ETV Bharat / city

निकाय चुनाव में गठबंधन सरकार को झटका, हुड्डा भी नहीं बचा पाए गढ़, AAP की उम्मीदें भी नहीं हो पाई पूरी!

हरियाणा की 46 नगर परिषद और नगर पालिका चुनाव के नतीजें आने के बाद से बीजेपी कार्यकर्ता जीत को लेकर प्रदेशभर में जश्न मना रहे (Haryana Urban Body Election Result) हैं. हालांकि सुबे के मुखिया मनोहर लाल के गृह जिले में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में बीजेपी को मंथन करने की जरूरत दिखाई दे रही है. पढ़ें पूरी खबर...

Haryana Urban Body Election Result
हरियाणा शहरी निकाय चुनाव परिणाम
author img

By

Published : Jun 23, 2022, 12:33 PM IST

Updated : Jun 23, 2022, 4:32 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में हुए नगर परिषद और नगर पालिका चुनाव में भले ही बीजेपी और जेजेपी गठबंधन कि सरकार ने सबसे ज्यादा अध्यक्ष पदों पर कब्जा किया हो, लेकिन इन चुनावी नतीजों ने गठबंधन सरकार को भी चिंतन में जरूर डाल दिया (Haryana Urban Body Election Result) है. क्योंकि बीजेपी गठबंधन में होने के बावजूद अपने पीछले रिकॉर्ड को नहीं दोहरा पाई. दरअसल पिछली बार बीजेपी 21 नगर पालिका में काबिज थी, जबकि इस बार गठबंधन के साथ वह सिर्फ 14 में जीत पाई है. यानी उसके हाथ से सात नगर पालिकाओं के अध्यक्ष पद छिन गए हैं.

पिछली बार 14 नगर परिषदों पर काबिज थी बीजेपी: पिछली बार बीजेपी 14 नगर परिषदों में अध्यक्ष पद पर काबिज थी, लेकिन इस बार वह 10 पर पहुंच गई है. यानी इसमें भी बीजेपी को चार अध्यक्ष पदों का नुकसान हुआ है. बीजेपी ने इस बार 14 नगर परिषदों पर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा (Haryana Urban Body Election) था. दूसरी तरफ, निकाय चुनाव के मैदान में पहली बार उतरी जेजेपी से गठबंधन के बाद उन्हें चार नगर परिषदों पर अध्यक्ष पद के लिए उतारा गया था. जिसमें जेजेपी सिर्फ एक सीट ही जीत पाई. यानी पिछली बार इन 40 निकायों में से बीजेपी के पास 35 निकायों में अध्यक्ष थे. इस बार उसे 11 निकायों का नुकसान उठाना पड़ा.

सीएम के गृह जिले करनाल में बीजेपी की हार: इस बार के निकाय चुनाव को गौर से देखें तो सुबे के मुखिया मनोहर लाल के गृह जिले में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. जिले में चार नगर पालिकाओं में चुनाव हुए थे. जिसमें से बीजेपी सिर्फ एकमात्र घरौंडा पालिका में अध्यक्ष पद पर जीत पाई. हैरानी इस बात की है कि वह भी मात्र 31 वोटों से जीत मिली है. यानी कहीं ना कहीं बीजेपी को मुख्यमंत्री के गृह जिले में हार का सामना करना पड़ा है. वहीं उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला उचाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते हैं, जबकि उचाना नगर पालिका में जेजेपी तीसरे स्थान पर रही है.

टोहाना में जेजेपी के मंत्री देवेंद्र बबली हारे: नरवाना भी जेजेपी विधायक रामनिवास का क्षेत्र है. विधानसभा चुनाव में जीतने के बावजूद निकाय चुनाव में पार्टी का उम्मीदवार छठे नंबर पर रहा. चौटाला परिवार के गृह हलके मंडी डबवाली से अजय सिंह चौटाला और नैना चौटाला विधायक रह चुकी हैं. नगर परिषद सीट पर पार्टी उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा. टोहाना में मंत्री देवेंद्र बबली जजपा के विधायक हैं. वे सरकार में पंचायत मंत्री हैं. इसके बावजूद जेजेपी उम्मीदवार यहां जीत नहीं सका और दूसरे स्थान पर रहा.

