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जेजेपी-बीएसपी के गठबंधन से हरियाणा की राजनीति पर कैसा असर पड़ेगा ?

हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है. कुछ नेता चुनावों से पहले जहां दूसरे दलों में जा रहे हैं. वहीं हरियाणा की जननायक जनता पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है.

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Published : Aug 12, 2019, 8:27 PM IST

चंडीगढ़: जेजेपी-बीएसपी का गठबंधन होने के बाद अब आने वाले हरियाणा विधानसभा में जेजेपी 50 और बीएसपी 40 सीटों पर मिलकर बीजेपी और कांग्रेस को टक्कर देने की कोशिश करेंगे. दोनों दल चौधरी देवी लाल के जन्मदिवस 25 सितंबर को मिलकर संयुक्त रैली भी करेंगे.

बीएसपी लोकसभा चुनावों से पहले इनेलो और लोसुपा के साथ कर चुकी है गठबंधन
बीएसपी ने लोकसभा चुनावों से पहले इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन किया था. चौटाला परिवार में विवाद का हवाला देते हुए मायावती ने फिर इनेलो से गठबंधन तोड़ लिया था. इसके बाद बीएसपी ने भाजपा से अलग हुए राजकुमार सैनी की पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी (लोसुपा) के साथ गठबंधन किया था. दोनों दलों ने मिलकर लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन इनके हाथ कुछ नहीं आया.

