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Sankashti Chaturthi 2021:आज है संकष्टी चतुर्थी का व्रत, जानें संकष्टी चतुर्थी का महत्व और पूजा की विधि

भगवान गणेश को ज्ञान और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है. बुधवार को संकष्टी चतुर्थी के दिन भी भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भक्तों का मानना है कि इस गणेश जी की पूजा करने से उनकी जिंदगी के सारे संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं.

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Sankashti Chaturthi 2021:आज है संकष्टी चतुर्थी का व्रत, जानें संकष्टी चतुर्थी का महत्व और पूजा की विधि
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Published : Aug 25, 2021, 6:29 AM IST

चंडीगढ़: किसी भी कार्य की शुरूआत में भगवान गणेश की पूजा की जाती है. संकष्टी का मतलब कठिनाइयों से मुक्ति होता है. माना जाता है कि भगवान गणेश अपने भक्तों की समस्याओं को दूर करते हैं और भक्तों के जीवन से बाधाओं को हटाते हैं. हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, आज यानि 25 अगस्त को संकष्टी चतुर्थी है. हर महीने संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है.

इस दिन, भक्त सुखी जीवन का आशीर्वाद लेने के लिए भगवान गणेश की पूजा करते हैं. साथ ही, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश का नाम सभी देवताओं से श्रेष्ठ रखा था.

गोधुली पूजा मुहूर्त 18:37-19:03
चतुर्थी 25 अगस्त को 16:18 बजे शुरू होगी
चतुर्थी 26 अगस्त को 17:13 बजे समाप्त होगी
ब्रह्म मुहूर्त 04:37 प्रात:-05:11 प्रात:
अमृत ​​काल 15:48-17:28
सूर्योदय 05:56
सूर्यास्त 18:50

संकष्टी चतुर्थी का महत्व: संकष्टी का संस्कृत अर्थ संकट या बाधाओं से मुक्ति पाना है. भगवान गणेश को खुश करने के लिए संकष्टी चतुर्थी को सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है. भगवान गणेश की पूजा किसी भी अनुष्ठान की शुरुआत, या एक नए उद्यम की शुरुआत से पहले की जाती है. उन्हें ज्ञान के देवता के रूप में भी पूजा जाता है और लोकप्रिय रूप से विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है.

  1. सुबह जल्दी उठकर गणेश जी को जल चढ़ाकर उनकी पूजा करें.
  2. दिन भर का उपवास रखें क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी. दिन में किसी भी रूप में चावल, गेहूं और दाल का सेवन करने से बचें.
  3. शाम के समय दूर्वा घास, फूल, अगरबत्ती और दीया से भगवान गणेश की पूजा करें.
  4. पूरी पूजा विधि का पालन करते हुए गणेश मंत्रों का जाप करें.
  5. मोदक और लड्डू चढ़ाएं जो भगवान गणेश को सबसे ज्यादा पसंद हैं.
  6. चांदनी से पहले गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ किया जाता है.
  7. चंद्रोदय के बाद व्रत तोड़ें. चंद्रमा का दिखना बहुत ही शुभ होता है. इसलिए जब चंद्रमा दिखाई दे तो अर्घ्य दें.
  8. लोकप्रिय मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश को तुलसी पसंद नहीं थी, इसलिए उनकी पूजा करते समय कभी भी इसके पत्ते न चढ़ाएं.

ये भी पढ़ें- आज है संकष्टी गणेश चतुर्थी: जानें शुभ मुहूर्त और चंद्र दर्शन का समय

चंडीगढ़: किसी भी कार्य की शुरूआत में भगवान गणेश की पूजा की जाती है. संकष्टी का मतलब कठिनाइयों से मुक्ति होता है. माना जाता है कि भगवान गणेश अपने भक्तों की समस्याओं को दूर करते हैं और भक्तों के जीवन से बाधाओं को हटाते हैं. हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, आज यानि 25 अगस्त को संकष्टी चतुर्थी है. हर महीने संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है.

इस दिन, भक्त सुखी जीवन का आशीर्वाद लेने के लिए भगवान गणेश की पूजा करते हैं. साथ ही, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश का नाम सभी देवताओं से श्रेष्ठ रखा था.

गोधुली पूजा मुहूर्त 18:37-19:03
चतुर्थी 25 अगस्त को 16:18 बजे शुरू होगी
चतुर्थी 26 अगस्त को 17:13 बजे समाप्त होगी
ब्रह्म मुहूर्त 04:37 प्रात:-05:11 प्रात:
अमृत ​​काल 15:48-17:28
सूर्योदय 05:56
सूर्यास्त 18:50

संकष्टी चतुर्थी का महत्व: संकष्टी का संस्कृत अर्थ संकट या बाधाओं से मुक्ति पाना है. भगवान गणेश को खुश करने के लिए संकष्टी चतुर्थी को सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है. भगवान गणेश की पूजा किसी भी अनुष्ठान की शुरुआत, या एक नए उद्यम की शुरुआत से पहले की जाती है. उन्हें ज्ञान के देवता के रूप में भी पूजा जाता है और लोकप्रिय रूप से विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है.

  1. सुबह जल्दी उठकर गणेश जी को जल चढ़ाकर उनकी पूजा करें.
  2. दिन भर का उपवास रखें क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी. दिन में किसी भी रूप में चावल, गेहूं और दाल का सेवन करने से बचें.
  3. शाम के समय दूर्वा घास, फूल, अगरबत्ती और दीया से भगवान गणेश की पूजा करें.
  4. पूरी पूजा विधि का पालन करते हुए गणेश मंत्रों का जाप करें.
  5. मोदक और लड्डू चढ़ाएं जो भगवान गणेश को सबसे ज्यादा पसंद हैं.
  6. चांदनी से पहले गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ किया जाता है.
  7. चंद्रोदय के बाद व्रत तोड़ें. चंद्रमा का दिखना बहुत ही शुभ होता है. इसलिए जब चंद्रमा दिखाई दे तो अर्घ्य दें.
  8. लोकप्रिय मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश को तुलसी पसंद नहीं थी, इसलिए उनकी पूजा करते समय कभी भी इसके पत्ते न चढ़ाएं.

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