चंडीगढ़: हरियाणा में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हर रोज बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं. क्या आम आदमी और क्या राजनेता. कोरोना ने हर किसी को अपनी जद में ले लिया है. हरियाणा में कोरोना अब मंत्रिमंडल तक भी पहुंच गया है. मंत्रियों के अलावा प्रदेश में कई सासंद और विधायक भी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं, लेकिन इन मंत्री और नेताओं के कोरोना की चपेट में आने के बाद ये सवाल उठने लगा है कि क्या इन मंत्री और नेताओं को सरकारी अस्पतालों पर भरोसा नहीं है, क्योंकि इनमें से ज्यादातर निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं.
सीएम से लेकर कई मंत्री निजी अस्पताल में भर्ती
सीएम मनोहर लाल खट्टर कोरोना संक्रमित होने के बाद गुरुग्राम के मेदांता में इलाज करवा रहे हैं. वहीं हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता भी गुरुग्राम के मेदांता में भर्ती हैं. इनके अलावा प्रदेश के बिजली मंत्री रणजीत चौटाला का इलाज भी मेदांता में चल रहा है. ये तो वो माननीय हैं जो कोरोना संक्रमित होने के बाद निजी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे. वहीं कुछ दिन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज पैर में चोट लगने के बाद एक निजी अस्पताल में इलाज करवाते नजर आए थे. अब जब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ही निजी अस्पताल में इलाज कराएंगे तो सवाल उठना तो लाजिमी हैं.
विपक्ष ने पूछे तीखे सवाल
वहीं इस मुद्दे पर विपक्षी नेताओं ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार को अपनी ही व्यवस्था पर यकीन नहीं है इसलिए मंत्री अपना इलाज सरकारी अस्पतालों में ना करवाकर प्राइवेट अस्पतालों में करवा रहे हैं. भाजपा सरकार हरियाणा के निवासियों को ऐसे समझती है जैसे कोई निर्जीव वस्तु हो या कीड़े मकोड़े हो, क्योंकि इनका इलाज तो बेकार सी जगह पर बनाए गए कोरोना सेंटर में किया जा रहा है और मुख्यमंत्री समेत अन्य मंत्रियों का इलाज फाइव स्टार निजी हॉस्पिटलों में किया जा रहा है.
सीएम का बचाव करते नजर आए शिक्षा मंत्री
इस मामले पर जब हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर से जब बात की गई तो उन पर जवाब देते नहीं बना. वो सीएम और बाकी मंत्रियों का बचाव करते नजर आए और गोल मोल जवाब देकर सवाल को हंसी में टाल गए. उन्होंने कहा कि सीएम ढाई करोड़ लोगों के प्रतिनिधि हैं और अच्छे से अच्छा इलाज उन्हें मिलना चाहिए. सरकारी अस्पतालों में भी अच्छा इलाज मिलता है और हरियाणा में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हैं, ये तो बस सुरक्षा की बात है.
राजनीतिक विशेषज्ञ ने बताए ये कारण
वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर गुरमीत सिंह से जब इस मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने मंत्री और नेताओं द्वारा निजी अस्पताल को प्राथमिकता देने के कई कारण बताए. उन्होंने कहा कि एक पक्ष तो ये है कि सरकारी अस्पतालों में वीआईपी मरीज के दाखिल होने पर सामान्य मरीजों को परेशानी आएगी, जबकि दूसरा पक्ष ये भी है कि सरकारी अस्पतालों के मुकाबले निजी अस्पतात अच्छे व साफ हैं और यहां लोग ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं. आम लोगों के लिए बड़े अस्पतालों में इलाज करवाना सम्भव नहीं हो पाता जिस वजह से सरकारी अस्पतालों के मुकाबले प्राइवेट में कम लोग पहुंचते हैं तो भीड़ भी एक वजह हो सकती है.
आरोप लग रहे हैं कि जब हरियाणा सरकार की तरफ से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से दुरुस्त होने के के दावे किए गए हैं तो ऐसे में मंत्रियों को ही सरकारी सेवाओं पर विश्वास क्यों नहीं है. मुख्यमंत्री से लिकर कई विधायक बड़े नामचीन अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं. जब सरकार का दावा है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हैं तो ऐसे में प्रदेश के नेता सरकारी अस्पतालों में आम नागरिकों की तरह इलाज करवाकर नाजिर पेश क्यों नहीं करते.
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