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हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: दल बदलुओं के दिल के अरमान आंसुओं में बह गए

हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे हैरान करने वाले रहे. कई दिग्गज चुनाव हार गए. वहीं दल बदलुओं के दिल के अरमान आसुओं में बह गए.

Ashok Arora lose in haryana election
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Published : Oct 26, 2019, 9:23 AM IST

चंडीगढ़: विधानसभा चुनाव इस बार अपने आप में एक बिलकुल ही अलग चुनाव रहा है. विधायकी की चाहत अपने दिल में पाले कई नेता एक दूसरे दलों में टिकट के लिए भागे थे, लेकिन उन के भाग्य में विधानसभा पहुंचना नहीं लिखा था. इसी कारन टिकट मिलने के बाद भी वे जीत दर्ज नहीं कर सके.

दल बदलुओं के दिल के अरमान आंसुओं में बह गए

सियासी पार्टियों के दिग्गज नेताओं के अलावा दल बदलूओं को भी इस चुनाव में बड़ा झटका लगा है इनेलो छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने वाले विधायक चुनाव में बुरी तरह से पस्त हो गए.

रामचंद्र कंबोज: सिरसा की रानियां सीट से 2014 में इनेलो की टिकट पर विधायक बने रामचंद्र कंबोज बीजेपी से टिकट तो हासिल कर गए लेकिन विधायकी नहीं बचा पाए.

ramchandra kamboj
रामचंद्र कंबोज

परमेंद्र ढुल: जुलाना से परमेंद्र ढुल इनेलो छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे लेकिन इस बार विधायक नहीं बन पाए.

नागेंद्र भड़ाना: फरीदाबाद एनआईटी से नगेंद्र भड़ाना का दल बदल लोगों को पसंद नहीं आया.

Nagender Bhadana
नगेंद्र भड़ाना

मेवात की नूंह से जाकिर हुसैन और फिरोजपुर झिरका से नसीम अहमद बीजेपी की टिकट पर विधायक नहीं बन पाए.

zakir Hussein
जाकिर हुसैन

बलकौर सिंह: अकाली दल कि टिकट पर 2014 में जीते बलकौर सिंह चुनाव से ऐन समय पर बीजेपी की टिकट हासिल कर गए लेकिन जीत नहीं पाए.

अशोक अरोड़ा: इनेलो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने चुनाव से पहले ना सिर्फ अपना पद छोड़ा बल्कि पार्टी को अलविदा कह कांग्रेस में शामिल हो गए थे और थानेसर से कांग्रेस के उम्मीदवार बने थे, लेकिन अशोक अरोड़ा का दल बदल करना उनके लिए भी घाटे का सौदा साबित हुआ.

Ashok Arora
अशोक अरोड़ा

बचन सिंह आर्य: सफीदों से बचन सिंह आर्य जो कई बार विधायक रह चुके हैं लेकिन चुनाव से ऐन पहले कांग्रेसी छोड़कर बीजेपी का टिकट ले आए लेकिन विधानसभा नहीं पहुंच पाए.

सतीश नांदल: रोहतक की किलोई सीट से कई बार इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़ चुके सतीश नांदल भी कमल का फूल नहीं खिला पाए. बता दें कि हरियाणा की 90 सीटों में से बीजेपी को 40, कांग्रेस को 31, जेजेपी को 10 और अन्य को 9 सीटें मिली हैं

satish nandal
सतीश नांदल

ये भी पढ़ें- हरियाणा में BJP-JJP गठबंधन की बनेगी सरकार, दुष्यंत चौटाला होंगे डिप्टी सीएम

चंडीगढ़: विधानसभा चुनाव इस बार अपने आप में एक बिलकुल ही अलग चुनाव रहा है. विधायकी की चाहत अपने दिल में पाले कई नेता एक दूसरे दलों में टिकट के लिए भागे थे, लेकिन उन के भाग्य में विधानसभा पहुंचना नहीं लिखा था. इसी कारन टिकट मिलने के बाद भी वे जीत दर्ज नहीं कर सके.

दल बदलुओं के दिल के अरमान आंसुओं में बह गए

सियासी पार्टियों के दिग्गज नेताओं के अलावा दल बदलूओं को भी इस चुनाव में बड़ा झटका लगा है इनेलो छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने वाले विधायक चुनाव में बुरी तरह से पस्त हो गए.

रामचंद्र कंबोज: सिरसा की रानियां सीट से 2014 में इनेलो की टिकट पर विधायक बने रामचंद्र कंबोज बीजेपी से टिकट तो हासिल कर गए लेकिन विधायकी नहीं बचा पाए.

ramchandra kamboj
रामचंद्र कंबोज

परमेंद्र ढुल: जुलाना से परमेंद्र ढुल इनेलो छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे लेकिन इस बार विधायक नहीं बन पाए.

