चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Haryana Chief Minister Manohar Lal Khattar) की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक (haryana cabinet meeting) में पंचायती राज संस्थानों में पिछड़ा वर्ग (ए) के राजनीतिक आरक्षण अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए इस संबंध में हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को स्वीकृति प्रदान की गई.
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) के पूर्व जज, न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) र्शन सिंह के नेतृत्व में गठित आयोग ने पिछड़े वर्गों के नागरिकों के राजनीतिक पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए गहन जांच की. आयोग ने पाया कि पिछड़ा वर्ग ब्लॉक-ए (बीसी-ए) के लोगों को राजनीतिक सेटअप में पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने के कारण उन्हें पंचायती राज संस्थानों में राजनीतिक आरक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है.
ग्राम पंचायत में अनुशंसित आरक्षण: प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंच के पदों को पिछड़ा वर्ग (ए) के लिए कुल सीटों के उसी अनुपात में आरक्षित किया जाएगा जो ग्राम सभा क्षेत्र की कुल आबादी में पिछड़ा वर्ग (क) की आबादी के आधे प्रतिशत के रूप में होगी. यदि डेसिमल वैल्यू 0.5 या अधिक है तो इसे अगले उच्च पूर्णांक में पूर्णांकित किया जाएगा. बशर्ते कि यदि पिछड़े वर्ग (ए) की आबादी सभा क्षेत्र की कुल आबादी का दो प्रतिशत या अधिक है तो प्रत्येक ग्राम पंचायत में पिछड़े वर्ग (ए) से संबंधित कम से कम एक पंच होगा. इसी प्रकार, एक ब्लॉक में सरपंच के पदों की कुल संख्या का आठ प्रतिशत और यदि डेसिमल वैल्यू 0.5 या अधिक है तो इसे अगले उच्च पूर्णांक में पूर्णांकित करते हुए पिछड़ा वर्ग (ए) के लिए आरक्षित किया जाएगा.
पंचायत समिति में अनुशंसित आरक्षण: प्रत्येक पंचायत समिति में सदस्य के पद पिछड़ा वर्ग (ए) के लिए कुल सीटों के उसी अनुपात में आरक्षित किए जाएंगे जो ब्लॉक की कुल आबादी में पिछड़ा वर्ग (ए) की आबादी के आधे प्रतिशत के रूप में होगी. यदि डेसिमल वैल्यू 0.5 या अधिक है तो इसे अगले उच्च पूर्णांक में पूर्णांकित किया जाएगा.
जिला परिषद में अनुशंसित आरक्षण: प्रत्येक जिला परिषद में सदस्य के पद पिछड़ा वर्ग (ए) के लिए कुल सीटों के उसी अनुपात में आरक्षित किए जाएंगे जो जिला परिषद क्षेत्र की कुल आबादी में पिछड़ा वर्ग (ए) की आबादी के आधे प्रतिशत के रूप में होगी.
आयोग ने कहा है कि शीर्ष न्यायालय के निर्देशानुसार आरक्षण किसी भी पंचायती राज संस्थान में अनुसूचित जाति और बीसी (ए) के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा. आगे स्पष्ट किया गया है कि पिछड़े वर्ग (ए)के लिए इस प्रकार आरक्षित सीटों की संख्या को अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या के साथ जोड़ने पर यदि उनकी कुल संख्या पंचायती राज संस्थानों की कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक हो जाती है तो पिछड़े वर्ग (ए) के लिए आरक्षित सीटों की संख्या को वहीं तक रखा जाएगा जिससे कि अनुसूचित जाति और बीसी (ए) का आरक्षण ग्राम पंचायत के पंच, पंचायत सीमित के सदस्य और जिला परिषद् के सदस्य की कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक न हो.
आयोग द्वारा इन सिफारिशों को स्पष्ट करते हुए उदाहरण (haryana cabinet decisions) दिया गया है कि मान लीजिए गांव में पिछड़े वर्ग ब्लॉक ए की आबादी ग्राम सभा की कुल आबादी का 25 प्रतिशत है तो 12.5 प्रतिशत सीटें पिछड़ा वर्ग ब्लॉक (ए) के नागरिकों के लिए आरक्षित होंगी. जहां किसी गांव में अनुसूचित जाति की आबादी 50 प्रतिशत या उससे अधिक है तो पिछड़े वर्ग (ए) को अपनी आबादी की प्रतिशतता के बावजूद भी कोई आरक्षण नहीं मिलेगा.
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