चंडीगढ़: केंद्र सरकार की तरफ से कोरोना काल में 3 लाख करोड़ रुपये एमएसएमई के लिए रखा गया है. देश की जीडीपी में 40 प्रतिशत योगदान एमएसएमई का रहता है इसलिए उद्योगों को राहत देने के लिए इतनी बड़ी राहत राशि का एलान किया गया था, हालांकि सरकार के इस पैकेज में लोन पर जो 9.25 फीसदी की ब्याज दर तय की गई थी वो उद्योगपतियों के गले नहीं उतर रही है. वहीं एक्सपर्ट भी ब्याज दर को ज्यादा बता रहे हैं.
राहत पैकेज में ज्यादा ब्याज दर से उद्योगपति नाराज
उद्योगपतियों डॉ. राकेश गुप्ता के अनुसार भारी भरकम ब्याज दर राहत देने वाला नहीं है. तीन महीने से काम ठप्प पड़े हैं, ऐसे में सरकार से को ब्याज माफ करने के साथ-साथ बिजली में राहत, टैक्स में राहत, इंस्पेक्टरी राज को बढ़ावा न देने जैसे कदम उठाने चाहिए. सरकार की तरफ से जो घोषणा की गई है ये बैंकों को कमाई का जरिया दिया गया है. ये कोई राहत नहीं बल्कि केवल लोन दिया है और लोन पहले से ही मिल रहा था.
हालांकि उद्योगपतियों ने इस राहत पैकेज का स्वागत भी किया और कहा कि पहले बड़ा निवेश करने वाले छोटे निवेशकों को खत्म कर देते थे मगर अब डेफिनेशन आने के बाद अपने स्तर पर ही मुकाबला रहेगा. टेंडर प्रक्रिया में भी स्मॉल केटेगिरी वाले स्मॉल, मीडियम वाले मीडियम और माइक्रो निवेशक माइक्रो को कंपीट करेंगे. सरकार इंस्पेक्टरी राज को खत्म करने के साथ-साथ अगर थोड़ी राहत और दे तो एमएसएमई एक साल के अंदर गति पकड़ लेगा.
एक्सपर्ट और अर्थशास्त्री की क्या है राय ?
उद्योगपतियों के अलावा एक्सपर्ट भी ज्यादा ब्याज दरों पर दी जा रही राहत को कोई बड़ी राहत नहीं मान रहे हैं. हरियाणा चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीबी गोयल ने सरकार की तरफ से 3 लाख करोड़ के पैकेज के लिए धन्यवाद दिया मगर साथ ही कई सवाल भी उठाए हैं. सीबी गोयल के अनुसार कोरोना के चलते एमएसएमई पर बड़ी मार पड़ी है, लेकिन सरकार ने केवल लोन देने का ऐलान कर दिया जबकि पहले लिए लोन में कोई छूट नहीं दी. इसके अलावा ना बिजली बिल को लेकर कोई राहत दी गई और ना किसी प्रकार के टैक्स को घटाया गया.
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सीबी गोयल के अनुसार लोन पहले भी मिल रहा था, लोन देना कोई मदद नहीं है. जो तीन लाख करोड़ केंद्र सरकार की तरफ से दिए गए हैं वह एमएसएमई को नहीं बल्कि बैंकों को दिए गए हैं. बैंकों को कहा गया है 9 से 9.25 प्रतिशत के हिसाब से योग्य व्यक्तियों को लोन दिया जाए. बैंकों की तरफ से अब ऐसे लोगों को ही लोन दिया जा रहा है जो कि पेमेंट कर सकेगा बाकियों को लोन देने में आनाकानी की जा रही है.
ऐसे मदद करे सरकार-
- सरकार पहले लिए गए लोन की ब्याज दर घटाए या कुछ किश्तों में छूट दे.
- सरकार ने बिजली के बिलों में किसी भी तरह की कोई राहत नहीं दी जबकि ये दी जा सकती थी. बिजली के बिलों में फिक्स चार्ज लिया जाता है, इसको एख साल के लिए माफ किया जाना चाहिए.
- इसके अलावा टैक्स में भी राहत होनी चाहिए जबकि किसी तरह की राहत एमएसएमई को नहीं मिली है.
- छोटे उद्योग के लिए सरकार आसानी से काम करने का वातावरण दे और अच्छी पॉलिसी लागू करे.
- फार्मा में 85 प्रतिशत चीन समेत दूसरे देशों पर निर्भर है, उनो आत्मनिर्भर बनाना होगा.
वहीं अर्थशास्त्री डॉ. बिमल अंजुम ने सरकार से इस अवसर को भुनाकर चीन से मुकाबला करने की बात कही. उनका मानना है कि चीन के साथ मुकाबले के लिए ये अच्छा अवसर था जिसमें एमएसएमई को बड़ी रफ्तार दी जा सकती थी, लेकिन इसमें 9.25 प्रतिशत की ब्याज दर अधिक है. उन्होंने कहा कि एमएसएमई भारत के इंडस्ट्रियल सेक्टर का 40 प्रतिशत ग्रोथ कॉन्ट्रिब्यूट करता है, वहीं रोजगार देने की दृष्टि से 70 से 80 प्रतिशत रोजगार एमएसएमई देते हैं. सरकार की तरफ से जो पैकेज एमएसएमई को दिया गया है वह बेहतर पैकेज हो सकता था मगर इसमें ब्याज की जो तरह लगाई गई हैं वह बेहद ज्यादा है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिये 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी. इसमें सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसमएई) समेत उद्यमों को बिना गारंटी वाले तीन लाख करोड़ रुपये के कर्ज की सुविधा देने की घोषणा की थी. इस स्कीम में जो लोन देने की घोषणा की गई थी उस पर 9.25 प्रतिशत की ब्याज दर लगाने का एलान किया गया था, जिससे उद्योग ज्याद खुश नजर नहीं आया.
क्या सरकार करेगी उद्योगपतियों की मांग पर विचार ?
केंद्र सरकार की तरफ से देश में रोजगार को गति देने के लिए एमएसएमई के लिए दिए गए आर्थिक पैकेज पर उद्योगपतियों ने ज्यादा खुशी जाहिर नहीं की. एमएसएमई को अन्य राहतों की उम्मीद थी लेकिन सरकार की तरफ से उच्च दरों पर लोन उपलब्ध करवाए जाने से उद्योगपति नाराज हैं और इस ब्याज दर को कम करने के साथ-साथ कई और रियायतें देने की मांग कर रहे हैं. फिलहाल देखना ये होगा कि एमएसएमई की इन मांगों पर आने वाले समय में केंद्र सरकार किस तरह से विचार करती है.
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