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कुलदीप बिश्नोई और मुख्यमंत्री की मुलाकात, क्या राज्यसभा चुनाव के लिए तैयार हो रही है बिसात? - Surendra Dhiman on kuldeep and cm manohar meeting

मुख्यमंत्री मनोहर लाल और कुलदीप बिश्नोई की मुलाकात के बाद हरियाणा में सियासी हलचल (Haryana Politics) बढ़ गई है. इस मुलाकात से कयास लगाए जा रहे हैं कि हो सकता है कुलदीप बिश्नोई बीजेपी या आम आदमी पार्टी में अपना नया ठिकाना बना लें. वहीं इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक विश्लेषक डॉ. सुरेंद्र धीमान ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. पढ़ें पूरी खबर...

kuldeep and cm manohar meeting
कुलदीप बिश्नोई और मुख्यमंत्री की मुलाकात पर राजनीतिक विश्लेषक डॉ. सुरेंद्र धीमान
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Published : May 21, 2022, 11:17 AM IST

Updated : May 21, 2022, 5:37 PM IST

चंडीगढ़: कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्नोई (Kuldeep Bishnoi) और मुख्यमंत्री मनोहर लाल (CM Manohar Lal Khattar) की गुरुग्राम में हुई मुलाकात अब हरियाणा की सियासत में चर्चा का विषय बनी हुई है. मुलाकात के सियासी गलियारों में कई मायने भी लगाए जा रहे हैं. हालांकि इस मुलाकात को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल कह चुके हैं कि कुलदीप बिश्नोई उनके पुराने मित्र हैं इसलिए इस तरह की मुलाकात होती रहती (kuldeep and cm manohar meeting) है, लेकिन इस सबके बीच जून महीने में हरियाणा में दो राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने है, तो ऐसे में जहां एक सीट पर बीजेपी- जेजेपी की जीत पक्की है. वहीं दूसरी सीट पर अगर बीजेपी- जेजेपी ने उम्मीदवार उतारा तो हर वोट बेशकीमती हो जायेगा.

क्या करना चाह रहे हैं कुलदीप बिश्नोई?: दरअसल कुलदीप बिश्नोई हरियाणा कांग्रेस के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद से ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं. वहीं कुलदीप बिश्नोई जिस अंदाज में अपनी राजनीति कर रहे हैं, उसे देखते हुए राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम हो चली है कि वे हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी छोड़कर किसी अन्य दल में भी शामिल हो जाएं. क्योंकि बीजेपी के नेता हो या फिर आम आदमी पार्टी के सभी उनको लेकर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

कुलदीप बिश्नोई और मुख्यमंत्री की मुलाकात पर राजनीतिक विश्लेषक डॉ. सुरेंद्र धीमान

क्या राज्यसभा चुनाव है इस राजनीति की वजह?: इस सबके बीच हरियाणा में अगले महीने दो राज्यसभा सीटों के चुनाव हैं. जिसमें से एक सीट पर आंकड़ों की बाजीगरी से कोई भी किसी पर भारी पड़ सकता है. 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा की वर्तमान स्थिति को देखें तो बीजेपी के पास 40 विधायक हैं, जेजेपी के पास 10 विधायक, 31 विधायक कांग्रेस पार्टी के और सात निर्दलीय विधायकों के साथ ही एक इनेलो एक हरियाणा लोकहित पार्टी का विधायक है.

एक तरफ जहां फर्स्ट प्रेफरेंस के आधार पर बीजेपी-जेजेपी के एक राज्यसभा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित है, तो दूसरी सीट के लिए कांग्रेस का उम्मीदवार अपनी जीत दर्ज करवा सकता है. लेकिन जीत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए कांग्रेस के लिए एक-एक विधायक का वोट बहुत कीमती है. ऐसे में कुलदीप बिश्नोई की बीजेपी से बढ़ती नजदीकियां कांग्रेस के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकती है.

क्या है कुलदीप बिश्नोई और सीएम की मुलाकात के मायने? मुख्यमंत्री मनोहर लाल और कुलदीप बिश्नोई की मुलाकात के क्या मायने हैं ? साथ ही क्या दो राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव से भी जोड़कर इसे देखा जा सकता है ? क्या इसका कांग्रेस के उम्मीदवार की दावेदारी पर भी असर पड़ सकता है ? इन सभी सवालों के जवाबों में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. सुरेंद्र धीमान (Political analyst Dr Surendra Dhiman) कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं राज्यसभा चुनाव को देखते हुए यह मुलाकात अहम है.

