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बीजेपी के 90 उम्मीदवारों में 20 जाट, जानिए बीजेपी ने क्यों काटे 7 जाटों के टिकट

बीजेपी के उम्मीदवारों में सोशल इंजीनियरिंग का नमूना देखने को मिला है. पार्टी ने अपने सबसे भरोसेमंद गैर जाट वोटर्स से सबसे ज्यादा उम्मीद जताई है और जाट उम्मीदवारों की संख्या कम कर दी है.

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Published : Oct 3, 2019, 3:21 PM IST

चंडीगढ़ः बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट में टिकट वितरण के दौरान जातीय समीकरणों पर ध्यान देते हुए एक-एक सीट पर वोट बैंक को ध्यान में रखकर उम्मीदवार उतारे हैं. और 90 उम्मीदवारों में से 20 जाट समुदाय के उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है.

2014 से 2019 में 7 जाट उम्मीदवार कम
भारतीय जनता पार्टी ने अपनी गैर जाट वाली राजनीति को और मजबूती से पेश किया है और इस बार जाट समुदाय के 7 उम्मीदवारों का टिकट काट दिया. 2014 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 27 जाट उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन इस बार जाट उम्मीदवारों की संख्या 20 कर दी गई है. इसकी कई वजहें हो सकती हैं जैसे बीजेपी अपनी गैर जाट छवि को मजबूती से पेश करना चाहती है. इसके अलावा एक वजह ये भी है कि 2014 के चुनाव में 27 जाट उम्मीदवारों में से मात्र 6 उम्मीदवार ही जीत दर्ज कर पाए थे. इसलिए भी बीजेपी ने जाट उम्मीदवारों की ओर से हाथ खींचा है.

बीजेपी के 90 उम्मीदवारों में 20 जाट, पिछली बार उतारे थे 27 जाट उम्मीदवार

बीजेपी ने ऐसे साधे जातीय समीकरण

  • बीजेपी के 90 में से 20 जाट उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 17 एससी उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 9 पंजाबी उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 7 ब्राह्मण उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 9 वैश्य उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 6 गुर्जर उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 6 यादव उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 2 मुस्लिम उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 2 सिख उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 5 रोड़ और 3 राजपूत उम्मीदवार

गैर जाट छवि को मजबूत करने की कोशिश
बीजेपी ने उम्मीदवारों की लिस्ट से अपनी गैर जाट छवि को मजबूत करने की कोशिश की है. राजनीतिक विश्लेशक डॉ. गुरमीत सिंह कहते हैं कि हमारे यहां कोई पार्टी ये नहीं मानती कि वो जातिगत आधार पर टिकट देते हैं. लेकिन ये भारतीय राजनीति की सच्चाई है कि टिकट वितरण से लेकर मंत्रिमंडल के बंटवारे तक में जातिगत समीकरण साधे जाते हैं. और भारतीय जानता पार्टी शुरू से ही ये मैसेज लेकर चली है कि वो नॉन जाट ध्रुवीकरण चाहती है. और पिछली बार जाट उम्मीदवार ज्यादा जीते भी नहीं थे. इसीलिए बीजेपी अपने नॉन जाट वाले फंडे पर चल रही है.

पिछले तीन विधानसभा चुनावों में पार्टियों का मत प्रतिशत

कुल सीटें-90 2005 2009 2014
बीजेपी 2 सीट, 10.36% वोट 4 सीट, 9.04% वोट 47 सीट, 33.20% वोट
कांग्रेस 67 सीट, 42.46% वोट 40 सीट, 35.08% वोट 15 सीट, 20.58% वोट
इनेलो 9 सीट, 26.77% वोट 31 सीट, 25.79% वोट 19 सीट, 24.11% वोट
अन्य 12 सीट, 20.41% वोट 15 सीट, 30.08% वोट 15 सीट, 30.08% वोट

क्या जाटों से बीजेपी को वोट की उम्मीद नहीं ?
2014 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 27 जाट उम्मीदवार उतारे थे जिसमें से मात्र 6 ही जीत पाए थे. शायद इसी वजह से बीजेपी का जाटों से और ज्यादा मोह भंग हो गया है. हालांकि 2014 से अब स्थिति बदल गई है. 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी को क्रमश: 34.8 प्रतिशत और 33.2 प्रतिश वोट मिले थे जो 2019 लोकसभा में बढ़कर 58 प्रतिशत हो गए. और ये ज्यादातर वोट इनेलो के कांग्रेस की ओर शिफ्ट हुए हैं क्योंकि 2014 में इनेलो को लोकसभा और विधानसभा दोनों में लगभग 24-24 प्रतिशत वोट मिले थे. जो 2019 लोकसभा में घटकर 1.89 फीसदी हो गए. और 2014 के मुकाबले कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी बढ़ा तो इसका मतलब तो यही हुआ कि इनेलो का ज्यादातर वोट बीजेपी की ओर शिफ्ट हो गया. और इनेलो का कोर वोटर जाट समुदाय को ही माना जाता है. मतलब एक तरीके से जाट समुदाय बीजेपी की ओर झुका है और उस पर विश्वास भी किया है लेकिन क्या बीजेपी इस समुदाय पर विश्वास कर पाई.

