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Air Force Heritage Center: एयर फोर्स हेरिटेज सेंटर को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन और वायु सेना के बीच एमओयू साइन

चंडीगढ़ में देश का पहला एयर फोर्स हेरिटेज सेंटर (Air Force Heritage Center Chandigarh) बनाया जा रहा है. इस सेंटर में भारतीय वायुसेना के गौरवमयी इतिहास को दर्शाया जायेगा. इस हेरिटेज सेंटर के जरिए आम लोग एयर फोर्स की धरोहर और वीरता का दर्शन कर सकेंगे. शुक्रवार को चंडीगढ़ प्रशासन और वायु सेना के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MOU) साइन किया गया.

Air Force Heritage Center Chandigarh
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Published : Jun 3, 2022, 6:14 PM IST

Updated : Jun 3, 2022, 6:57 PM IST

चंडीगढ़: भारतीय वायुसेना की गिनती दुनिया की सबसे आधुनिक वायु सेनाओं में होती है. भारतीय सेना दुनिया की सबसे बेहतरीन सेनाओं में शामिल है. इसका इतिहास वीरता से भरा रहा है. वायुसेना ने भारत को युद्ध को जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. जब भी मौका मिला है दुश्मन से जंग का तो हमारी वायुसेना ने हमरा देश का सिर गर्व से ऊपर किया है. अंग्रेजों के समय से लेकर के बाद तक भारतीय वायुसेना ने कई ऐतिहासिक युद्धों में अपना लोहा मनवाया है. इंडियन एयरफोर्स के इसी इतिहास और शौर्य गाथाओं को लोगों के सामने पेश करने के लिए वायुसेना ने एक अहम कदम उठाने का फैसला किया है. वायुसेना की ओर से चंडीगढ़ प्रेस बिल्डिंग में एयर फोर्स हेरिटेज सेंटर (Air Force Heritage Center Chandigarh) बनने जा रहा है.

शुक्रवार को चंडीगढ़ प्रशासन और वायुसेना के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MOU) साइन किया गया. इस मौके पर वायुसेना के अधिकारियों के साथ-साथ चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित भी मौजूद रहे. एयर फोर्स के इस हेरिटेज सेंटर के बारे में बात करते हुए वायु सेना के अधिकारी ग्रुप कैप्टन परमजीत सिंह लांबा ने कहा कि इस सेंटर को बनाने का हमारा मुख्य मकसद यह है कि युवाओं को वायुसेना के साथ जोड़ा जाए. खास तौर पर युवाओं को वायुसेना की तरफ आकर्षित किया जाए ताकि युवा वायु सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर सकें. इसी मकसद से इस हेरिटेज सेंटर में वायु सेना की गौरव गाथाएं प्रदर्शनित की जायेंगी. इस सेंटर में उन पुराने विमानों को रखा जाएगा जिसके जरिए भारतीय वायुसेना ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाये थे.

एयर फोर्स हेरिजेट सेंटर को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन और वायु सेना के बीच एमओयू साइन

एयर फोर्स हेरिटेज सेंटर में क्या होगा- परमजीत सिंह लांबा ने कहा कि हेरिटेज सेंटर में विमानों के अलग-अलग इंजनों को प्रदर्शित किया जाएगा और कई तरह के हथियार भी यहां पर रखे जाएंगे. इतना ही नहीं इस सेंटर में विमानों से जुड़े वीरता के किस्से भी लोगों को बताए जाएंगे. इस सेंटर में पहला विमान आ चुका है. इस विमान का इस्तेमाल 1971 की लड़ाई में किया गया था. जिसे नैट विमान (Gnat vintage aircraft) कहते हैं. यह ब्रिटेन निर्मित है. 1971 की लड़ाई में इन विमानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पंजाब के रहने वाले फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने ऐसे ही विमान में बैठकर पाकिस्तान को धूल चटा दी थी.

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एयर फोर्स हेरिटेज सेंटर को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन और वायुसेना के बीच एक MOU साइन किया गया.

निर्मलजीत सिंह सेखों ने नैट इस विमान को लेकर अकेले ही पाकिस्तान के छह विमानों से लड़ने के लिए निकल गए थे. उन्होंने इस विमान के सहारे पाकिस्तान के दो एयरक्राफ्ट मार गिराए थे. तीसरे को मार गिराते हुए वह खुद भी शहीद हो गए थे. नैट एयरक्राफ्ट की बदौलत भारतीय वायुसेना को पहला परमवीर चक्र प्राप्त हुआ था. इसीलिए वायुसेना में यह विमान बेहद खास है. इसके अलावा मिग-21 विमानों का भी भारतीय वायुसेना में खास स्थान है. इसीलिए मिग-21 विमान भी यहां पर लाया जाएगा. वह भी कुछ दिनों में इस हेरिटेज सेंटर में पहुंच जायेगा.

