चंडीगढ़: भ्रष्टाचार समाप्त करने और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली भाजपा सरकार के लिए उनके ही विधायक मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. जजपा के विधायक देवेंद्र बबली ने जहां टोहाना में पिछले पांच साल में विकास में भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगाए हैं. वहीं भाजपा के विधायक दूडा राम ने भी डेली वेज में दी जाने वाली नौकरियों में 20 से 30 हजार रुपये लेने के संगीन आरोप लगा दिए हैं जबकि भाजपा सरकार नौकरियों में निष्पक्षता और ईमानदारी से देने का दम भरती रही है.
जेजेपी विधायक ने तो टोहाना में विकास के नाम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए विजिलेंस जांच तक की मांग कर दी है. बबली सरकार में सांझेदार पार्टी जेजेपी के विधायक हैं जबकि टोहाना से उनसे पहले भाजपा के विधायक एवं प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला विधायक रह चुके हैं. वहीं सुभाष बराला ने कहा कि किसी भी तरह की अनियमितता के मामले में न कोई पहले बचा है न ही आगे किसी को बख्शा जाएगा.
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बबली के अनुसार प्रदेश भर में पिछले 5 साल में हुए विकास कार्यों में धांधलियों के तहत करीब 500 शिकायतें उनके पास पहुंची हैं. टोहाना विधानसभा हल्के में अधिकारी अब तबादले करवाकर यहां-वहां भाग रहे हैं, उन्होंने इस पूरे मामले की विजिलेंस जांच की मांग की है.
बबली की तरफ से भ्रष्टाचार की शिकायतों के मिलने के दावे के दूसरी तरफ सवाल ये भी है कि पिछले 5 साल में अगर हल्के में जमकर भ्रष्टाचार हुआ तो 5 साल तक विधायक रहे सुभाष बराला को भ्रष्टाचार से संबंधित ऐसी शिकायतें लोगों की तरफ से क्यों नहीं दी गई. देवेंद्र बबली की तरफ से लगाए जा रहे आरोप पर सुभाष बराला ने कहा कि जो आरोप लगता है वो ही बता पाएगा कि किस प्रकार की उसकी मंशा से उनकी तरफ से बात की जा रही है. ये वही बता सकते हैं. हरियाणा में मौजूदा और पूर्व की मनोहर सरकार ईमानदारी और जवाबदेही के साथ सरकार चली थी.
बराला ने कहा कि मैं टोहाना के विधायक का स्वागत करता हूं कि हमारी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति की तरफ उनका ध्यान गया है. वे चुने हुए प्रतिनिधि हैं, अगर किसी को भी कहीं भी कोई गलत काम होता लगता है तो उसको रोकने के लिए आगे आना चाहिए, मैं इस बात का स्वगत करता हूं.
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फिलहाल टोहाना में भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर जेजेपी विधायक ने एक नई बहस को हवा दे दी है. इस मुद्दे पर विपक्षी दल सरकार को कठघरे में खड़ा कर सकते हैं जबकि भाजपा के ही विधायक दूडा राम ने भी डेलीवेज नौकरियों में ही 20 से 30 हजार रुपये रिश्वत लिए जाने का आरोप लगा कर सरकार की निष्पक्ष नौकरियां देने के दावे पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. अब ये देखना होगा कि जेजेपी विधायक की विजिलेंस जांच पर सरकार का क्या कदम रहता है.