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कोरोना असर: खाली पड़े हैं कोचिंग इंस्टीट्यूट, ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए करवा रहे बच्चों को तैयारी

कोरोना के कारण आज लगभग हर क्षेत्र में बदलाव आ चुका है. वहीं शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा. कोरोना के कारण स्कूल, कॉलेज, कोचिंग इंस्टीट्यूट अभी भी बंद पड़े हैं जिस वजह से अब पढ़ाने का तरीका भी बदल गया है. अगर बात करें चंडीगढ़ के कोचिंग इंस्टीट्यूटस की तो कोरोना के कारण इन इंस्टीट्यूटस को बेहद नुकसान हुआ है. ईटीवी भारत ने कोचिंग इंस्टीट्यूट वालों से बात की और कोरोना के कारण आए बदलाव के बारे में जाना.

coaching institute chandigarh corona effect
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Published : Jun 28, 2020, 8:07 PM IST

चंडीगढ़: देश में कोरोना काल के दौरान सब कुछ बदल गया. जनजीवन, रहने का तरीका हर चीज में बदलाव साफ नजर आ रहा है. हर क्षेत्र पर कोरोना का असर पड़ा है. वहीं कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण कोचिंग इंस्टीट्यूटस भी बंद पड़े हैं जिस वजह इंस्टीट्यूटस वालों के सामने भी आर्थिक संकट खड़ा हो गया. हालांकि ऑनलाइन पढ़ाई के तरीके से आर्थिक स्थिति को सुधारने की कोशिश भी की जा रही है.

ज्यादातर कोचिंग इंस्टिट्यूट छात्रों को नीट, जेईई जैसे मुश्किल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी करवाते हैं. जिसके लिए बच्चे सुबह से लेकर शाम तक कोचिंग इंस्टिट्यूट में इसकी तैयारी करते थे, लेकिन कोरोना की वजह से कोचिंग इंस्टीट्यूट बंद पड़े हैं, इसलिए सभी इंस्टिट्यूट बच्चों को ऑनलाइन तरीके से इन परीक्षाओं की तैयारी करवाने में जुटे हैं. हमनें चंडीगढ़ के कोचिंग इंस्टिट्यूट के टीचर संजीव कुमार से इस बारे में बात की. जिसमें उन्होंने ऑनलाइन क्लासेस और ऑफलाइन क्लासेस के बीच के फर्क के साथ-साथ ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान आने वाली बाकी समस्याओं को लेकर भी बात की.

ऑनलाइन पढ़ाई में हो रही परेशानी

उन्होंने बताया कि ऑनलाइन क्लासेस में बच्चों को चाहे जितनी भी अच्छी तरीके से पढ़ाई करवाई जाए, लेकिन ऑनलाइन क्लासेज और ऑफलाइन क्लासेस में फर्क तो रहता ही है. ऑनलाइन क्लासेज में बच्चा टीचर के सामने नहीं होता इसलिए टीचर बच्चे की बहुत सी बातों पर ध्यान नहीं दे पाता. उसे यह पता नहीं चल पाता कि बच्चों को कौन सा टॉपिक ठीक से समझ में आया है या नहीं. बच्चों और टीचर के बीच कम्युनिकेशन गेप भी रहता है जिसका पढ़ाई पर सीधा असर पड़ता है, जबकि ऑफलाइन क्लासेस में बच्चा क्लास रूम में होता है और टीचर हर बच्चे पर नजर रखता है जिससे टीचर को यह पता रहता है कि बच्चे ठीक से पढ़ पा रहे हैं या नहीं या उन्हें पढ़ाई में कोई समस्या आ रही है.

कोरोना के कारण खाली पड़े हैं कोचिंग इंस्टीट्यूट, ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए करवा रहे बच्चों को तैयारी, देखिए ये रिपोर्ट.

कोरोना के कारण पढ़ाने के तरीके में आया बदलाव

वहीं कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाने वाले एक और टीचर सुरेंद्र गोदारा ने भी कोरोना के कारण पढ़ाई में आए बदलाव को लेकर बात की. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन क्लासेज और ऑफलाइन क्लासेज की बराबरी नहीं कर सकती. जब तक टीचर का बच्चे के साथ आई कांटेक्ट नहीं होता तब तक टीचर यह नहीं समझ पाता कि बच्चे को सब्जेक्ट ठीक से समझा रहा है या नहीं. ऑनलाइन क्लासेज में टीचर एक तरीके से दीवारों से बात कर रहा होता है क्योंकि सामने बच्चे नहीं होते. ऑनलाइन क्लासेज में किसी भी तरीके से ऑफलाइन क्लासेस की तरह पढ़ाई नहीं हो सकती.