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हरियाणा में इतने मतदाता

ये भी पढ़ें- टिकट कटने पर चौधरी रणजीत सिंह ने कांग्रेस पर लगाए आरोप, कहा- करोड़ों रुपयों में बिके टिकट

पिछले तीन लोकसभा चुनावों में पार्टियों का मत प्रतिशत

कुल सीटें-10 2009 2014 2019
बीजेपी 0 सीट, 12.01% वोट 7 सीट, 34.08% वोट 10 सीट, 58% वोट
कांग्रेस 9 सीट, 41.08% वोट 1 सीट, 23% वोट 0 सीट, 28.42% वोट
इनेलो 0 सीट, 15.08% वोट 2 सीट, 24.04% वोट 0 सीट, 1.89% वोट
अन्य 1 सीट, 31% वोट 0 सीट, 17.8% वोट 0 सीट, 11.69% वोट

चंडीगढ़ः बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट में टिकट वितरण के दौरान जातीय समीकरणों पर ध्यान देते हुए एक-एक सीट पर वोट बैंक को ध्यान में रखकर उम्मीदवार उतारे हैं. और 90 उम्मीदवारों में से 20 जाट समुदाय के उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है.

2014 से 2019 में 7 जाट उम्मीदवार कम
भारतीय जनता पार्टी ने अपनी गैर जाट वाली राजनीति को और मजबूती से पेश किया है और इस बार जाट समुदाय के 7 उम्मीदवारों का टिकट काट दिया. 2014 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 27 जाट उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन इस बार जाट उम्मीदवारों की संख्या 20 कर दी गई है. इसकी कई वजहें हो सकती हैं जैसे बीजेपी अपनी गैर जाट छवि को मजबूती से पेश करना चाहती है. इसके अलावा एक वजह ये भी है कि 2014 के चुनाव में 27 जाट उम्मीदवारों में से मात्र 6 उम्मीदवार ही जीत दर्ज कर पाए थे. इसलिए भी बीजेपी ने जाट उम्मीदवारों की ओर से हाथ खींचा है.

बीजेपी के 90 उम्मीदवारों में 20 जाट, पिछली बार उतारे थे 27 जाट उम्मीदवार

बीजेपी ने ऐसे साधे जातीय समीकरण

  • बीजेपी के 90 में से 20 जाट उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 17 एससी उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 9 पंजाबी उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 7 ब्राह्मण उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 9 वैश्य उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 6 गुर्जर उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 6 यादव उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 2 मुस्लिम उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 2 सिख उम्मीदवार
  • बीजेपी के 90 में से 5 रोड़ और 3 राजपूत उम्मीदवार

गैर जाट छवि को मजबूत करने की कोशिश
बीजेपी ने उम्मीदवारों की लिस्ट से अपनी गैर जाट छवि को मजबूत करने की कोशिश की है. राजनीतिक विश्लेशक डॉ. गुरमीत सिंह कहते हैं कि हमारे यहां कोई पार्टी ये नहीं मानती कि वो जातिगत आधार पर टिकट देते हैं. लेकिन ये भारतीय राजनीति की सच्चाई है कि टिकट वितरण से लेकर मंत्रिमंडल के बंटवारे तक में जातिगत समीकरण साधे जाते हैं. और भारतीय जानता पार्टी शुरू से ही ये मैसेज लेकर चली है कि वो नॉन जाट ध्रुवीकरण चाहती है. और पिछली बार जाट उम्मीदवार ज्यादा जीते भी नहीं थे. इसीलिए बीजेपी अपने नॉन जाट वाले फंडे पर चल रही है.

पिछले तीन विधानसभा चुनावों में पार्टियों का मत प्रतिशत

कुल सीटें-90 2005 2009 2014
बीजेपी 2 सीट, 10.36% वोट 4 सीट, 9.04% वोट 47 सीट, 33.20% वोट
कांग्रेस 67 सीट, 42.46% वोट 40 सीट, 35.08% वोट 15 सीट, 20.58% वोट
इनेलो 9 सीट, 26.77% वोट 31 सीट, 25.79% वोट 19 सीट, 24.11% वोट
अन्य 12 सीट, 20.41% वोट 15 सीट, 30.08% वोट 15 सीट, 30.08% वोट