चंडीगढ़ में बनने वाले इस एयर फोर्स हेरिटेज सेंटर का मुख्य आकर्षण होगा एयर प्लेन सिम्युलेटर (flight simulator). जिसके जरिए युवा कॉकपिट में बैठकर विमान उड़ाने का वर्चुअल अनुभव ले सकेंगे. बहुत से लोगों का सपना होता है कि वह भी कभी विमान के कॉकपिट में बैठें. इस सिम्युलेटर में न सिर्फ लोग कॉकपिट में बैठ पाएंगे. बल्कि विमान उड़ाने का अनुभव भी उन्हें मिलेगा. जिससे युवाओं के मन में वायुसेना के प्रति आकर्षण पैदा होगा. युवा सेना में भर्ती होने के लिए आगे आएंगे. इस सेंटर में युवाओं को यह भी बताया जाएगा कि वह वायुसेना कैसे ज्वाइन कर सकते हैं.

हमारा मकसद है इसके जरिए हमारा यूथ फौज से जुड़े. इंडियन एयरफोर्स ने जितने भी कैंपेन किये हैं. जितने भी रेस्क्यू ऑपरेशन किये हैं. चाहे इंडिया में हो या फिर इंडिया के बाहर किये हों. इन सभी को ऑडियो और वीडियो माध्यम से यहां प्रदर्शित किया जायेगा. हम कई डिजिटल बोर्ड भी लगायेंगे जिसके जरिए बताया जायेगा कि कैसे एयर फोर्स ज्वाइन कर सकते हैं. इस सेंटर में हम इंजन, बम, मिसाइल भी रखेंगे ताकि उनको एक फीलिंग मिल सके कि इंडियर एयर फोर्स क्या है. परमजीत सिंह लांबा, ग्रुप कैप्टन

फ्लाइट सिम्युलेटर क्या है? फ्लाइट सिम्युलेटर एक छोटे कमरे के आकार का उपकरण होता है. जिसके नीचे चार हाइड्रोलिक और सेंसर लगे होते हैं. यह हाइड्रॉलिक्स कंप्यूटर आधारित होते हैं. फ्लाइट सिम्युलेटर के अंदर विमान के कॉकपिट की नकल बनाई गई होती है. जिसमें विमान के वास्तविक कॉकपिट की तरह सभी उपकरण और कंट्रोल्स लगे होते हैं. फ्लाइट सिम्युलेटर विमान के कॉकपिट की हू-ब-हू नकल होता है. यहां पर लगाए गए कंट्रोल सौर उपकरण विमान के कॉकपिट में लगे उपकरणों की तरह ही काम करते हैं. यह एक ऐसा उपकरण है जो व्यक्ति को वर्चुअल तरीके से विमान को उड़ाने का आभास करवाता है.

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अब आम आदमी भी एयर प्लेन सिम्युलेटर में बैठकर प्लेन उड़ाने का वर्चुअल अनुभव ले सकेगा.

सिम्युलेटर में सामने की तरफ तीन से चार एलसीडी स्क्रीन लगी होती है. जिसमें वास्तविक उड़ान का आभास होता है. जब कोई व्यक्ति फ्लाइट सिम्युलेटर में बैठकर उड़ान शुरू करता है. तब स्क्रीन पर उसे विमान के रनवे पर चलने और बाद में उड़ान भरने का आभास होता है. सिम्युलेटर के नीचे लगे हाइड्रॉलिक्स भी उसी तरह से काम करते हैं. जब व्यक्ति सिमुलेटर में वर्चुअल उड़ान भरता है तब हाइड्रॉलिक्स आगे की तरफ से उठ जाते हैं. पीछे की तरफ से नीचे हो जाते हैं. जिससे व्यक्ति को वास्तविक उड़ान का आभास होता है. इसी तरह जब व्यक्ति वर्चुअल उड़ान के दौरान दाएं या बाएं मुड़ता है तब हाइड्रॉलिक्स भी वैसे ही काम करते हैं.