छात्रों के सामने नहीं है कोई और विकल्प

इस बारे में हमने कुछ छात्रों से भी बात की जिनका कहना था कि ज्यादा अच्छी पढ़ाई तो क्लास रूम में बैठकर ही हो पाती है, लेकिन फिलहाल पढ़ाई का कोई विकल्प नहीं है तो इस वजह से उन्हें ऑनलाइन तरीके से पढ़ाई करनी पड़ रही है. ऑनलाइन क्लासेस में इतनी अच्छी पढ़ाई तो नहीं हो पाती, लेकिन फिर भी हम कोशिश कर रहे हैं कि जितनी ज्यादा पढ़ाई कर सकें उतनी करें. क्योंकि जब परीक्षाएं शुरू होंगी तब उन्हें परीक्षाओं के लिए तैयार रहना होगा.

छात्रों का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेस की वजह से उन्हें काफी परेशानी हो रही है क्योंकि सभी स्टूडेंट को कई-कई घंटे मोबाइल फोन या लैपटॉप स्क्रीन के सामने बैठना पड़ता है जिससे उनकी आंखों पर बेहद बुरा असर पड़ रहा है. इसके अलावा कुछ ऐसे भी स्टूडेंट हैं जो ऑनलाइन क्लासेस शुरू होने के बाद पढ़ाई नहीं करते हैं और इधर उधर बैठे रहते हैं. ऑनलाइन क्लासेज में लगातार इंटरनेट से जुड़ी समस्याएं आती रहती हैं. वहीं ऐसे बहुत से बच्चे हैं जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है और उनके पास इंटरनेट इस्तेमाल करने के पैसे भी नहीं होते इसलिए वे लोग भी ठीक से ऑनलाइन क्लासेज अटेंड नहीं कर पाते हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना असर: ना हुक्के की गड़गड़ाहट, ना ताश का खेल, गांवों में एक वायरस ने देखिए क्या-क्या बदल दिया

कोरोना के कारण कोचिंग इंस्टीट्यूटस को भी बेहद नुकसान उठाना पड़ा है, ये इंस्टीट्यूट लॉकडाउन के बाद से ही बंद पड़े हैं लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए ये नुकसान कुछ हद तक सीमित किया गया है. हालांकि ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर टीचर्स से लेकर स्टूडेंटस तक का अनुभव कुछ अच्छा नहीं रहा, लेकिन ऑनलाइन क्लासेज के कारण बच्चे कम से कम पर थोड़ी बहुत पढ़ाई तो कर ही पा रहे हैं. अगर ऑनलाइन क्लासेज भी ना होती तो बच्चों की पढ़ाई और इंस्टीट्यूटस वालों की आर्थिक स्थिति को और ज्यादा नुकसान हो सकता था.

चंडीगढ़: देश में कोरोना काल के दौरान सब कुछ बदल गया. जनजीवन, रहने का तरीका हर चीज में बदलाव साफ नजर आ रहा है. हर क्षेत्र पर कोरोना का असर पड़ा है. वहीं कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण कोचिंग इंस्टीट्यूटस भी बंद पड़े हैं जिस वजह इंस्टीट्यूटस वालों के सामने भी आर्थिक संकट खड़ा हो गया. हालांकि ऑनलाइन पढ़ाई के तरीके से आर्थिक स्थिति को सुधारने की कोशिश भी की जा रही है.

ज्यादातर कोचिंग इंस्टिट्यूट छात्रों को नीट, जेईई जैसे मुश्किल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी करवाते हैं. जिसके लिए बच्चे सुबह से लेकर शाम तक कोचिंग इंस्टिट्यूट में इसकी तैयारी करते थे, लेकिन कोरोना की वजह से कोचिंग इंस्टीट्यूट बंद पड़े हैं, इसलिए सभी इंस्टिट्यूट बच्चों को ऑनलाइन तरीके से इन परीक्षाओं की तैयारी करवाने में जुटे हैं. हमनें चंडीगढ़ के कोचिंग इंस्टिट्यूट के टीचर संजीव कुमार से इस बारे में बात की. जिसमें उन्होंने ऑनलाइन क्लासेस और ऑफलाइन क्लासेस के बीच के फर्क के साथ-साथ ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान आने वाली बाकी समस्याओं को लेकर भी बात की.