पूर्व सीएम हुड्डा के गढ़ में खिला कमल: ऐसे ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी अपने गढ़ में साख नहीं बचा पाए. जबकि जाटलैंड में बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब हुई. हुड्डा के गढ़ माने जाने वाले महल में बीजेपी और जेजेपी समर्थित उम्मीदवार अध्यक्ष पद पर जीतने में कामयाब हुए. झज्जर नगर परिषद की बात करें तो यहां से भूपेंद्र सिंह हुड्डा की करीबी गीता भुक्कल आती हैं यहां भी बीजेपी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की. बहादुरगढ़, गोहाना और गन्नौर में भी बीजेपी जीतने में कामयाब हुई.

पंजाब में सफलता के झंडे गाड़ने वाली आम आदमी पार्टी जो कि पहली बार प्रदेश में अपने हाथ आजमा रही थी उसे भी कोई बड़ी कामयाबी निकाय चुनावों में नहीं मिली. आम आदमी पार्टी भी सिर्फ कुरुक्षेत्र के इस्माइलाबाद में अध्यक्ष बनाने में कामयाब हो पाई. हालांकि निकाय चुनाव में बीजेपी और जेजेपी गठबंधन सबसे ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब हुई है, लेकिन उसे भी इस जीत के बाद मंथन की जरूरत दिखाई दे रही है.

2024 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को कैसे और किस तरह से अपनी कमजोरियों को दूर करना है इस पर पार्टी को अभी से ही मंथन करना होगा. नहीं तो इसका असर उन चुनावों में देखने को मिल सकता है. वहीं विपक्षी दल खासतौर पर कांग्रेस और हरियाणा में अपने पांव पसारने की कोशिश करने वाली आम आदमी पार्टी के लिए यह नतीजे चिंता का विषय है. क्योंकि इन दोनों दलों के सामने बीजेपी- जेजेपी अभी भी मजबूत दिखाई दे रही है. ऐसे में विपक्षी दलों को भी नई रणनीति के साथ हरियाणा में आगे बढ़ने के लिए मंथन करने की जरूरत दिखाई देती है.

चंडीगढ़: हरियाणा में हुए नगर परिषद और नगर पालिका चुनाव में भले ही बीजेपी और जेजेपी गठबंधन कि सरकार ने सबसे ज्यादा अध्यक्ष पदों पर कब्जा किया हो, लेकिन इन चुनावी नतीजों ने गठबंधन सरकार को भी चिंतन में जरूर डाल दिया (Haryana Urban Body Election Result) है. क्योंकि बीजेपी गठबंधन में होने के बावजूद अपने पीछले रिकॉर्ड को नहीं दोहरा पाई. दरअसल पिछली बार बीजेपी 21 नगर पालिका में काबिज थी, जबकि इस बार गठबंधन के साथ वह सिर्फ 14 में जीत पाई है. यानी उसके हाथ से सात नगर पालिकाओं के अध्यक्ष पद छिन गए हैं.

पिछली बार 14 नगर परिषदों पर काबिज थी बीजेपी: पिछली बार बीजेपी 14 नगर परिषदों में अध्यक्ष पद पर काबिज थी, लेकिन इस बार वह 10 पर पहुंच गई है. यानी इसमें भी बीजेपी को चार अध्यक्ष पदों का नुकसान हुआ है. बीजेपी ने इस बार 14 नगर परिषदों पर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा (Haryana Urban Body Election) था. दूसरी तरफ, निकाय चुनाव के मैदान में पहली बार उतरी जेजेपी से गठबंधन के बाद उन्हें चार नगर परिषदों पर अध्यक्ष पद के लिए उतारा गया था. जिसमें जेजेपी सिर्फ एक सीट ही जीत पाई. यानी पिछली बार इन 40 निकायों में से बीजेपी के पास 35 निकायों में अध्यक्ष थे. इस बार उसे 11 निकायों का नुकसान उठाना पड़ा.

