चंडीगढ़: हरियाणा सरकार द्वारा लगाए गए कोविड सेस को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से हलफनामा मांगा है कि वो इस चीज का रिकॉर्ड दें कि आखिर कोविड सेस किस तरह से लगाया गया है.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कोविड सेस लगाने को लेकर दी गई चुनौती पर हरियाणा सरकार को रिकॉर्ड तलब किया है. ये मामला हरियाणा वाइन द्वारा याचिका के जरिए हाईकोर्ट के नोटिस में लाया गया था. याचिकाकर्ता ने वरिष्ठ वकील चेतन मित्तल के माध्यम से एक्साइज पॉलिसी में संशोधन कर सेस लगाने को चुनौती दी है.
जस्टिस दया चौधरी और जस्टिस मीनाक्षी की खंडपीठ के समक्ष दलील देते हुए याचिकाकर्ता के वकील चेतन मित्तल ने कहा कि हरियाणा पर पंजाब एक्साइज एक्ट लागू होता है और उसपर सेस नहीं लगाया जा सकता. क्योंकि हरियाणा के पास सेस लगाने का अधिकार क्षेत्र नहीं है. खंडपीठ के समक्ष सुनवाई की पिछली तारीख पर हरियाणा सरकार ने याचिकाकर्ता की शिकायत को देखने के लिए समय मांगा था. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि हरियाणा सरकार ने इस मामले में एक हलफनामा देकर कोविड सेस को कवर करने की कोशिश करते हुए बताया कि ये सेस एक्साइज ड्यूटी के एक हिस्से के रूप में लगाया गया है.
वकील चेतन मित्तल ने कहा कि हरियाणा सरकार का ये फैसला पूरी तरह से अन्याय पूर्ण और अनुचित है. क्योंकि सरकार ने विरोधाभासी रुख अपनाया है. आबकारी और कराधान आयुक्त सह सचिव द्वारा दायर हलफनामा को रिकॉर्ड किया गया. हालांकि अनजाने में संशोधित एक्साइज पॉलिसी के बारे में उल्लेख करते हुए हलफनामे में अतिरिक्त उत्पाद शुल्क और अतिरिक्त मूल्यांकन शुल्क का जिक्र नहीं किया गया. दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने हलफनामे के संदर्भ में मूल रिकॉर्ड तैयार करने और दूसरे केस में हरियाणा सरकार के प्रांत के संबंध में लिखित बयान मांगे गए हैं.
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