bsp lsp
बसपा लोसुपा गठबंधन के बाद रैली के दौरान मायावती और राजकुमार सैनी.
दिसम्बर 2018 में हुआ था जेजेपी का गठनइनेलो से अलग होकर दिसंबर 2018 में दुष्यंत ने जेजेपी का गठन किया था. इस दल का गठन इनेलो की पारिवारिक राजनीतिक लड़ाई की वजह से हुआ था. दरअसल 7 अक्टूबर 2018 को गोहाना में चौ. देवीलाल स्टेडियम में आयोजित सम्मान दिवस समारोह में तत्कालीन इनेलो सांसद दुष्यंत चौटाला के समर्थकों ने उनके चाचा अभय के खिलाफ हूटिंग कर दी थी.
jjp
दिसम्बर 2018 में हुआ था जजपा का गठन.
इसके बाद पार्टी प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने अपने पोते दुष्यंत और उनके छोटे भाई दिग्विजय को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया था. जिसके बाद दुष्यंत ने परदादा चौ. देवीलाल को मिली उपाधि जननायक का इस्तेमाल करते हुए जननायक जनता पार्टी का गठन किया था.लोकसभा चुनाव में जेजेपी और AAP थी साथजेजेपी ने 2019 का लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था. जिसमें वे खाता भी नहीं खोल पाए थे. वहीं दुष्यन्त चौटाला को भी हिसार सीट पर हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद दोनों दल एक तरह से अपनी-अपनी राह चल पड़े. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जेजेपी को आप के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का कोई फायदा नहीं हुआ. वहीं आप को भी 2014 के मुकाबले 2019 में कम वोट मिले.
aap jjp
जजपा और आप के गठबंधन के बाद रैली करते हुए अरविंद केजरीवाल और दुष्यंत चौटाला.
गठबंधन का किसको फायदा किसको नुकसान?इस बार के विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा की राजनीति में सभी उम्मीद कर रहे थे कि बीजेपी को रोकने के लिए प्रदेश में महागठबंधन बन सकता है. लेकिन जेजेपी और बीएसपी के गठबंधन की घोषणा के बाद इसकी उम्मीदें कम दिखाई देती हैं. हालांकि राजनीति अनिश्चितता का खेल है, इसमें कभी भी कुछ भी हो सकता है.
bs hooda
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा.
वहीं जेजेपी और बीएसपी के गठबंधन का विपरित असर पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन की कोशिशों पर पड़ सकता है. जानकार मानते हैं कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस से अलग होने की राह पर हैं और वह विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाने की कोशिशों में जुटे हैं. ऐसे में जेजेपी-बीएसपी का एक होना उनके लिए झटका है. हालांकि जानकर मानते हैं कि इस गठबंधन से बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
amit shah khattar
फाइल फोटो
लोकसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रहा लोसुपा-बीएसपी गठबंधन 2019 लोकसभा चुनावों में बीएसपी और लोसुपा के गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा. 10 सीटों में से 7 सीटों पर बीएसपी-लोसुपा गठबंधन तीसरे नंबर पर रहा. गठबंधन के तहत हरियाणा की 10 सीटों में से 8 पर बीएसपी ने अपने प्रत्याशी उतारे थे, वहीं लोसुपा प्रत्याशी ने 2 सीटों पर चुनाव लड़ा.
bsp lsp
बसपा लोसुपा गठबंधन के बाद रैली के दौरान मायावती और राजकुमार सैनी.
इस हार का ठीकरा बसपा ने सैनी की पार्टी पर फोड़ा था. बसपा के मुताबिक बसपा नेताओं द्वारा बार-बार समझाने के बाद भी राजकुमार सैनी विवादित बयान देते रहे. इसकी वजह से पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. बीएसपी का कहना था कि सैनी की पार्टी के पास पूरे हरियाणा में कहीं भी कैडर मतदाता नहीं थे. वहीं राजकुमार सैनी ने बसपा पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगाया था. लोकसभा चुनाव में क्या रहा वोट प्रतिशत?2019 लोकसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी की बल्ले-बल्ले हुई. पार्टी ने हरियाणा में सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की. बीजेपी को इस चुनाव में 57.93 प्रतिशत, कांग्रेस को 28.48 प्रतिशत, इनेलो को 1.9 प्रतिशत, बीएसपी को 3.63 प्रतिशत, आप को 0.36 और जेजेपी और अन्य को 7.75 प्रतिशत वोट मिले. अगर इस वोट प्रतिशत को विधानसभा चुनावों के लिये आधार बनाया जाए तो महागठबंधन की स्थिति में भी बीजेपी को कोई भारी नुकसान होने की उम्मीद कम ही है. दूसरा केंद्र में अभी-अभी बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है. ऐसे में प्रदेश की जनता बीजेपी को छोड़कर किसी अन्य दल को हरियाणा की सत्ता पर बैठाए इसकी सम्भावनाएं कम ही हैं. इसलिए जेजेपी-बसपा गठबंधन बीजेपी को कड़ी टक्कर दे पाएगा संभावना कम है.
mayawati abhay
इनेलो-बसपा गठबंधन के बाद मायावती ने अभय चौटाला को राखी बांधी थी.
हरियाणा की राजनीति में बीएसपी का सफरबसपा ने 1998 में हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन किया था. वहीं साल 2009 में बसपा कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ थी. इसके बाद मई 2018 में फिर से इंडियन नेशनल लोकदल के साथ मिलकर चलने का फैसला किया गया, लेकिन यह गठबंधन 9 महीने बाद ही टूट गया.
mayawati kuldeep bishnoi
हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद रैली करते हुए मायावती, पूर्व सीएम भजनलाल और कुलदीप बिश्नोई.

इनेलो के साथ गठबंधन तोड़कर फरवरी 2019 में राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के साथ गठबंधन किया था. हालांकि यह गठबंधन भी ज्यादा दिन नहीं चल पाया. ऐसे में अब देखना होगा कि जेजेपी-बसपा का ये गठबंधन हरियाणा की राजनीति पर क्या असर डालेगा और कितने दिन चलेगा.

चंडीगढ़: जेजेपी-बीएसपी का गठबंधन होने के बाद अब आने वाले हरियाणा विधानसभा में जेजेपी 50 और बीएसपी 40 सीटों पर मिलकर बीजेपी और कांग्रेस को टक्कर देने की कोशिश करेंगे. दोनों दल चौधरी देवी लाल के जन्मदिवस 25 सितंबर को मिलकर संयुक्त रैली भी करेंगे.

बीएसपी लोकसभा चुनावों से पहले इनेलो और लोसुपा के साथ कर चुकी है गठबंधन
बीएसपी ने लोकसभा चुनावों से पहले इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन किया था. चौटाला परिवार में विवाद का हवाला देते हुए मायावती ने फिर इनेलो से गठबंधन तोड़ लिया था. इसके बाद बीएसपी ने भाजपा से अलग हुए राजकुमार सैनी की पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी (लोसुपा) के साथ गठबंधन किया था. दोनों दलों ने मिलकर लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन इनके हाथ कुछ नहीं आया.