फ्लाइट सिम्युलेटर का इस्तेमाल वायु सेना और विमानन कंपनियां अपने पायलट को विमान उड़ाने की ट्रेनिंग में करती हैं. नए पायलटों को पहले फ्लाइट सिम्युलेटर में विमान उड़ाने का अभ्यास कराया जाता है. इसके बाद उन्हें वास्तविक विमान में बताया जाता है.

चंडीगढ़: भारतीय वायुसेना की गिनती दुनिया की सबसे आधुनिक वायु सेनाओं में होती है. भारतीय सेना दुनिया की सबसे बेहतरीन सेनाओं में शामिल है. इसका इतिहास वीरता से भरा रहा है. वायुसेना ने भारत को युद्ध को जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. जब भी मौका मिला है दुश्मन से जंग का तो हमारी वायुसेना ने हमरा देश का सिर गर्व से ऊपर किया है. अंग्रेजों के समय से लेकर के बाद तक भारतीय वायुसेना ने कई ऐतिहासिक युद्धों में अपना लोहा मनवाया है. इंडियन एयरफोर्स के इसी इतिहास और शौर्य गाथाओं को लोगों के सामने पेश करने के लिए वायुसेना ने एक अहम कदम उठाने का फैसला किया है. वायुसेना की ओर से चंडीगढ़ प्रेस बिल्डिंग में एयर फोर्स हेरिटेज सेंटर (Air Force Heritage Center Chandigarh) बनने जा रहा है.

शुक्रवार को चंडीगढ़ प्रशासन और वायुसेना के बीच एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MOU) साइन किया गया. इस मौके पर वायुसेना के अधिकारियों के साथ-साथ चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित भी मौजूद रहे. एयर फोर्स के इस हेरिटेज सेंटर के बारे में बात करते हुए वायु सेना के अधिकारी ग्रुप कैप्टन परमजीत सिंह लांबा ने कहा कि इस सेंटर को बनाने का हमारा मुख्य मकसद यह है कि युवाओं को वायुसेना के साथ जोड़ा जाए. खास तौर पर युवाओं को वायुसेना की तरफ आकर्षित किया जाए ताकि युवा वायु सेना में भर्ती होकर देश की सेवा कर सकें. इसी मकसद से इस हेरिटेज सेंटर में वायु सेना की गौरव गाथाएं प्रदर्शनित की जायेंगी. इस सेंटर में उन पुराने विमानों को रखा जाएगा जिसके जरिए भारतीय वायुसेना ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाये थे.

एयर फोर्स हेरिजेट सेंटर को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन और वायु सेना के बीच एमओयू साइन

एयर फोर्स हेरिटेज सेंटर में क्या होगा- परमजीत सिंह लांबा ने कहा कि हेरिटेज सेंटर में विमानों के अलग-अलग इंजनों को प्रदर्शित किया जाएगा और कई तरह के हथियार भी यहां पर रखे जाएंगे. इतना ही नहीं इस सेंटर में विमानों से जुड़े वीरता के किस्से भी लोगों को बताए जाएंगे. इस सेंटर में पहला विमान आ चुका है. इस विमान का इस्तेमाल 1971 की लड़ाई में किया गया था. जिसे नैट विमान (Gnat vintage aircraft) कहते हैं. यह ब्रिटेन निर्मित है. 1971 की लड़ाई में इन विमानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पंजाब के रहने वाले फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने ऐसे ही विमान में बैठकर पाकिस्तान को धूल चटा दी थी.

Air Force Heritage Center Chandigarh
एयर फोर्स हेरिटेज सेंटर को लेकर चंडीगढ़ प्रशासन और वायुसेना के बीच एक MOU साइन किया गया.

निर्मलजीत सिंह सेखों ने नैट इस विमान को लेकर अकेले ही पाकिस्तान के छह विमानों से लड़ने के लिए निकल गए थे. उन्होंने इस विमान के सहारे पाकिस्तान के दो एयरक्राफ्ट मार गिराए थे. तीसरे को मार गिराते हुए वह खुद भी शहीद हो गए थे. नैट एयरक्राफ्ट की बदौलत भारतीय वायुसेना को पहला परमवीर चक्र प्राप्त हुआ था. इसीलिए वायुसेना में यह विमान बेहद खास है. इसके अलावा मिग-21 विमानों का भी भारतीय वायुसेना में खास स्थान है. इसीलिए मिग-21 विमान भी यहां पर लाया जाएगा. वह भी कुछ दिनों में इस हेरिटेज सेंटर में पहुंच जायेगा.

