चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस को नया अध्यक्ष भी मिल गया है और उसके साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाये गए हैं. माना जा रहा है कि नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी अब हरियाणा कांग्रेस में एक नई ताकत मिल गई है. उनको यह ताकत मिलने के बाद राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा भी शुरू हो गई है कि अब कांग्रेस पार्टी एकजुटता के साथ आने वाले समय में चुनावी मैदान में उतरेगी तो हरियाणा का सियासी समीकरण बदल जायेगा. साथ ही पार्टी का जो संगठन कई सालों से नहीं बन पाया था वह भी जल्द बन जाएगा.
सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या इस बदलाव से हारियाणा में कांग्रेस के दिन फिरेंगे. क्या सत्ता तक कांग्रेस पहुंच पाएगी ? क्या चार वर्किंग प्रधान की नियुक्ति कांग्रेस को फायदा दे पाएगी ? अपने खेमे के नेता को अध्यक्ष बनाकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा क्या कर पायेंगे.
इन सभी सवालों को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार डॉ सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं है कि कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष बने उदय भान पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी हैं. वे कहते हैं कि यह आम चर्चा है कि इनको अध्यक्ष बनाने में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का ही हाथ रहा है. एक दलित को ही अध्यक्ष बनाना पार्टी की मजबूरी भी थी और ऐसे में अगर पार्टी किसी और को अध्यक्ष बनाती तो विपक्ष उन पर सवाल खड़े करता.
धीमान के मुताबिक इसी को देखते हुए उदय भान को अध्यक्ष बनाया गया. उदय भान वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं. उनके पिता और दादा भी राजनीति के माहिर खिलाड़ी थे. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को खुला हाथ मिल गया है. अब अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों एक साथ कदम मिलाकर चलेंगे जो कि पिछले सात-आठ सालों में कभी नहीं हो पाया. धीमान का कहना है कि अब गुटबाजी भी कम नजर आएगी. अध्यक्ष और सीएलपी लीडर दोनों मिलकर काम करेंगे तो संगठन भी बहुत जल्दी ही बन जायेगा. क्योंकि पहले दोनों अलग-अलग धाराओं में चला करते थे. संगठन अलग और नेता प्रतिपक्ष का गुट अलग.
हरियाणा में यह बात हमेशा होती थी कि प्रदेश में सिर्फ अध्यक्ष थे, तो पार्टी का संगठन नहीं था. इसलिए यह जो 5 गुट हरियाणा में नजर आते थे उनका कोई भी आदमी संगठन में जगह नहीं पा सका. जिस तरीके से पार्टी ने चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए हैं. उसके साथ ही सभी गुटों को एक साथ लाने के लिए काम किया गया है. ऐसे में आगे संगठन में इन सभी ग्रुपों के लोगों को शामिल किया जाएगा. डॉ सुरेंद्र धीमान, राजनीतिक मामलों के जानकार
धीमान का मानना है कि भविष्य में पार्टी को इसका फल मिलेगा. भूपेंद्र सिंह हुड्डा अक्सर यह बात किया करते हैं कि अगर विधानसभा चुनावों में सही से टिकट बंटे होते तो हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस की स्थिति कुछ अलग होती. और साथ ही वे अक्सर कहते हैं कि पार्टी 4-5 हजार वोटों से सत्ता में आने से रह गई.