इस मुलाकात को कैसे देखते हैं राजनीतिक विश्लेषक: डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि इसके दो राजनीतिक मायने हो सकते हैं एक तो कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस पर दबाव बनाना चाहते हैं. क्योंकि वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते थे. उनको प्रदेश अध्यक्ष ना बनाकर, पूर्व विधायक उदयभान को यह जिम्मेदारी दी गई. जिसके बाद से बिश्नोई पार्टी से नाराज हुए बैठे हैं. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि हो सकता है वह कांग्रेस पर दबाव बनाकर कोई पद पार्टी के अंदर लेना चाह रहे हों और इसके लिए भी इस तरह की राजनीति कर रहे हों.

मुलाकात का राज्यसभा चुनाव पर असर पड़ना तय: डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि जून में राज्यसभा के चुनाव होने वाले हैं. पार्टी छोड़ने से पहले हो सकता है कि वे पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हों. वे कुछ इस तरह पार्टी पर दबाव बना सकते हैं कि, या तो वे राज्यसभा सीट के मतदान के दिन एब्सेंट रहें या फिर कांग्रेस के उम्मीदवार के खिलाफ वोट दें. कुल मिलाकर बिश्नोई राज्यसभा चुनाव के समीकरण पर असर डाल सकते हैं.

आंकड़ों की बाजीगरी से बदल सकती है समीकरण: डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि अगर बीजेपी को अपने दो उम्मीदवार खड़े करने हैं तो ऐसे में उन्हें कांग्रेस का एक और दो अन्य विधायकों के वोट की जरूरत होगी. जिससे सेकंड प्रेफ्रेंस में उनका कैंडिडेट जीत सकता है. कांग्रेस के पास इस वक्त 31 विधायक हैं और राज्यसभा में जीत के लिए 30 प्लस 1 वोट की जरूरत होगी. ऐसी स्थिति में अगर कुलदीप बिश्नोई वोट नहीं करते हैं या फिर कांग्रेस के खिलाफ वोट करते हैं तो वह स्थिति कांग्रेस के लिए चिंताजनक हो सकती है. हालांकि वे कहते हैं कि ऐसी स्थिति में अगर कांग्रेस अन्य 2 विधायकों, जैसे निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू और इनेलो के विधायक अभय चौटाला को साथ लेती है तो ऐसे में कुलदीप बिश्नोई के वोट के ना मिलने का असर नहीं होगा.

कुलदीप बिश्नोई के बीजेपी में जाने को लेकर अभी कुछ कहना जल्दबाजी: डॉ. सुरेंद्र धीमान के मुताबिक कुलदीप बिश्नोई भविष्य की राजनीति को देखकर भी इस तरह के कदम उठा सकते (Surendra Dhiman on kuldeep and cm manohar meeting) हैं. वे मानते हैं कि भविष्य की राजनीति कुलदीप बिश्नोई की बीजेपी में हो सकती है. क्योंकि पहले भी उनकी पार्टी का बीजेपी के साथ गठबंधन रहा है. तो ऐसे में एक संभावना यह भी लग रही है कि अगर कांग्रेस नहीं तो बीजेपी ही सही. हालांकि वे कहते हैं कि अभी उनके बीजेपी में जाने के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.

हालांकि तत्कालिक असर जो दिखाई देता है वह राज्यसभा चुनाव को लेकर ही दिखता है. वहीं बीजेपी नेत्री सोनाली फोगाट द्वारा सोशल मीडिया पर कुलदीप बिश्नोई को लेकर किए गए ट्वीट पर डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि उनके ट्वीट के कोई ज्यादा मायने नहीं है क्योंकि कुलदीप बिश्नोई बीजेपी के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं और इससे पहले भी वे मुख्यमंत्री से दो से तीन बार मुलाकात कर चुके हैं.

ये भी पढ़ें: सीएम से मुलाकात को लेकर कुलदीप बिश्नोई पर सोनाली फोगाट ने शायराना अंदाज में ली चुटकी

पार्टी प्रभारी भी मान चुके हैं कुलदीप बिश्नोई की नाराजगी की बात: हालांकि कुलदीप बिश्नोई की मुख्यमंत्री से मुलाकात से पहले ही दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल कह चुके हैं कि कुलदीप बिश्नोई अवसाद की अवस्था में है. उन्होंने मीडिया से कहा था कि कुलदीप बिश्नोई को फिर से पार्टी में सक्रिय किया जाएगा. वे कुलदीप बिश्नोई को पार्टी के लिए एक अहम नेता के तौर पर देखते हैं.