चंडीगढ़ में बनने वाले इस एयर फोर्स हेरिटेज सेंटर का मुख्य आकर्षण होगा एयर प्लेन सिम्युलेटर (flight simulator). जिसके जरिए युवा कॉकपिट में बैठकर विमान उड़ाने का वर्चुअल अनुभव ले सकेंगे. बहुत से लोगों का सपना होता है कि वह भी कभी विमान के कॉकपिट में बैठें. इस सिम्युलेटर में न सिर्फ लोग कॉकपिट में बैठ पाएंगे. बल्कि विमान उड़ाने का अनुभव भी उन्हें मिलेगा. जिससे युवाओं के मन में वायुसेना के प्रति आकर्षण पैदा होगा. युवा सेना में भर्ती होने के लिए आगे आएंगे. इस सेंटर में युवाओं को यह भी बताया जाएगा कि वह वायुसेना कैसे ज्वाइन कर सकते हैं.

हमारा मकसद है इसके जरिए हमारा यूथ फौज से जुड़े. इंडियन एयरफोर्स ने जितने भी कैंपेन किये हैं. जितने भी रेस्क्यू ऑपरेशन किये हैं. चाहे इंडिया में हो या फिर इंडिया के बाहर किये हों. इन सभी को ऑडियो और वीडियो माध्यम से यहां प्रदर्शित किया जायेगा. हम कई डिजिटल बोर्ड भी लगायेंगे जिसके जरिए बताया जायेगा कि कैसे एयर फोर्स ज्वाइन कर सकते हैं. इस सेंटर में हम इंजन, बम, मिसाइल भी रखेंगे ताकि उनको एक फीलिंग मिल सके कि इंडियर एयर फोर्स क्या है. परमजीत सिंह लांबा, ग्रुप कैप्टन

फ्लाइट सिम्युलेटर क्या है? फ्लाइट सिम्युलेटर एक छोटे कमरे के आकार का उपकरण होता है. जिसके नीचे चार हाइड्रोलिक और सेंसर लगे होते हैं. यह हाइड्रॉलिक्स कंप्यूटर आधारित होते हैं. फ्लाइट सिम्युलेटर के अंदर विमान के कॉकपिट की नकल बनाई गई होती है. जिसमें विमान के वास्तविक कॉकपिट की तरह सभी उपकरण और कंट्रोल्स लगे होते हैं. फ्लाइट सिम्युलेटर विमान के कॉकपिट की हू-ब-हू नकल होता है. यहां पर लगाए गए कंट्रोल सौर उपकरण विमान के कॉकपिट में लगे उपकरणों की तरह ही काम करते हैं. यह एक ऐसा उपकरण है जो व्यक्ति को वर्चुअल तरीके से विमान को उड़ाने का आभास करवाता है.

Air Force Heritage Center Chandigarh
अब आम आदमी भी एयर प्लेन सिम्युलेटर में बैठकर प्लेन उड़ाने का वर्चुअल अनुभव ले सकेगा.

सिम्युलेटर में सामने की तरफ तीन से चार एलसीडी स्क्रीन लगी होती है. जिसमें वास्तविक उड़ान का आभास होता है. जब कोई व्यक्ति फ्लाइट सिम्युलेटर में बैठकर उड़ान शुरू करता है. तब स्क्रीन पर उसे विमान के रनवे पर चलने और बाद में उड़ान भरने का आभास होता है. सिम्युलेटर के नीचे लगे हाइड्रॉलिक्स भी उसी तरह से काम करते हैं. जब व्यक्ति सिमुलेटर में वर्चुअल उड़ान भरता है तब हाइड्रॉलिक्स आगे की तरफ से उठ जाते हैं. पीछे की तरफ से नीचे हो जाते हैं. जिससे व्यक्ति को वास्तविक उड़ान का आभास होता है. इसी तरह जब व्यक्ति वर्चुअल उड़ान के दौरान दाएं या बाएं मुड़ता है तब हाइड्रॉलिक्स भी वैसे ही काम करते हैं.

फ्लाइट सिम्युलेटर का इस्तेमाल वायु सेना और विमानन कंपनियां अपने पायलट को विमान उड़ाने की ट्रेनिंग में करती हैं. नए पायलटों को पहले फ्लाइट सिम्युलेटर में विमान उड़ाने का अभ्यास कराया जाता है. इसके बाद उन्हें वास्तविक विमान में बताया जाता है.

Last Updated : Jun 3, 2022, 6:57 PM IST
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