क्या जाटों से बीजेपी को वोट की उम्मीद नहीं ?
2014 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 27 जाट उम्मीदवार उतारे थे जिसमें से मात्र 6 ही जीत पाए थे. शायद इसी वजह से बीजेपी का जाटों से और ज्यादा मोह भंग हो गया है. हालांकि 2014 से अब स्थिति बदल गई है. 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी को क्रमश: 34.8 प्रतिशत और 33.2 प्रतिश वोट मिले थे जो 2019 लोकसभा में बढ़कर 58 प्रतिशत हो गए. और ये ज्यादातर वोट इनेलो के कांग्रेस की ओर शिफ्ट हुए हैं क्योंकि 2014 में इनेलो को लोकसभा और विधानसभा दोनों में लगभग 24-24 प्रतिशत वोट मिले थे. जो 2019 लोकसभा में घटकर 1.89 फीसदी हो गए. और 2014 के मुकाबले कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी बढ़ा तो इसका मतलब तो यही हुआ कि इनेलो का ज्यादातर वोट बीजेपी की ओर शिफ्ट हो गया. और इनेलो का कोर वोटर जाट समुदाय को ही माना जाता है. मतलब एक तरीके से जाट समुदाय बीजेपी की ओर झुका है और उस पर विश्वास भी किया है लेकिन क्या बीजेपी इस समुदाय पर विश्वास कर पाई.

non jaat politics haryana
हरियाणा में इतने मतदाता

ये भी पढ़ें- टिकट कटने पर चौधरी रणजीत सिंह ने कांग्रेस पर लगाए आरोप, कहा- करोड़ों रुपयों में बिके टिकट

पिछले तीन लोकसभा चुनावों में पार्टियों का मत प्रतिशत

कुल सीटें-10 2009 2014 2019
बीजेपी 0 सीट, 12.01% वोट 7 सीट, 34.08% वोट 10 सीट, 58% वोट
कांग्रेस 9 सीट, 41.08% वोट 1 सीट, 23% वोट 0 सीट, 28.42% वोट
इनेलो 0 सीट, 15.08% वोट 2 सीट, 24.04% वोट 0 सीट, 1.89% वोट
अन्य 1 सीट, 31% वोट 0 सीट, 17.8% वोट 0 सीट, 11.69% वोट
Intro:हरियाणा में गाड़ी बगाहे विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी पर जाट और नॉन जाट की राजनीति करने का आरोप लगाते रहे हैं । भारतीय जनता पार्टी के सरकार के दौरान जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई पड़ी हिंसा ओर जाटों की आरक्षण की मांग अभी भी लंबित है । दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के विधानसभा चुनाव को लेकर जो उसकी है उसमें सात सीटें जाटों की घटा दी गई है । राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा हरियाणा में शुरू से ही इस मैसेज को लेकर चली है कि वो गैर जाट वोटों का ध्रुवीकरण करती रही है । हालांकि हरियाणा बीजेपी की तरफ से दो अहम मंत्रालय दो चार नेताओं को दिए गए हैं इसके अलावा बीजेपी ने हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष भी जाट विधायक को बनाया हैं । हालांकि भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 2014 में 27 सीटों पर जाट चेहरों को उतारा गया था मगर इस बार संख्या केवल 20 है बावजूद इसके 2014 के चुनाव में जीतने वाले से विधायकों की टिकटें नहीं काटी गई हैं उन्हें फिर से भारतीय जनता पार्टी की तरफ से चुनावी मैदान में उतारा गया है ।


Body:पंजाब यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं हरियाणा के राजनीति मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने माना की बेशक हरियाणा में राजनीतिक पार्टियों की तरफ से जातिगत आधार पर राजनीति नहीं करने की बात दावे के साथ की जाती है बावजूद इसके हमेशा राजनीति पार्टियों की तरफ से अपनी रणनीति जाति आधार पर तय की जाती है । बीजेपी की तरफ से पहले के मुकाबले हरियाणा में इस बार जाटों को कम सीटें दी गई है । उन्होंने कहा कि इससे नोटिस किया जाएगा , गुरमीत सिंह ने कहा कि भाजपा हरियाणा में शुरू से ही इस मैसेज को लेकर चली है कि वो गैर जाट वोटों का ध्रुवीकरण करती रही है । इसमें कोई दो राय नहीं है उन्होंने कहा कि जातीय तौर पर उम्मीदवारों का चयन करना ठीक नहीं है क्योंकि काबिलियत के आधार पर चुनाव होना चाहिए मगर अक्सर पार्टियों की तरफ से जातीय आधार पर सीटें तय की जाती है । उन्होंने कहा कि हाल ही में मुख्यमंत्री की तरफ से एक जाति विशेष के नेता के खिलाफ जाहिर किये गए गुस्से के बाद एक जाति विशेष की सीटे बढ़ाई है ऐसी चर्चा है ।
बाइट - गुरमीत सिंह , राजनीतिक विश्लेषक


Conclusion:भारतीय जनता पार्टी की टिकट वितरण ने कहीं ना कहीं दर्शा दिया है कि बीजेपी का हरियाणा में स्पष्ट संदेश क्या है जिस तरह से जाति आधार पर टिकते वितरित की गई हैं उसके आधार पर एक समीकरण बैठाने का प्रयास किया गया है ।
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