विवेक बंसल के इस बयान से यह तो साफ है कि कुलदीप बिश्नोई अभी भी पार्टी से नाराज चल रहे हैं. ऐसे में उनका किसी अन्य दल के नेता से मिलना इस बात को हवा देता है कि कहीं वे नई राह की तलाश में तो नहीं है. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि हो सकता है कुलदीप बिश्नोई बीजेपी या आम आदमी पार्टी में अपना नया ठिकाना बना ले, लेकिन कुलदीप बिश्नोई खुद क्या करेंगे इसका जवाब तो वही दे सकते हैं.

ये भी पढ़ें: कुलदीप बिश्नोई ने की सीएम मनोहर लाल से मुलाकात, क्या छोड़ने वाले हैं कांग्रेस का 'हाथ' ?

चंडीगढ़: कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्नोई (Kuldeep Bishnoi) और मुख्यमंत्री मनोहर लाल (CM Manohar Lal Khattar) की गुरुग्राम में हुई मुलाकात अब हरियाणा की सियासत में चर्चा का विषय बनी हुई है. मुलाकात के सियासी गलियारों में कई मायने भी लगाए जा रहे हैं. हालांकि इस मुलाकात को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल कह चुके हैं कि कुलदीप बिश्नोई उनके पुराने मित्र हैं इसलिए इस तरह की मुलाकात होती रहती (kuldeep and cm manohar meeting) है, लेकिन इस सबके बीच जून महीने में हरियाणा में दो राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने है, तो ऐसे में जहां एक सीट पर बीजेपी- जेजेपी की जीत पक्की है. वहीं दूसरी सीट पर अगर बीजेपी- जेजेपी ने उम्मीदवार उतारा तो हर वोट बेशकीमती हो जायेगा.

क्या करना चाह रहे हैं कुलदीप बिश्नोई?: दरअसल कुलदीप बिश्नोई हरियाणा कांग्रेस के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद से ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं. वहीं कुलदीप बिश्नोई जिस अंदाज में अपनी राजनीति कर रहे हैं, उसे देखते हुए राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम हो चली है कि वे हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी छोड़कर किसी अन्य दल में भी शामिल हो जाएं. क्योंकि बीजेपी के नेता हो या फिर आम आदमी पार्टी के सभी उनको लेकर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

कुलदीप बिश्नोई और मुख्यमंत्री की मुलाकात पर राजनीतिक विश्लेषक डॉ. सुरेंद्र धीमान

क्या राज्यसभा चुनाव है इस राजनीति की वजह?: इस सबके बीच हरियाणा में अगले महीने दो राज्यसभा सीटों के चुनाव हैं. जिसमें से एक सीट पर आंकड़ों की बाजीगरी से कोई भी किसी पर भारी पड़ सकता है. 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा की वर्तमान स्थिति को देखें तो बीजेपी के पास 40 विधायक हैं, जेजेपी के पास 10 विधायक, 31 विधायक कांग्रेस पार्टी के और सात निर्दलीय विधायकों के साथ ही एक इनेलो एक हरियाणा लोकहित पार्टी का विधायक है.

एक तरफ जहां फर्स्ट प्रेफरेंस के आधार पर बीजेपी-जेजेपी के एक राज्यसभा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित है, तो दूसरी सीट के लिए कांग्रेस का उम्मीदवार अपनी जीत दर्ज करवा सकता है. लेकिन जीत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए कांग्रेस के लिए एक-एक विधायक का वोट बहुत कीमती है. ऐसे में कुलदीप बिश्नोई की बीजेपी से बढ़ती नजदीकियां कांग्रेस के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकती है.

क्या है कुलदीप बिश्नोई और सीएम की मुलाकात के मायने? मुख्यमंत्री मनोहर लाल और कुलदीप बिश्नोई की मुलाकात के क्या मायने हैं ? साथ ही क्या दो राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव से भी जोड़कर इसे देखा जा सकता है ? क्या इसका कांग्रेस के उम्मीदवार की दावेदारी पर भी असर पड़ सकता है ? इन सभी सवालों के जवाबों में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. सुरेंद्र धीमान (Political analyst Dr Surendra Dhiman) कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं राज्यसभा चुनाव को देखते हुए यह मुलाकात अहम है.

इस मुलाकात को कैसे देखते हैं राजनीतिक विश्लेषक: डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि इसके दो राजनीतिक मायने हो सकते हैं एक तो कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस पर दबाव बनाना चाहते हैं. क्योंकि वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते थे. उनको प्रदेश अध्यक्ष ना बनाकर, पूर्व विधायक उदयभान को यह जिम्मेदारी दी गई. जिसके बाद से बिश्नोई पार्टी से नाराज हुए बैठे हैं. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि हो सकता है वह कांग्रेस पर दबाव बनाकर कोई पद पार्टी के अंदर लेना चाह रहे हों और इसके लिए भी इस तरह की राजनीति कर रहे हों.

