चंडीगढ़: पीजीआई में कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर और अन्य स्टाफ को भी संक्रमित होने का खतरा लगातार बना रहता है क्योंकि उन्हें बार-बार मरीजों के संपर्क में आना पड़ता है. उनके इसी संपर्क को कम करने के लिए आईआईटी रोपड़ की टीम ने एक ट्रॉली और एक ड्रोन को डिजाइन किया है जिनका नाम रखा गया है 'मेडि सारथी'. इन दोनों उपकरणों को पीजीआई के डॉक्टर पिछले कई दिनों से ट्रायल के तौर पर इस्तेमाल कर रहे थे और सभी तरह के ट्रायल हो जाने के बाद बुधवार को इन्हें आधिकारिक तौर पर लांच कर दिया गया.
स्वास्थ्यकर्मी और मरीजों के बीच संपर्क होगा कम
इस बारे में बात करते हुए पीजीआई के प्रोफेसर जीडी पुरी ने बताया कि कोरोना के मरीजों को बार-बार दवाएं व अन्य सामान पहुंचाना होता है, जिसके लिए अभी तक स्वास्थ्यकर्मी ही उन तक यह सामान पहुंचा रहे थे. जिससे उनका और मरीजों के बीच का संपर्क बढ़ गया था. इसी संपर्क को कम करने के लिए आईआईटी रोपड़ की टीम ने यह दोनों उपकरण बनाए हैं.
इन दोनों उपकरणों को लेकर पीजीआई की ओर से खास दिशा निर्देश भी दिए गए थे कि इस तरह के उपकरणों को बनाने में किन-किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए और उन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए आईआईटी रोपड़ की टीम ने इन दोनों उपकरणों को बना दिया है. अब इन दोनों उपकरणों को पीजीआई के कोविड-19 वार्ड में इस्तेमाल किया जाएगा.
अपना रास्ता खुद तय करती है ये ट्राली
उन्होंने बताया कि मरीजों तक सामान पहुंचाने के लिए इस खास ट्रॉली को बनाया गया है जो अपने तय रास्ते पर जाकर किसी भी मरीज तक सामान पहुंचा सकती है. इसके अलावा इसमें कई अत्याधुनिक सेंसर और कैमरे भी लगाए गए हैं, जिससे वह अपना रास्ता निर्धारित करती है और रास्ते में किसी व्यक्ति के आने या कोई अन्य रुकावट आने पर खुद ही अपना रास्ता बदल लेती है. ये दोनों चीज जीपीएस से कनेक्ट रहती है और अपना रास्ता निर्धारित करती हैं.
ड्रोन के जरिए एक इमारत से दूसरी इमारत में भेजें जाएंगे सैंपल
इसके अलावा डॉ. जीडी पूरी ने बताया कि ट्रॉली कोविड वार्ड और आईसीयू में काम करेगी और लिफ्ट तक जाएगी जहां पर इस ट्राली में सामान रखा जाएगा या बोर्ड से आया सामान उठाया जाएगा. इससे स्वास्थ्य कर्मी को कोविड वार्ड या आईसीयू में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसके अलावा ड्रोन का इस्तेमाल भी कई जगह पर किया जाएगा. उदाहरण के लिए जैसे एक इमारत में किसी मरीज का सैंपल लिया गया. उस सैंपल को ड्रोन के जरिए दूसरी इमारत में स्थित लैब तक भेज दिया जाएगा. जहां पर लैब टेक्नीशियन इस सैंपल को उठा लेगा. ये दोनों उपकरण कोरोना के मरीजों के इलाज में पीजीआई के डॉक्टर के लिए काफी सहायक सिद्ध होंगे.
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