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क्या दुष्यंत और दिग्विजय की होगी इनेलो में वापसी? देखिए अभय चौटाला का बड़ा बयान

ओपी चौटाला के जेल से लौटने के बाद हरियाणा में राजनीतिक हलचल अचानक बढ़ गई है. कई तरह की आशंकाएं और नए समीकरणों की सुगबुगाहट भी होने लगी है.

op chautala
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Published : Jul 12, 2021, 9:16 PM IST

चंडीगढ़ः ओम प्रकाश चौटाला जब से जेल से बाहर आये हैं, हरियाणा की सियासत जरा गर्म हो गई है. क्योंकि ओपी चौटाला काफी पुराने नेता हैं और उनका अपना एक फैन बेस है. ओपी चौटाला की राजनीति में सक्रियता बढ़ने से एक बहस जो सियासी गलियारों में राजनीतिक पंडितों के बीच छिड़ी है उसका केंद्र इनेलो और जन नायक जनता पार्टी है. आपको याद होगा कुछ साल पहले ही इनेलो से टूटकर जेजेपी का जन्म हुआ था. उसके बाद इस नई नवेली पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीती और भारतीय जनता पार्टी की सरकार में शामिल हो गई.

अब राजनीतिक पंडितों के बीच एक नई बहस ने जन्म लिया है. जिसका आधार बना है इनेलो और जेजेपी का वोट बैंक. सियासी जानकारों का मानना है कि इनेलो और जेजेपी का जो वोट बैंक है वो एक ही है. और अभी के जो हालात हैं उसमें अगर ओपी चौटाला के आने से इनेलो मजबूत होती है तो सबसे ज्यादा नुकसान जेजेपी का ही होगा. इसीलिए राजनीतिक पंडित मानते हैं कि बहुत मुमकिन है कि ये दोनों पार्टियां आने वाले वक्त में एक हो जाएं. क्योंकि दोनों अगर अलग-अलग रहेंगी और पूरी ताकत से लड़ेंगी तो दोनों के लिए ही मुश्किल रहेगी.

हालांकि अभी ये सिर्फ सियासी गलियारों की चर्चा है, लेकिन इसको लेकर हाल ही में जब ओपी चौटाला और अभय चौटाला से सवाल पूछा गया तो वो टालते नजर आये. दिल्ली में जब ओपी चौटाला से पूछा गया था कि आप ही की विचारधारा और परिवार से निकली पार्टी आज बीजेपी के साथ सत्ता में बैठी है और किसान धरने पर, इसके जवाब में ओपी चौटाला ने कहा कि आपने इस सावल को आखिरी कैसे मान लिया. राजनीति में आखिरी कुछ नहीं होता.

ये भी पढ़ेंः मैं नहीं जानता कौन हैं दुष्यंत और दिग्विजय, जानिए अभय चौटाला ने ऐसा क्यों कहा?

इसके अलावा उनसे जब पूछा गया था कि जेजेपी भी नीत नए कृषि कानूनों पर बीजेपी के साथ खड़ी है, इस पर उन्होंने जवाब दिया था कि कौन कहां खड़ा है ये तो वक्त बताएगा. इन बयानों के अपने आप में कई मायने हैं क्योंकि इससे पहले जब भी ओपी चौटाला से दुष्यंत और जेजेपी को लेकर सवाल पूछा जाता था वो कई बार दुष्यंत चौटाला को गद्दार कहते नजर आते थे और काफी गुस्सा हो जाते थे.

अभय चौटाला से पहले जब पूछा जाता था कि क्या वो दुष्यंत चौटाला और अजय चौटाला को वापस पार्टी में लेंगे तो वो कहते थे कि चौटाला साहब से माफी मांग लें. हम वापसी के लिए तैयार हैं. लेकिन वक्त के साथ उनके ये बयान भी बदलते रहे, हाल ही में जब उनसे दुष्यंत चौटाला की घर वापसी का पूछा गया तो वो सवाल को टाल गए. उन्होंने कहा कि मैं जानता ही नहीं आप किस दुष्यंत और दिग्विजय की बात कर रहे हो. जाहिर सी बात है राजनीति इसी तरह चलती है. यहां ना किसी से परमानेंट दुश्मनी होती है और ना ही कोई परमानेंट दोस्त होता है. तो भविष्य में क्या हो ये कौन जानता है.

ये भी पढ़ेंः इनेलो की 'महा रणनीति' तैयार, ओपी चौटाला 20 जुलाई से ऐसे फूंकेंगे पार्टी में नई जान

हालांकि ये अभी कयास मात्र हैं और ऐसा होना आसान भी नहीं है. क्योंकि दुष्यंत चौटाला जब इनेलो में थे तो वो और उनके चाहने वाले उन्हें सीएम का कैंडिडेट बनाना चाहते थे, लेकिन अभय चौटाला और ओपी चौटाला को ये मंजूर नहीं था. इसी के बाद सारी बातें इनेलो में बिगड़ी और अब तो वैसे भी दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बन चुके हैं तो बात कैसे और किन शर्तों पर होगी ये कहना मुश्किल है.

वैसे हरियाणा में ये पहले भी कई बार हो चुका है. आपको याद होगा 2007 में कांग्रेस से अलग होकर भजन लाल ने हरियाणा जनहित कांग्रेस बनाई थी. जिसका उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई ने 2016 में कांग्रेस में ही विलय कर दिया. इससे थोड़ा और पहले जाएं तो 1991 में पार्टी विरोधी गतिविधियों पर कांग्रेस से निकाले गए बंसी लाल ने भी अपनी अलग पार्टी बनाई थी जिसका नाम था हरियाणा विकास पार्टी. लेकिन 2004 में इस पार्टी का भी विलय कांग्रेस में कर दिया गया.