मुलाकात का राज्यसभा चुनाव पर असर पड़ना तय: डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि जून में राज्यसभा के चुनाव होने वाले हैं. पार्टी छोड़ने से पहले हो सकता है कि वे पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हों. वे कुछ इस तरह पार्टी पर दबाव बना सकते हैं कि, या तो वे राज्यसभा सीट के मतदान के दिन एब्सेंट रहें या फिर कांग्रेस के उम्मीदवार के खिलाफ वोट दें. कुल मिलाकर बिश्नोई राज्यसभा चुनाव के समीकरण पर असर डाल सकते हैं.

आंकड़ों की बाजीगरी से बदल सकती है समीकरण: डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि अगर बीजेपी को अपने दो उम्मीदवार खड़े करने हैं तो ऐसे में उन्हें कांग्रेस का एक और दो अन्य विधायकों के वोट की जरूरत होगी. जिससे सेकंड प्रेफ्रेंस में उनका कैंडिडेट जीत सकता है. कांग्रेस के पास इस वक्त 31 विधायक हैं और राज्यसभा में जीत के लिए 30 प्लस 1 वोट की जरूरत होगी. ऐसी स्थिति में अगर कुलदीप बिश्नोई वोट नहीं करते हैं या फिर कांग्रेस के खिलाफ वोट करते हैं तो वह स्थिति कांग्रेस के लिए चिंताजनक हो सकती है. हालांकि वे कहते हैं कि ऐसी स्थिति में अगर कांग्रेस अन्य 2 विधायकों, जैसे निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू और इनेलो के विधायक अभय चौटाला को साथ लेती है तो ऐसे में कुलदीप बिश्नोई के वोट के ना मिलने का असर नहीं होगा.

कुलदीप बिश्नोई के बीजेपी में जाने को लेकर अभी कुछ कहना जल्दबाजी: डॉ. सुरेंद्र धीमान के मुताबिक कुलदीप बिश्नोई भविष्य की राजनीति को देखकर भी इस तरह के कदम उठा सकते (Surendra Dhiman on kuldeep and cm manohar meeting) हैं. वे मानते हैं कि भविष्य की राजनीति कुलदीप बिश्नोई की बीजेपी में हो सकती है. क्योंकि पहले भी उनकी पार्टी का बीजेपी के साथ गठबंधन रहा है. तो ऐसे में एक संभावना यह भी लग रही है कि अगर कांग्रेस नहीं तो बीजेपी ही सही. हालांकि वे कहते हैं कि अभी उनके बीजेपी में जाने के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.

हालांकि तत्कालिक असर जो दिखाई देता है वह राज्यसभा चुनाव को लेकर ही दिखता है. वहीं बीजेपी नेत्री सोनाली फोगाट द्वारा सोशल मीडिया पर कुलदीप बिश्नोई को लेकर किए गए ट्वीट पर डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि उनके ट्वीट के कोई ज्यादा मायने नहीं है क्योंकि कुलदीप बिश्नोई बीजेपी के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं और इससे पहले भी वे मुख्यमंत्री से दो से तीन बार मुलाकात कर चुके हैं.

ये भी पढ़ें: सीएम से मुलाकात को लेकर कुलदीप बिश्नोई पर सोनाली फोगाट ने शायराना अंदाज में ली चुटकी

पार्टी प्रभारी भी मान चुके हैं कुलदीप बिश्नोई की नाराजगी की बात: हालांकि कुलदीप बिश्नोई की मुख्यमंत्री से मुलाकात से पहले ही दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल कह चुके हैं कि कुलदीप बिश्नोई अवसाद की अवस्था में है. उन्होंने मीडिया से कहा था कि कुलदीप बिश्नोई को फिर से पार्टी में सक्रिय किया जाएगा. वे कुलदीप बिश्नोई को पार्टी के लिए एक अहम नेता के तौर पर देखते हैं.

विवेक बंसल के इस बयान से यह तो साफ है कि कुलदीप बिश्नोई अभी भी पार्टी से नाराज चल रहे हैं. ऐसे में उनका किसी अन्य दल के नेता से मिलना इस बात को हवा देता है कि कहीं वे नई राह की तलाश में तो नहीं है. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि हो सकता है कुलदीप बिश्नोई बीजेपी या आम आदमी पार्टी में अपना नया ठिकाना बना ले, लेकिन कुलदीप बिश्नोई खुद क्या करेंगे इसका जवाब तो वही दे सकते हैं.

ये भी पढ़ें: कुलदीप बिश्नोई ने की सीएम मनोहर लाल से मुलाकात, क्या छोड़ने वाले हैं कांग्रेस का 'हाथ' ?

Last Updated : May 21, 2022, 5:37 PM IST
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