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बसपा लोसुपा गठबंधन के बाद रैली के दौरान मायावती और राजकुमार सैनी.
दिसम्बर 2018 में हुआ था जेजेपी का गठनइनेलो से अलग होकर दिसंबर 2018 में दुष्यंत ने जेजेपी का गठन किया था. इस दल का गठन इनेलो की पारिवारिक राजनीतिक लड़ाई की वजह से हुआ था. दरअसल 7 अक्टूबर 2018 को गोहाना में चौ. देवीलाल स्टेडियम में आयोजित सम्मान दिवस समारोह में तत्कालीन इनेलो सांसद दुष्यंत चौटाला के समर्थकों ने उनके चाचा अभय के खिलाफ हूटिंग कर दी थी.
jjp
दिसम्बर 2018 में हुआ था जजपा का गठन.
इसके बाद पार्टी प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने अपने पोते दुष्यंत और उनके छोटे भाई दिग्विजय को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया था. जिसके बाद दुष्यंत ने परदादा चौ. देवीलाल को मिली उपाधि जननायक का इस्तेमाल करते हुए जननायक जनता पार्टी का गठन किया था.लोकसभा चुनाव में जेजेपी और AAP थी साथजेजेपी ने 2019 का लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था. जिसमें वे खाता भी नहीं खोल पाए थे. वहीं दुष्यन्त चौटाला को भी हिसार सीट पर हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद दोनों दल एक तरह से अपनी-अपनी राह चल पड़े. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जेजेपी को आप के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का कोई फायदा नहीं हुआ. वहीं आप को भी 2014 के मुकाबले 2019 में कम वोट मिले.
aap jjp
जजपा और आप के गठबंधन के बाद रैली करते हुए अरविंद केजरीवाल और दुष्यंत चौटाला.
गठबंधन का किसको फायदा किसको नुकसान?इस बार के विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा की राजनीति में सभी उम्मीद कर रहे थे कि बीजेपी को रोकने के लिए प्रदेश में महागठबंधन बन सकता है. लेकिन जेजेपी और बीएसपी के गठबंधन की घोषणा के बाद इसकी उम्मीदें कम दिखाई देती हैं. हालांकि राजनीति अनिश्चितता का खेल है, इसमें कभी भी कुछ भी हो सकता है.
bs hooda
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा.
वहीं जेजेपी और बीएसपी के गठबंधन का विपरित असर पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन की कोशिशों पर पड़ सकता है. जानकार मानते हैं कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस से अलग होने की राह पर हैं और वह विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाने की कोशिशों में जुटे हैं. ऐसे में जेजेपी-बीएसपी का एक होना उनके लिए झटका है. हालांकि जानकर मानते हैं कि इस गठबंधन से बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
amit shah khattar
फाइल फोटो
लोकसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रहा लोसुपा-बीएसपी गठबंधन 2019 लोकसभा चुनावों में बीएसपी और लोसुपा के गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा. 10 सीटों में से 7 सीटों पर बीएसपी-लोसुपा गठबंधन तीसरे नंबर पर रहा. गठबंधन के तहत हरियाणा की 10 सीटों में से 8 पर बीएसपी ने अपने प्रत्याशी उतारे थे, वहीं लोसुपा प्रत्याशी ने 2 सीटों पर चुनाव लड़ा.
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बसपा लोसुपा गठबंधन के बाद रैली के दौरान मायावती और राजकुमार सैनी.
इस हार का ठीकरा बसपा ने सैनी की पार्टी पर फोड़ा था. बसपा के मुताबिक बसपा नेताओं द्वारा बार-बार समझाने के बाद भी राजकुमार सैनी विवादित बयान देते रहे. इसकी वजह से पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. बीएसपी का कहना था कि सैनी की पार्टी के पास पूरे हरियाणा में कहीं भी कैडर मतदाता नहीं थे. वहीं राजकुमार सैनी ने बसपा पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगाया था. लोकसभा चुनाव में क्या रहा वोट प्रतिशत?2019 लोकसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी की बल्ले-बल्ले हुई. पार्टी ने हरियाणा में सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की. बीजेपी को इस चुनाव में 57.93 प्रतिशत, कांग्रेस को 28.48 प्रतिशत, इनेलो को 1.9 प्रतिशत, बीएसपी को 3.63 प्रतिशत, आप को 0.36 और जेजेपी और अन्य को 7.75 प्रतिशत वोट मिले. अगर इस वोट प्रतिशत को विधानसभा चुनावों के लिये आधार बनाया जाए तो महागठबंधन की स्थिति में भी बीजेपी को कोई भारी नुकसान होने की उम्मीद कम ही है. दूसरा केंद्र में अभी-अभी बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है. ऐसे में प्रदेश की जनता बीजेपी को छोड़कर किसी अन्य दल को हरियाणा की सत्ता पर बैठाए इसकी सम्भावनाएं कम ही हैं. इसलिए जेजेपी-बसपा गठबंधन बीजेपी को कड़ी टक्कर दे पाएगा संभावना कम है.
mayawati abhay
इनेलो-बसपा गठबंधन के बाद मायावती ने अभय चौटाला को राखी बांधी थी.
हरियाणा की राजनीति में बीएसपी का सफरबसपा ने 1998 में हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन किया था. वहीं साल 2009 में बसपा कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ थी. इसके बाद मई 2018 में फिर से इंडियन नेशनल लोकदल के साथ मिलकर चलने का फैसला किया गया, लेकिन यह गठबंधन 9 महीने बाद ही टूट गया.
mayawati kuldeep bishnoi
हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद रैली करते हुए मायावती, पूर्व सीएम भजनलाल और कुलदीप बिश्नोई.

