चंडीगढ़: यूटी में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस समय चंडीगढ़ में 2100 से ज्यादा कोरोना एक्टिव मरीज हैं और इनमें से करीब 1000 ऐसे मरीज हैं जिनकी हालत स्थिर है इसलिए उन मरीजों को होम आइसोलेट किया गया है.
होम आइसोलेटेड मरीजों के लिए हेल्प सेंटर
इन मरीजों के लिए चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से एक हेल्प सेंटर की शुरुआत की गई है. जिसमें डॉक्टर लगातार वीडियो कॉल के जरिए इन मरीजों के संपर्क में रहते हैं. इस हेल्प सेंटर को चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड में स्थापित किया गया है और डॉक्टर्स के साथ हाउसिंग बोर्ड के कई कर्मचारी भी इसमें सेवाएं दे रहे हैं.
चार जोन में बांटा गया, हर जोन में दो डॉक्टर तैनात
इस हेल्प सेंटर में किस तरह से कोरोना मरीजों की सहायता की जा रही है, इस बारे में जानकारी देते हुए हाउसिंग बोर्ड के सीईओ यशपाल गर्ग ने बताया कि कोरोना मरीजों की मदद के लिए चंडीगढ़ को चार जोन में बांटा है. हर जोन में दो-दो डॉक्टर तैनात किए गए हैं. इसके अलावा हाउसिंग बोर्ड कर्मचारी भी उन लोग के साथ काम कर रहे हैं. इस हेल्थ सेंटर का मुख्य मकसद है कि लोगों को घर पर रहते हुए इलाज के दौरान कोई परेशानी ना आए.
मरीजों की काउंसलिंग भी करते हैं
इस हेल्प सेंटर में हर रोज 1000 से ज्यादा मरीजों की लिस्ट आती है. जिसके बाद डॉक्टर मरीजों से बात करते हैं और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेते हैं. अगर कोई मरीज किसी तरह की कोई समस्या महसूस कर रहा हो तो उसको दवाइयों के बारे में बताते हैं और यहां से दवाइयां भी भेजते हैं. अगर किसी मरीज को जरूरत हो तो उसे एंबुलेंस भी भेजी जाती है. इसके अलावा मरीजों की काउंसलिंग भी की जाती है.
कोरोना सर्वाइवर ने की सराहना
कोरोना सर्वाइवर लवकेश कुमार से जब हेल्प सेंटर के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें खुद समझ में नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या हो रहा है. विभाग की ओर से उनके पूरे घर को सील कर दिया गया था और उन्हें एक अलग कमरे में आइसोलेट भी कर दिया था. उस समय बेहद अकेला और बुरा महसूस हो रहा था, लेकिन कोविड हेल्प सेंटर ने उनकी बहुत मदद की.
चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से स्थापित किया गया ये कोविड हेल्प सेंटर मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. एक तो मरीज अपने घर में रहता है और दूसरा घर में रहते हुए उसका अच्छे तरीके से इलाज हो रहा है. इतना ही नहीं मरीजों को बीमारी के चलते होने वाले डर और मानसिक तनाव से भी बचाया जा रहा है और मरीज जल्दी स्वस्थ हो रहे हैं. ठीक हो चुके मरीज भी प्रशासन के इस कदम की काफी सराहना कर रहे हैं.
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