चंडीगढ़: साल 2019 में हरियाणा की राजनीति में कई बड़े बदलाव हुए. जींद उपचुनाव से लेकर हरियाणा विधानसभा चुनाव तक पूरे साल राजनीतिक खबरें हरियाणा में छाई रही. इस खास पेशकश में हम आपको बता रहे हैं उन बड़े नेताओं के बारे में जिनकी चुनावी हार ने पूरे प्रदेश को चौंकाया.
दीपेंद्र सिंह हुड्डा- लगातार तीन बार रोहतक से कांग्रेस सांसद रहे, 2019 लोकसभा चुनाव में हारे.
दुष्यंत चौटाला- हिसार से 2014 में सांसद बनें थे, 2019 में लोकसभा चुनाव में हारे.
रणदीप सुरजेवाला- कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और कैथल से विधायक रहे. साल 2019 में दो बार चुनाव लड़े और दोनों बार हारे.
भुपेंद्र सिंह हुड्डा- कांग्रेस के कद्दावर नेता और हरियाणा के पूर्व सीएम रहे, सोनीपत से लोकसभा चुनाव में हारे.
कैप्टन अभिमन्यु - 2014 में मनोहर सरकार में वित्त मंत्री रहे, 2019 में विधानसभा चुनाव हारे.
सुभाष बराला- बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए विधानसभा चुनाव हारे.
कविता जैन- 2014 में मनोहर सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं, 2019 में चुनाव विधानसभा हारीं.
कृष्ण कुमार बेदी- 2014 में मनोहर सरकार में मंत्री बनें, 2019 में चुनाव विधानसभा हारे.
कृष्ण लाल पंवार- 2014 में मनोहर सरकार में परिवहन व जेल मंत्री बनें, 2019 में चुनाव विधानसभा हारे.
रामबिलास शर्मा- 2014 में मनोहर सरकार में शिक्षा मंत्री बनें, 2019 में चुनाव विधानसभा हारे.
राजकुमार सैनी- 2014 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव जीतकर सांसद बनें थे. फिर बीजेपी छोड़कर अपनी पार्टी बनाई. विधानसभा चुनाव लड़ा और हार गए.
कुमारी शैलजा- पूर्व केंद्रीय मंत्री शैलजा अंबाला से लोकसभा का चुनाव हारी थीं.
श्रुति चौधरी- पूर्व सांसद और चौधरी बंसीलाल की पौती भिवानी महेंद्रगढ़ सीट से कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव में उतरी और हार गईं.
बबीता फोगाट- मशहूर महिला पहलवान बबीता ने बीजेपी में शामिल होकर दादरी से विधानसभा चुनाव लड़ा और हार गईं.
योगेश्वर दत्त- मशहूर पहलवान और ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर ने बीजेपी में शामिल हो कर विधानसभा का चुनाव लड़ा और हार गए.
ओम प्रकाश धनखड़- 2014 में मनोहर सरकार में कृषि मंत्री बनें, 2019 में चुनाव विधानसभा हारे.
दिग्विजय चौटाला- जेजेपी नेता.
अशोक तंवर- कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए लोकसभा चुनाव में हारे, बाद में कांग्रेस छोड़ दी.
कैप्टन अजय सिंह यादव- कांग्रेस के पूर्व मंत्री रह, लोकसभा चुनाव में हारे.
तो कुछ ऐसा रहा साल 2019 हरियाणा में राजनीतिक नजरिए से. किसी ने इतिहास बनाया तो कुछ खुद ही इतिहास बन गए, कोई सत्ता से दूर हुआ तो किसी के हाथ सत्ता आते-आते रह गई. कहीं उलटफेर हुआ तो कहीं नेताओं के किले ढ़ह गए. अब देखना ये होगा कि 2020 हरियाणा में क्या नए राजनीतिक किस्से लेकर आएगा.
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