इनेलो के साथ गठबंधन तोड़कर फरवरी 2019 में राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के साथ गठबंधन किया था. हालांकि यह गठबंधन भी ज्यादा दिन नहीं चल पाया. ऐसे में अब देखना होगा कि जेजेपी-बसपा का ये गठबंधन हरियाणा की राजनीति पर क्या असर डालेगा और कितने दिन चलेगा.

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जजपा-बीएसपी का गठबंधन से हरियाणा की राजनीति पर कैसा असर पड़ेगा ?



हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचलें तेज हो गई हैं. कुछ नेता चुनावों से पहले जहां दूसरे दलों में जा रहे हैं वहीं हरियाणा की जननायक जनता पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है. 

चंडीगढ़: जजपा-बीएसपी का गठबंधन होने के बाद अब आने वाले हरियाणा विधानसभा में जजपा 50 और बीएसपी 40 सीटों पर मिलकर बीजेपी और कांग्रेस को टक्कर देने की कोशिश करेंगे. दोनों दल चौधरी देवी लाल के जन्मदिवस 25 सितंबर को मिलकर संयुक्त रैली भी करेंगे. 

बीएसपी लोकसभा चुनावों से पहले इनेलो और लोसुपा के साथ कर चुकी है गठबंधन

बीएसपी ने लोकसभा चुनावों से पहले इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन किया था. चौटाला परिवार में विवाद का हवाला देते हुए मायावती ने फिर इनेलो से गठबंधन तोड़ लिया था. इसके बाद बीएसपी ने भाजपा से अलग हुए राजकुमार सैनी की पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी (लोसुपा) के साथ गठबंधन किया था. दोनों दलों ने मिलकर लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन इनके हाथ कुछ नहीं आया. 

दिसम्बर 2018 में हुआ था जजपा का गठन

इनेलो से अलग होकर दिसंबर 2018 में दुष्यंत ने जजपा का गठन किया था. इस दल का गठन इनेलो की पारिवारिक राजनीतिक लड़ाई की वजह से हुआ था. दरअसल  7 अक्टूबर 2018 को गोहाना में चौ. देवीलाल स्टेडियम में आयोजित सम्मान दिवस समारोह में तत्कालीन इनेलो सांसद दुष्यंत चौटाला के समर्थकों ने उनके चाचा अभय के खिलाफ हूटिंग कर दी थी. 

इसके बाद पार्टी प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने अपने पोते दुष्यंत और उनके छोटे भाई दिग्विजय को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया था जिसके बाद दुष्यंत ने परदादा चौ. देवीलाल को मिली उपाधि जननायक का इस्तेमाल करते हुए जननायक जनता पार्टी का गठन किया था.