सीएम के गृह जिले करनाल में बीजेपी की हार: इस बार के निकाय चुनाव को गौर से देखें तो सुबे के मुखिया मनोहर लाल के गृह जिले में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. जिले में चार नगर पालिकाओं में चुनाव हुए थे. जिसमें से बीजेपी सिर्फ एकमात्र घरौंडा पालिका में अध्यक्ष पद पर जीत पाई. हैरानी इस बात की है कि वह भी मात्र 31 वोटों से जीत मिली है. यानी कहीं ना कहीं बीजेपी को मुख्यमंत्री के गृह जिले में हार का सामना करना पड़ा है. वहीं उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला उचाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते हैं, जबकि उचाना नगर पालिका में जेजेपी तीसरे स्थान पर रही है.

टोहाना में जेजेपी के मंत्री देवेंद्र बबली हारे: नरवाना भी जेजेपी विधायक रामनिवास का क्षेत्र है. विधानसभा चुनाव में जीतने के बावजूद निकाय चुनाव में पार्टी का उम्मीदवार छठे नंबर पर रहा. चौटाला परिवार के गृह हलके मंडी डबवाली से अजय सिंह चौटाला और नैना चौटाला विधायक रह चुकी हैं. नगर परिषद सीट पर पार्टी उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा. टोहाना में मंत्री देवेंद्र बबली जजपा के विधायक हैं. वे सरकार में पंचायत मंत्री हैं. इसके बावजूद जेजेपी उम्मीदवार यहां जीत नहीं सका और दूसरे स्थान पर रहा.

पूर्व सीएम हुड्डा के गढ़ में खिला कमल: ऐसे ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी अपने गढ़ में साख नहीं बचा पाए. जबकि जाटलैंड में बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब हुई. हुड्डा के गढ़ माने जाने वाले महल में बीजेपी और जेजेपी समर्थित उम्मीदवार अध्यक्ष पद पर जीतने में कामयाब हुए. झज्जर नगर परिषद की बात करें तो यहां से भूपेंद्र सिंह हुड्डा की करीबी गीता भुक्कल आती हैं यहां भी बीजेपी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की. बहादुरगढ़, गोहाना और गन्नौर में भी बीजेपी जीतने में कामयाब हुई.

पंजाब में सफलता के झंडे गाड़ने वाली आम आदमी पार्टी जो कि पहली बार प्रदेश में अपने हाथ आजमा रही थी उसे भी कोई बड़ी कामयाबी निकाय चुनावों में नहीं मिली. आम आदमी पार्टी भी सिर्फ कुरुक्षेत्र के इस्माइलाबाद में अध्यक्ष बनाने में कामयाब हो पाई. हालांकि निकाय चुनाव में बीजेपी और जेजेपी गठबंधन सबसे ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब हुई है, लेकिन उसे भी इस जीत के बाद मंथन की जरूरत दिखाई दे रही है.

2024 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को कैसे और किस तरह से अपनी कमजोरियों को दूर करना है इस पर पार्टी को अभी से ही मंथन करना होगा. नहीं तो इसका असर उन चुनावों में देखने को मिल सकता है. वहीं विपक्षी दल खासतौर पर कांग्रेस और हरियाणा में अपने पांव पसारने की कोशिश करने वाली आम आदमी पार्टी के लिए यह नतीजे चिंता का विषय है. क्योंकि इन दोनों दलों के सामने बीजेपी- जेजेपी अभी भी मजबूत दिखाई दे रही है. ऐसे में विपक्षी दलों को भी नई रणनीति के साथ हरियाणा में आगे बढ़ने के लिए मंथन करने की जरूरत दिखाई देती है.

Last Updated : Jun 23, 2022, 4:32 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.