नागेंद्र भड़ाना: फरीदाबाद एनआईटी से नगेंद्र भड़ाना का दल बदल लोगों को पसंद नहीं आया.

Nagender Bhadana
नगेंद्र भड़ाना

मेवात की नूंह से जाकिर हुसैन और फिरोजपुर झिरका से नसीम अहमद बीजेपी की टिकट पर विधायक नहीं बन पाए.

zakir Hussein
जाकिर हुसैन

बलकौर सिंह: अकाली दल कि टिकट पर 2014 में जीते बलकौर सिंह चुनाव से ऐन समय पर बीजेपी की टिकट हासिल कर गए लेकिन जीत नहीं पाए.

अशोक अरोड़ा: इनेलो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने चुनाव से पहले ना सिर्फ अपना पद छोड़ा बल्कि पार्टी को अलविदा कह कांग्रेस में शामिल हो गए थे और थानेसर से कांग्रेस के उम्मीदवार बने थे, लेकिन अशोक अरोड़ा का दल बदल करना उनके लिए भी घाटे का सौदा साबित हुआ.

Ashok Arora
अशोक अरोड़ा

बचन सिंह आर्य: सफीदों से बचन सिंह आर्य जो कई बार विधायक रह चुके हैं लेकिन चुनाव से ऐन पहले कांग्रेसी छोड़कर बीजेपी का टिकट ले आए लेकिन विधानसभा नहीं पहुंच पाए.

सतीश नांदल: रोहतक की किलोई सीट से कई बार इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़ चुके सतीश नांदल भी कमल का फूल नहीं खिला पाए. बता दें कि हरियाणा की 90 सीटों में से बीजेपी को 40, कांग्रेस को 31, जेजेपी को 10 और अन्य को 9 सीटें मिली हैं

satish nandal
सतीश नांदल

ये भी पढ़ें- हरियाणा में BJP-JJP गठबंधन की बनेगी सरकार, दुष्यंत चौटाला होंगे डिप्टी सीएम

Intro:
चंडीगढ़, विधानसभा चुनाव इस बार अपने आप में एक बिलकुल ही अलग चुनाव रहा है। विधायकी की चाहत अपने दिल में पाले कई नेता एक दूसरे दलों में टिकट के लिए भागे थे , लेकिन उन के भाग्य में विधान सभा पहुंचना नहीं लिखा था। इसी कारन टिकट मिलने के बाद भी वे जीत दर्ज नहीं कर सके ।

सियासी पार्टियों के दिग्गज नेताओं के अलावा दल बदलू ओं को भी इस चुनाव में बड़ा झटका लगा है इनेलो छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने वाले विधायक चुनाव में बुरी तरह से पस्त हो गए, सिरसा की रानियां सीट से 2014 में इनेलो की टिकट पर विधायक बने रामचंद्र कंबोज बीजेपी से टिकट तो हासिल कर गए लेकिन विधायकी नहीं बचा पाए, जुलाना से परमेंद्र ढुल इनेलो छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे लेकिन इस बार विधायक नहीं बन पाए, फरीदाबाद एनआईटी से नगेंद्र भड़ाना का दल बदल लोगों को पसंद नहीं आया, मेवात की नूह से जाकिर हुसैन और फिरोजपुर झिरका से नसीम अहमद बीजेपी की टिकट पर विधायक नहीं बन पाए, अकाली दल कि टिकट पर 2014 में जीते बलकार सिंह चुनाव से ऐन समय पर बीजेपी की टिकट हासिल कर गए लेकिन जीत नहीं पाए,
इनेलो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने चुनाव से पहले ना सिर्फ अपना पद छोड़ा बल्कि पार्टी को अलविदा कह कांग्रेस में शामिल हो गए थे और थानेसर से कांग्रेस के उम्मीदवार बने थे, लेकिन अशोक अरोड़ा का दल बदल करना उनके लिए भी घाटे का सौदा साबित हुआ,
सफीदों से बचन सिंह आर्य जो कई बार विधायक रह चुके हैं लेकिन चुनाव से ऐन पहले कांग्रेसी छोड़कर बीजेपी का टिकट ले आए लेकिन विधानसभा नहीं पहुंच पाए,
Body:रोहतक की किलोई सीट से कई बार इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़ चुके सतीश नांदल भी कमल का फूल नहीं खिला पाए ।
Conclusion:
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