चंडीगढ़: हरियाणा सरकार रासायनिक खादों के प्रयोग को कम करने और ऑर्गेनिक खाद को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है. प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के दिशा-निर्देशानुसार हरियाणा के ग्रामीण विकास विभाग ने निर्णय लिया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत गांवों में देसी खाद के लिए गड्ढे खोदे जाएंगे.
ये गड्ढे गांवों में घेर, खाली स्थान, सड़क किनारे, खेत आदि स्थानों पर खोदे जाएंगे. गड्ढे खोदने के बाद किसान उसमें अपने पशुओं का गोबर व घर का कूड़ा-करकट डालेगा जो बाद में जैविक खाद बन जाएगा. ये खाद फसलों का उत्पादन बढ़ाने में कारगर सिद्ध होगी.
दुष्यंत चौटाला ने बताया कि आजकल किसान अधिक उत्पादन लेने के लिए रासायनिक खाद का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे लगातार भूमि के पोषक तत्व समाप्त हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि भूमि की उर्वरा शक्ति एकमात्र जैविक खाद से ही बढ़ाई जा सकती है. डिप्टी सीएम ने बताया कि अकसर देखने में आता है कि गांव के लोग साफ-सफाई करके कूड़ा-करकट का ढ़ेर गांव के बाहर लगा देते हैं. इससे जहां गंदगी फैलती है, वहीं सड़क पर कूड़ा बिखरा होने से दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है.
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रदेश के लोगों की मांग के अनुसार मनरेगा योजना के तहत छोटे, मध्यम और बड़े आकार के गड्ढे खोदे जाएंगे जो कि व्यक्तिगत, किसी डेयरी अथवा गौशाला के लिए तैयार किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि इन गड्ढों में जहां गांव के लोग अपने पशुओं का गोबर डाल सकेंगे तो वहीं आस-पास की सफाई के बाद उसमें गलने वाला कूड़ा-करकट भी डाला जा सकेगा. इसके अलावा इधर-उधर बिखरा हुआ कूड़ा भी खाद के गड्ढों में डाला जा सकेगा.
इतना ही नहीं डिप्टी सीएम ने बताया कि ग्रामीणों को वैज्ञानिक ढ़ंग से जैविक खाद बनाने का तरीका भी समझाया जाएगा. ताकि वे अच्छे से खाद बना सकें. उन्होंने बताया कि इस जैविक खाद से ना केवल फसल जल्द विकसित होती है बल्कि फसल की जड़ों को आयरन भी भरपूर मात्रा में मिलता है. उन्होंने कहा कि ये पौधे की जड़ों को नाइट्रोजन प्रदान करने में भी काफी मदद करता है. इसके अलावा जैविक खाद पौधे की जड़ों में कैल्शियम की सही मात्रा सुनिश्चित करता है.
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