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हरियणा विधानसभा के 13% हिस्से पर अभी भी पंजाब का कब्जा! दिल्ली तक पहुंचा विवाद

हरियाणा गठन को लगभग 54 साल हो गए हैं. 1966 में जब पंजाब से काटकर हरियाणा का गठन किया गया था तो कई मुद्दे ऐसे थे जिनको या तो बाद में निपटाना था या साथ में काम चलाना था. इन्हीं में से एक विधानसभा भी है.

haryana assembly
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Published : Jul 19, 2021, 9:03 PM IST

चंडीगढ़ः हरियाणा और पंजाब एक ही विधानसभा का इस्तेमाल करते हैं जो चंडीगढ़ में स्थित है. इस विधानसभा की हिस्सेदारी शरू से ही विवादित रही है. अब एक बार फिर विधानसभा में अपनी हिस्सेदारी को लेकर हरियाणा सक्रिय हुआ है. पंजाब स्पीकर से मिलकर मांग करने के बाद अब हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता दिल्ली पहुंचे हैं और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से इस पर बातचीत की चर्चा है. सवाल ये है कि राज्य गठन के इतने दिन बाद ये विधानसभा का मुद्दा कहां से आया.

इसकी वजह बताते हुए हरियाणा विधानसभा स्पीकर ने कहा था कि जब हरियाणा अलग हुआ था तब विधानसभा का 60 प्रतिशत हिस्सा पंजाब के लिए आवंटित हुआ था और 40 प्रतिशत हिस्सा हरियाणा को दिया गया था. लेकिन वर्तमान स्थिति ये है कि हमारे पास मात्र 27 फीसदी ही है और 13 प्रतिशत बचा हुआ हिस्सा पंजाब के पास है. इसे ऐसे समझिए कि बंटवारे के वक्त पंजाब विधानसभा सचिवालय को 30890 स्‍क्‍वॉयर फीट, पंजाब विधान परिषद सचिवालय को 10910 स्‍क्‍वॉयर फीट और हरियाणा विधानसभा सचिवालय को 24630 स्‍क्‍वॉयर फीट हिस्‍सा मिला था.

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हरियाणा विधानसभा

इसे और आसान करने के लिए कमरों के हिसाब से समझिए कि कैसे पंजाब ने ज्यादा हिस्से पर अधिकार जमाया हुआ है. हरियाणा सरकार के मुताबिक विधान भवन की इमारत के बेसमेंट में 4 कमरे हरियाणा को मिले थे, कमरा नंबर 23 से 26 तक लेकिन हरियाणा के पास अभी केवल दो (24-25) हैं, बाकी पंजाब के पास हैं.

ये भी पढ़ेंः लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मिलेंगे विधानसभा अध्यक्ष, हरियाणा के लिए अलग विधानसभा की करेंगे मांग

ऐसे ही ग्राउंड फ्लोर पर बंटवारे के वक्त हरियाणा को 4 कमरे आवंटित हुए थे. कमरा नंबर 27 से 30 तक, लेकिन इनमें से एक भी हरियाणा के पास नहीं है सब पंजाब के पास हैं. इसी तरह पहली मंजिल पर हरियाणा के लिए 14 कमरे (99 से 104 और 106 से 113 तक ) आवंटित हुए थे. लेकिन इनमें से एक भी कमरा हरियाणा के पास नहीं है सब पंजाब के पास हैं. दूसरी मंजिल पर हरियाणा को 6 कमरे (154 से 156 तक और 158 से 160 तक) दिये गये थे, लेकिन ये भी सारे कमरे पंजाब के ही पास हैं. हालांकि आपसी सहमति से दूसरी मंजिल पर पंजाब के 7 कमरे हरियाणा के पास हैं.

haryana assembly
हरियाणा विधानसभा का एक और दृश्य

हरियाणा और पंजाब के बीच केवल यही एक विवाद नहीं है, राजधानी चंडीगढ़ पर हक को लेकर दोनों प्रदेशों के बीच हमेशा खींचतान रहती है. इसके अलावा हिंदी भाषी क्षेत्र को लेकर भी दोनों प्रदेश आमने-सामने दिखते हैं. इसके अलावा सबसे बड़ा मुद्दा एसवाईएल का है जो सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद भी आज तक हरियाणा को मिल नहीं सकी है. अब ये एक और मोर्चा हरियाणा ने खोला है, जिसके हल के लिए विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने दिल्ली तक दौड़ लगाई है.