ये भी पढ़ेंः अगर ओपी चौटाला चुनाव लड़े तो जेजेपी का ये है प्लान! दुष्यंत चौटाला का बड़ा बयान

चंडीगढ़ः ओम प्रकाश चौटाला जब से जेल से बाहर आये हैं, हरियाणा की सियासत जरा गर्म हो गई है. क्योंकि ओपी चौटाला काफी पुराने नेता हैं और उनका अपना एक फैन बेस है. ओपी चौटाला की राजनीति में सक्रियता बढ़ने से एक बहस जो सियासी गलियारों में राजनीतिक पंडितों के बीच छिड़ी है उसका केंद्र इनेलो और जन नायक जनता पार्टी है. आपको याद होगा कुछ साल पहले ही इनेलो से टूटकर जेजेपी का जन्म हुआ था. उसके बाद इस नई नवेली पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीती और भारतीय जनता पार्टी की सरकार में शामिल हो गई.

अब राजनीतिक पंडितों के बीच एक नई बहस ने जन्म लिया है. जिसका आधार बना है इनेलो और जेजेपी का वोट बैंक. सियासी जानकारों का मानना है कि इनेलो और जेजेपी का जो वोट बैंक है वो एक ही है. और अभी के जो हालात हैं उसमें अगर ओपी चौटाला के आने से इनेलो मजबूत होती है तो सबसे ज्यादा नुकसान जेजेपी का ही होगा. इसीलिए राजनीतिक पंडित मानते हैं कि बहुत मुमकिन है कि ये दोनों पार्टियां आने वाले वक्त में एक हो जाएं. क्योंकि दोनों अगर अलग-अलग रहेंगी और पूरी ताकत से लड़ेंगी तो दोनों के लिए ही मुश्किल रहेगी.

हालांकि अभी ये सिर्फ सियासी गलियारों की चर्चा है, लेकिन इसको लेकर हाल ही में जब ओपी चौटाला और अभय चौटाला से सवाल पूछा गया तो वो टालते नजर आये. दिल्ली में जब ओपी चौटाला से पूछा गया था कि आप ही की विचारधारा और परिवार से निकली पार्टी आज बीजेपी के साथ सत्ता में बैठी है और किसान धरने पर, इसके जवाब में ओपी चौटाला ने कहा कि आपने इस सावल को आखिरी कैसे मान लिया. राजनीति में आखिरी कुछ नहीं होता.

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इसके अलावा उनसे जब पूछा गया था कि जेजेपी भी नीत नए कृषि कानूनों पर बीजेपी के साथ खड़ी है, इस पर उन्होंने जवाब दिया था कि कौन कहां खड़ा है ये तो वक्त बताएगा. इन बयानों के अपने आप में कई मायने हैं क्योंकि इससे पहले जब भी ओपी चौटाला से दुष्यंत और जेजेपी को लेकर सवाल पूछा जाता था वो कई बार दुष्यंत चौटाला को गद्दार कहते नजर आते थे और काफी गुस्सा हो जाते थे.

अभय चौटाला से पहले जब पूछा जाता था कि क्या वो दुष्यंत चौटाला और अजय चौटाला को वापस पार्टी में लेंगे तो वो कहते थे कि चौटाला साहब से माफी मांग लें. हम वापसी के लिए तैयार हैं. लेकिन वक्त के साथ उनके ये बयान भी बदलते रहे, हाल ही में जब उनसे दुष्यंत चौटाला की घर वापसी का पूछा गया तो वो सवाल को टाल गए. उन्होंने कहा कि मैं जानता ही नहीं आप किस दुष्यंत और दिग्विजय की बात कर रहे हो. जाहिर सी बात है राजनीति इसी तरह चलती है. यहां ना किसी से परमानेंट दुश्मनी होती है और ना ही कोई परमानेंट दोस्त होता है. तो भविष्य में क्या हो ये कौन जानता है.

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हालांकि ये अभी कयास मात्र हैं और ऐसा होना आसान भी नहीं है. क्योंकि दुष्यंत चौटाला जब इनेलो में थे तो वो और उनके चाहने वाले उन्हें सीएम का कैंडिडेट बनाना चाहते थे, लेकिन अभय चौटाला और ओपी चौटाला को ये मंजूर नहीं था. इसी के बाद सारी बातें इनेलो में बिगड़ी और अब तो वैसे भी दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बन चुके हैं तो बात कैसे और किन शर्तों पर होगी ये कहना मुश्किल है.

वैसे हरियाणा में ये पहले भी कई बार हो चुका है. आपको याद होगा 2007 में कांग्रेस से अलग होकर भजन लाल ने हरियाणा जनहित कांग्रेस बनाई थी. जिसका उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई ने 2016 में कांग्रेस में ही विलय कर दिया. इससे थोड़ा और पहले जाएं तो 1991 में पार्टी विरोधी गतिविधियों पर कांग्रेस से निकाले गए बंसी लाल ने भी अपनी अलग पार्टी बनाई थी जिसका नाम था हरियाणा विकास पार्टी. लेकिन 2004 में इस पार्टी का भी विलय कांग्रेस में कर दिया गया.

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