लोकसभा चुनाव में जजपा और आप थी साथ

जजपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था. जिसमें वे खाता भी नहीं खोल पाए थे. वहीं दुष्यन्त चौटाला को भी हिसार सीट पर हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद दोनों दल एक तरह से अपनी-अपनी राह चल पड़े. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जजपा को आप के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का कोई फायदा नहीं हुआ. वहीं आप को भी 2014 के मुकाबले 2019 में कम वोट मिले. 

गठबंधन का किसको फायदा किसको नुकसान?

इस बार के विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा की राजनीति में सभी उम्मीद कर रहे थे कि बीजेपी को रोकने के लिए प्रदेश में महागठबंधन बन सकता है. लेकिन जजपा और बीएसपी के गठबंधन की घोषणा के बाद इसकी उम्मीदें कम दिखाई देती हैं. हालांकि राजनीति अनिश्चितता का खेल है, इसमें कभी भी कुछ भी हो सकता है. 

वहीं जजपा और बीएसपी के गठबंधन का विपरित असर पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन की कोशिशों पर पड़ सकता है. जानकर मानते हैं कि  भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस से अलग होने की राह पर हैं और वह विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाने की कोशिशों में जुटे हैं. ऐसे में जजपा बीएसपी का एक होना उनके लिए झटका है. हालांकि जानकर मानते हैं कि इस गठबंधन से बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

लोकसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रहा लोसुपा-बीएसपी गठबंधन 

2019 लोकसभा चुनावों में बीएसपी और लोसुपा के गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा. 10 सीटों में से 7 सीटों पर बीएसपी-लोसुपा गठबंधन तीसरे नंबर पर रहा. गठबंधन के तहत हरियाणा की 10 सीटों में से 8 पर बीएसपी ने अपने प्रत्याशी उतारे थे, वहीं लोसुपा प्रत्याशी ने 2 सीटों पर चुनाव लड़ा. 

इस हार का ठीकरा बसपा ने सैनी की पार्टी पर फोड़ा था. बसपा के मुताबिक बसपा नेताओं द्वारा बार-बार समझाने के बाद भी राजकुमार सैनी विवादित बयान देते रहे. इसकी वजह से पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. बीएसपी का कहना था कि सैनी की पार्टी के पास पूरे हरियाणा में कहीं भी काडर मतदाता नहीं थे. वहीं राजकुमार सैनी ने बसपा पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगाया था. 

2019 लोकसभा चुनाव में क्या रहा वोट प्रतिशत?

2019 लोकसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी की बल्ले-बल्ले हुई. पार्टी ने हरियाणा में सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की. बीजेपी को इस चुनाव में 57.93 प्रतिशत, कांग्रेस को 28.48 प्रतिशत, इनेलो को 1.9 प्रतिशत, बीएसपी को 3.63 प्रतिशत, आप को 0.36 और जेजेपी और अन्य को 7.75 प्रतिशत वोट मिले. अगर इस वोट प्रतिशत को विधानसभा चुनावों के लिये आधार बनाया जाए तो महागठबंधन की स्थिति में भी बीजेपी को कोई भारी नुकसान होने की उम्मीद कम ही है. 

दूसरा केंद्र में अभी-अभी बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है. ऐसे में प्रदेश की जनता बीजेपी को छोड़कर किसी अन्य दल को हरियाणा की सत्ता पर बैठाए इसकी सम्भावनाएं कम ही हैं इसलिए जजपा-बसपा गठबंधन बीजेपी को कड़ी टक्कर दे पाएगा संभावना कम है.

हरियाणा की राजनीति में बसपा की क्या रही है अभी तक चाल

बसपा ने 1998 में हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन किया था. वहीं साल 2009 में बसपा कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ थी. इसके बाद मई 2018 में फिर से इंडियन नेशनल लोकदल के साथ मिलकर चलने का फैसला किया गया, लेकिन यह गठबंधन 9 महीने बाद ही टूट गया. इनेलो के साथ गठबंधन तोड़कर फरवरी 2019 में राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के साथ गठबंधन किया था. हालांकि यह गठबंधन भी ज्यादा दिन नहीं चल पाया. ऐसे में अब देखना होगा कि जजपा-बसपा का ये गठबंधन हरियाणा की राजनीति पर क्या असर डालेगा और कितने दिन चलेगा.


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