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स्कूल फीस मामले में हरियाणा सरकार के आदेश के खिलाफ HC में याचिका, 4 जून को अगली सुनवाई

याचिका में उन सभी आदेशों पर रोक लगाने की मांग की गई है. जिसमें सरकार ने निजी स्कूलों को फीस ना बढ़ाने के आदेश दिए हैं.

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Published : May 30, 2020, 4:36 PM IST

petition in high court against Haryana government on School fees
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार के निजी स्कूलों से फीस बढ़ोतरी न करने के आदेश को नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल अलायंस की ओर से हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. मामले में हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर 4 जून के लिए जवाब तलब किया है.

आदेश पर रोक लगाने की मांग

याचिकाकर्ता कुलभूषण शर्मा जो की नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल अलायंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा 12 अप्रैल 2020 से 8 मई 2020 तक जारी उन सभी आदेशों पर रोक लगाने की मांग की गई है. जिसमें सरकार ने निजी स्कूलों को फीस ना बढ़ाने के आदेश दिए हैं.

हरियाणा सरकार के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका, क्लिक कर देखें वीडियो

याचिका में हाई कोर्ट को बताया गया कि कोरोना वायरस के चलते स्कूल कई महीनों से बंद पड़े हैं. इसी दौरान हरियाणा सरकार की ओर से प्रशासनिक आदेश जारी करते हुए कहा गया कि स्कूल फॉर्म 6 के अनुरूप फीस वृद्धि नहीं करेंगे और ट्यूशन फीस के अतिरिक्त अन्य फीस फिलहाल नहीं वसूल सकते.

याचिका में ये भी बताया गया कि सरकार के आदेश उनके खुद के नियमों के खिलाफ हैं, सभी स्कूलों को 1 जनवरी तक अपना फॉर्म 6 शिक्षा विभाग को भर कर देना होता है. जिसमें स्कूल की आर्थिक स्थिति जरूरत व अन्य जानकारी होती हैं. सभी स्कूलों ने जनवरी महीने से ये फॉर्म भर दिया था. उन्होंने फॉर्म 6 में नए सत्र से फीस बढ़ाने की योजना थी. जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया था लेकिन अब सरकार इस तरह के आदेश जारी कर अपने आदेश की अवहेलना कर रही है.

इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने बताया कि स्कूलों के पास भवन की देखरेख तथा अन्य प्रकार के खर्च के लिए केवल फीस एकमात्र माध्यम होता है. ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने तथा ऑनलाइन पढ़ाई के लिए इंतजाम करने के लिए फंड की व्यवस्था बिना फीस के नहीं की जा सकती. याचिका में ये भी बताया गया कि स्कूल खुलने के बाद आधारभूत सुविधा जैसे बच्चों की सुरक्षा, स्कूल सैनिटाइज करने का काफी खर्च करना पड़ेगा.

कुलभूषण शर्मा ने बताया कि सरकार स्कूलों को छूट और आर्थिक सहायता देने के बदले उन पर बंदिश लगाकर नियमों के खिलाफ काम कर रही है, सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत फीस ने लेने व फीस ना बढ़ाने के आदेश जारी किए हैं. जो कानूनन गलत हैं.

ये भी पढ़ें- कुरुक्षेत्र: 35 साल बाद शादी करने वालों के बच्चों में बढ़ रही है डाउन सिंड्रोम की बीमारी

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार के निजी स्कूलों से फीस बढ़ोतरी न करने के आदेश को नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल अलायंस की ओर से हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. मामले में हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर 4 जून के लिए जवाब तलब किया है.

आदेश पर रोक लगाने की मांग

याचिकाकर्ता कुलभूषण शर्मा जो की नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल अलायंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा 12 अप्रैल 2020 से 8 मई 2020 तक जारी उन सभी आदेशों पर रोक लगाने की मांग की गई है. जिसमें सरकार ने निजी स्कूलों को फीस ना बढ़ाने के आदेश दिए हैं.

हरियाणा सरकार के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका, क्लिक कर देखें वीडियो

याचिका में हाई कोर्ट को बताया गया कि कोरोना वायरस के चलते स्कूल कई महीनों से बंद पड़े हैं. इसी दौरान हरियाणा सरकार की ओर से प्रशासनिक आदेश जारी करते हुए कहा गया कि स्कूल फॉर्म 6 के अनुरूप फीस वृद्धि नहीं करेंगे और ट्यूशन फीस के अतिरिक्त अन्य फीस फिलहाल नहीं वसूल सकते.

याचिका में ये भी बताया गया कि सरकार के आदेश उनके खुद के नियमों के खिलाफ हैं, सभी स्कूलों को 1 जनवरी तक अपना फॉर्म 6 शिक्षा विभाग को भर कर देना होता है. जिसमें स्कूल की आर्थिक स्थिति जरूरत व अन्य जानकारी होती हैं. सभी स्कूलों ने जनवरी महीने से ये फॉर्म भर दिया था. उन्होंने फॉर्म 6 में नए सत्र से फीस बढ़ाने की योजना थी. जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया था लेकिन अब सरकार इस तरह के आदेश जारी कर अपने आदेश की अवहेलना कर रही है.

इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने बताया कि स्कूलों के पास भवन की देखरेख तथा अन्य प्रकार के खर्च के लिए केवल फीस एकमात्र माध्यम होता है. ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने तथा ऑनलाइन पढ़ाई के लिए इंतजाम करने के लिए फंड की व्यवस्था बिना फीस के नहीं की जा सकती. याचिका में ये भी बताया गया कि स्कूल खुलने के बाद आधारभूत सुविधा जैसे बच्चों की सुरक्षा, स्कूल सैनिटाइज करने का काफी खर्च करना पड़ेगा.

कुलभूषण शर्मा ने बताया कि सरकार स्कूलों को छूट और आर्थिक सहायता देने के बदले उन पर बंदिश लगाकर नियमों के खिलाफ काम कर रही है, सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत फीस ने लेने व फीस ना बढ़ाने के आदेश जारी किए हैं. जो कानूनन गलत हैं.

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