ जाते। इनके बनने के बाद लोग इन मूर्तियों को देख कर दंग रह गए। इतना ही नहीं रॉक गार्डन में पत्थरों से बनी बड़ी बड़ी दिवारें और झरने भी बनाए गए जो लोगों को किसी हिल स्टेशन में होने का एहसास दिलाते हैं।
इन मूर्तियों के अलावा इस गार्डन में भवन के कचरे, खाने के कांटे, खेलने की गोलियां और टेराकोटा बर्तन को मनुष्यों, पशुओं और काल्पनिक जीवों के आकार में दिखाया गया है। गार्डन में आपको झरने, पूल, घुमावदार रास्ते सहित 14 लुभावने चैम्बर भी देखने को मिलेंगे। साथ ही आपको यहाँ एक ओपन थिएटर देखने को मिलेगा जहाँ कई तरह की सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती रहती हैं।
यहाँ आने वाले पर्यटक इन मूर्तियों, मंदिरों, महलों आदि को देखकर अचरज में पड़ जाते हैं कि कैसे बेकार के सामान से एक व्यक्ति इतनी शानदार कृतियों का निर्माण कर सकता है। रॉक गार्डन की कीर्ति अब देश विदेश के पर्यटकों और कलाप्रेमियों के दिलों तक पहुँच चुकी है।

----------------सैलानियों की बाइट्स

35 एकड़ में फैला हुआ है रॉक गार्डन
रॉक गार्डन चंडीगढ़ के सेक्टर-एक में स्थित है. यह 35 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है. इसे नेकचंद द्वारा निर्मित एक ऐसे 'साम्राज्य' के रूप में जाना जा सकता है, जिसमें ग्रामीण परिवेश तथा अन्य स्थानों के साथ-साथ भारत के समग्र जीवन एवं पारिस्थितिकी को दर्शाया गया है. यहां झरना, खुला थियेटर तथा एक छोटा सा तालाब भी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं रॉक गार्डन का दौरा
आपको बता दें कि रॉक गार्डन साल के बारह महीनों और सातों दिनों खुला रहता है लेकिन अधिकतर पर्यटक यहाँ सर्दियों में ही जाना पसंद करते हैं क्योंकि गर्मी के दिनों में गार्डन की दीवारों से निकलने वाली उमस और मौसम की गर्मी उनका सारा मज़ा किरकिरा कर देती है। गर्मियों में भी पर्यटक यहाँ आते हैं लेकिन उनकी संख्या सर्दियों के मुकाबले कम ही रहती है।

नेक चंद की 60 साल की मेहनत का नजीता है रॉक गार्डन- अनुज सैनी
रॉक गार्डन के बारे में बात करते हुए रॉक गार्डन के निर्माता नेक चंद के बेटे ने अनुज सैनी ने बताया कि उनके पिता नेक चंद का जन्म पाकिस्तान के बेरिया कलां गांव में 15 दिसंबर 1924 को हुआ था. बंटवारे के बाद नेक चंद साल 1950 को भारत में आकर चंडीगढ़ बस गए थे.यहां वे पीडब्लयूडी विभाग में काम करते थे। चंडीगढ़ में उन्हें उस समय एक सड़क निर्माण की जिम्मेदारी मिली थी। निर्माण स्थल के पास ही पीडब्लयूडी विभाग का स्टोर बनाया गया था। यहीं से नेक चंद को कूड़े कचरे से कलाकृतियां बनाने का शौंक पैदा हुआ। वे यहां अपना काम खत्म करने के बाद कलाकृतियां बनाने में लग जाते थे और देर रात कर काम करते रहते थे। जब तक सड़क का काम खत्म हुआ तब वे सैंकड़ों कलाकृतियां बना चुके थे। जब उस जगह से पीडब्लयूडी विभाग का स्टोर रूम वहां से उठाया जाने लगा तो विभाग की ओर नेक चंद की बनाई मुर्तियों को वहीं रहने दिया गया और सरकार ने नेक चंद को इस तरह की ओर मुर्तियां बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। जिसके बाद रॉक गार्डन का निर्माण शुरु हुआ।
अनुज सैनी कहा कि नेक चंद इस जगह को देवी देवताओं का स्थान कहते थे। इस लिए उन्होंने रॉक गार्डन के अंदर के सभी दरवाजों को कम ऊचांई का बनाया गया ताकी यहां आने वाले लोग सिर झुका कर आएं।
बाइट---- अनुज सैनी, नेक चंद के बेटे
नेकचंद भारत के सर्वाधिक चर्चित कलाकारों में से एक थे. उनकी कृतियां पेरिस, लंदन, न्यूयॉर्क, वाशिंगटन डीसी और बर्लिन जैसे दुनिया के मशहूर शहरों में भी शुमार हैं. उन पर कई किताबें भी लिखी जा रही हैं. कई देशों ने उन्हें मानद नागरिकता की पेशकश की.
उन्हें 1984 में पद्मश्री से नावाजा गया, लेकिन नेकचंद फाउंडेशन का मानना है कि भारतीय कला जगत में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें और उच्च सम्मान से नवाजा जाना चाहिए. नेकचंद की कलाकृतियों में टूटी हुई चूड़ियों, मिट्टी के बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक स्विच, प्लग, ट्यूब लाइट, मार्बल, टाइल्स, घरों में बेकार पड़े सामान, पत्थर, भवन निर्माण सामग्री तथा अन्य चीजों को भी शामिल किया गया.
कैसे पहुंचे रॉक गार्डन
दिल्ली से चंडीगढ़ तक की दूरी करीब 250 किलोमीटर है। सैलानी हवाई, सड़क और रेल मार्ग से चंडीगढ़ पहुंच सकते हैं। रॉक गार्डन आने के लिए चंडीगढ़ के सेक्टर 17 बस स्टैंड से सीधी बस सेवा है। इसके अलावा टैक्सी के जरिए भी रॉक गार्डन पहुंचा जा सकता है। रॉक गार्डन आने वाले सैलानी सुखना लेक का भ्रमण भी कर सकते हैं क्योंकी सुखना लेक रॉक गार्डन से 10 मिनट में पैदल चल कर पहुंचा जा सकता है।

खुलने और बंद होने का समय
(अप्रैल से सितम्बर)- सुबह 9 बजे से 1 बजे तक और 3 बजे से शाम 7 बजे तक
(अक्टूबर से मार्च)- सुबह 9 बजे से 2 बजे तक औए 2 बजे से शाम 6 बजे तक


Conclusion:नोट-- इस स्टोरी की फीड LIVE VIEW द्वारा भेजी गई है। SLUG- ROCK GARDEN STORY SHOOT
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