ये भी पढ़ेंः तो हरियाणा में बंद कर दिए जाएंगे स्कूल ? शिक्षा मंत्री का बड़ा बयान

चंडीगढ़ः हरियाणा और पंजाब एक ही विधानसभा का इस्तेमाल करते हैं जो चंडीगढ़ में स्थित है. इस विधानसभा की हिस्सेदारी शरू से ही विवादित रही है. अब एक बार फिर विधानसभा में अपनी हिस्सेदारी को लेकर हरियाणा सक्रिय हुआ है. पंजाब स्पीकर से मिलकर मांग करने के बाद अब हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता दिल्ली पहुंचे हैं और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से इस पर बातचीत की चर्चा है. सवाल ये है कि राज्य गठन के इतने दिन बाद ये विधानसभा का मुद्दा कहां से आया.

इसकी वजह बताते हुए हरियाणा विधानसभा स्पीकर ने कहा था कि जब हरियाणा अलग हुआ था तब विधानसभा का 60 प्रतिशत हिस्सा पंजाब के लिए आवंटित हुआ था और 40 प्रतिशत हिस्सा हरियाणा को दिया गया था. लेकिन वर्तमान स्थिति ये है कि हमारे पास मात्र 27 फीसदी ही है और 13 प्रतिशत बचा हुआ हिस्सा पंजाब के पास है. इसे ऐसे समझिए कि बंटवारे के वक्त पंजाब विधानसभा सचिवालय को 30890 स्‍क्‍वॉयर फीट, पंजाब विधान परिषद सचिवालय को 10910 स्‍क्‍वॉयर फीट और हरियाणा विधानसभा सचिवालय को 24630 स्‍क्‍वॉयर फीट हिस्‍सा मिला था.

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हरियाणा विधानसभा

इसे और आसान करने के लिए कमरों के हिसाब से समझिए कि कैसे पंजाब ने ज्यादा हिस्से पर अधिकार जमाया हुआ है. हरियाणा सरकार के मुताबिक विधान भवन की इमारत के बेसमेंट में 4 कमरे हरियाणा को मिले थे, कमरा नंबर 23 से 26 तक लेकिन हरियाणा के पास अभी केवल दो (24-25) हैं, बाकी पंजाब के पास हैं.

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ऐसे ही ग्राउंड फ्लोर पर बंटवारे के वक्त हरियाणा को 4 कमरे आवंटित हुए थे. कमरा नंबर 27 से 30 तक, लेकिन इनमें से एक भी हरियाणा के पास नहीं है सब पंजाब के पास हैं. इसी तरह पहली मंजिल पर हरियाणा के लिए 14 कमरे (99 से 104 और 106 से 113 तक ) आवंटित हुए थे. लेकिन इनमें से एक भी कमरा हरियाणा के पास नहीं है सब पंजाब के पास हैं. दूसरी मंजिल पर हरियाणा को 6 कमरे (154 से 156 तक और 158 से 160 तक) दिये गये थे, लेकिन ये भी सारे कमरे पंजाब के ही पास हैं. हालांकि आपसी सहमति से दूसरी मंजिल पर पंजाब के 7 कमरे हरियाणा के पास हैं.

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हरियाणा विधानसभा का एक और दृश्य

हरियाणा और पंजाब के बीच केवल यही एक विवाद नहीं है, राजधानी चंडीगढ़ पर हक को लेकर दोनों प्रदेशों के बीच हमेशा खींचतान रहती है. इसके अलावा हिंदी भाषी क्षेत्र को लेकर भी दोनों प्रदेश आमने-सामने दिखते हैं. इसके अलावा सबसे बड़ा मुद्दा एसवाईएल का है जो सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद भी आज तक हरियाणा को मिल नहीं सकी है. अब ये एक और मोर्चा हरियाणा ने खोला है, जिसके हल के लिए विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने दिल्ली तक दौड़ लगाई है.

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