ऑनलाइन पढ़ाई में हो रही परेशानी

उन्होंने बताया कि ऑनलाइन क्लासेस में बच्चों को चाहे जितनी भी अच्छी तरीके से पढ़ाई करवाई जाए, लेकिन ऑनलाइन क्लासेज और ऑफलाइन क्लासेस में फर्क तो रहता ही है. ऑनलाइन क्लासेज में बच्चा टीचर के सामने नहीं होता इसलिए टीचर बच्चे की बहुत सी बातों पर ध्यान नहीं दे पाता. उसे यह पता नहीं चल पाता कि बच्चों को कौन सा टॉपिक ठीक से समझ में आया है या नहीं. बच्चों और टीचर के बीच कम्युनिकेशन गेप भी रहता है जिसका पढ़ाई पर सीधा असर पड़ता है, जबकि ऑफलाइन क्लासेस में बच्चा क्लास रूम में होता है और टीचर हर बच्चे पर नजर रखता है जिससे टीचर को यह पता रहता है कि बच्चे ठीक से पढ़ पा रहे हैं या नहीं या उन्हें पढ़ाई में कोई समस्या आ रही है.

कोरोना के कारण खाली पड़े हैं कोचिंग इंस्टीट्यूट, ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए करवा रहे बच्चों को तैयारी, देखिए ये रिपोर्ट.

कोरोना के कारण पढ़ाने के तरीके में आया बदलाव

वहीं कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाने वाले एक और टीचर सुरेंद्र गोदारा ने भी कोरोना के कारण पढ़ाई में आए बदलाव को लेकर बात की. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन क्लासेज और ऑफलाइन क्लासेज की बराबरी नहीं कर सकती. जब तक टीचर का बच्चे के साथ आई कांटेक्ट नहीं होता तब तक टीचर यह नहीं समझ पाता कि बच्चे को सब्जेक्ट ठीक से समझा रहा है या नहीं. ऑनलाइन क्लासेज में टीचर एक तरीके से दीवारों से बात कर रहा होता है क्योंकि सामने बच्चे नहीं होते. ऑनलाइन क्लासेज में किसी भी तरीके से ऑफलाइन क्लासेस की तरह पढ़ाई नहीं हो सकती.

छात्रों के सामने नहीं है कोई और विकल्प

इस बारे में हमने कुछ छात्रों से भी बात की जिनका कहना था कि ज्यादा अच्छी पढ़ाई तो क्लास रूम में बैठकर ही हो पाती है, लेकिन फिलहाल पढ़ाई का कोई विकल्प नहीं है तो इस वजह से उन्हें ऑनलाइन तरीके से पढ़ाई करनी पड़ रही है. ऑनलाइन क्लासेस में इतनी अच्छी पढ़ाई तो नहीं हो पाती, लेकिन फिर भी हम कोशिश कर रहे हैं कि जितनी ज्यादा पढ़ाई कर सकें उतनी करें. क्योंकि जब परीक्षाएं शुरू होंगी तब उन्हें परीक्षाओं के लिए तैयार रहना होगा.

छात्रों का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेस की वजह से उन्हें काफी परेशानी हो रही है क्योंकि सभी स्टूडेंट को कई-कई घंटे मोबाइल फोन या लैपटॉप स्क्रीन के सामने बैठना पड़ता है जिससे उनकी आंखों पर बेहद बुरा असर पड़ रहा है. इसके अलावा कुछ ऐसे भी स्टूडेंट हैं जो ऑनलाइन क्लासेस शुरू होने के बाद पढ़ाई नहीं करते हैं और इधर उधर बैठे रहते हैं. ऑनलाइन क्लासेज में लगातार इंटरनेट से जुड़ी समस्याएं आती रहती हैं. वहीं ऐसे बहुत से बच्चे हैं जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है और उनके पास इंटरनेट इस्तेमाल करने के पैसे भी नहीं होते इसलिए वे लोग भी ठीक से ऑनलाइन क्लासेज अटेंड नहीं कर पाते हैं.

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कोरोना के कारण कोचिंग इंस्टीट्यूटस को भी बेहद नुकसान उठाना पड़ा है, ये इंस्टीट्यूट लॉकडाउन के बाद से ही बंद पड़े हैं लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए ये नुकसान कुछ हद तक सीमित किया गया है. हालांकि ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर टीचर्स से लेकर स्टूडेंटस तक का अनुभव कुछ अच्छा नहीं रहा, लेकिन ऑनलाइन क्लासेज के कारण बच्चे कम से कम पर थोड़ी बहुत पढ़ाई तो कर ही पा रहे हैं. अगर ऑनलाइन क्लासेज भी ना होती तो बच्चों की पढ़ाई और इंस्टीट्यूटस वालों की आर्थिक स्थिति को और ज्यादा नुकसान हो सकता था.

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