चंडीगढ़: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने मंगलवार को चंडीगढ़ में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, बागवानी विभाग, पशुपालन विभाग, हरियाणा कृषि विश्वद्यिालय आदि संस्थाओं के अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों के लिए 'चारा बिजाई योजना' की शुरूआत की जा रही है. इस योजना के तहत यदि गौशालाओं के आसपास कोई किसान 10 एकड़ भूमि तक चारा उगाकर उसे गौशालाओं को आपसी सहमति के माध्यम से मुहैया करवाता है तो राज्य सरकार ऐसे किसानों को 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की सहायता राशि देगी. यह राशि किसानों के खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से पहुंचाई जाएगी.
जेपी दलाल ने कहा कि 'चारा बिजाई योजना' के आने से किसानों को भी फायदा होगा और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ गौशालाओं को भी सुविधा होगी. दस हजार रुपये प्रति एकड़ की राशि उन्हीं किसानों को मिलेगी जिन्हे गौशाला संचालक सर्टिफाई करेंगे कि ये चारा हमने गौ सेवा में लिया है. उन्होंने कहा कि चारा अर्थात तूड़ी के लिए राज्य की 569 गौशालाओं को अप्रैल महीने में 13.44 करोड़ रूपए की राशि मुहैया करवा दी गई है. कृषि मंत्री जेपी दलाल ने मंगलवार को कृषि विभाग के अधिकारियों और भारत सरकार की एग्रीकल्चर बीमा कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक की.
इस बैठक में किसानों को पारदर्शी तरीके से बीमा का क्लेम देने के लिए त्वरित कार्यवाही करने के लिए निर्देश दिए गए ताकि समय पर उनकी खराब फसल का पैसा मिल सके. इसके अलावा पिछले 3-4 सालों से फसल खराब के क्लेम के विवादित मामलों के समाधान के लिए भी कहा गया है. हरियाणा सरकार के कृषि विभाग के अधिकारी और भारत सरकार की एग्रीकल्चर बीमा कंपनी के अधिकारी आपस में बैठकर इन क्लेम को निपटाने का काम करेंगे.
जो गौशालाएं अपने आस पड़ोस में किसी किसान से चारा बिजाई कराना चाहते हैं. वो चारा गौशाला सर्टिफाई कर दे कि हमने गौ सेवा में लिया है. तो उस किसान को दस हजार प्रति एकड़ सरकार की तरफ से दिया जायेगा. ये पैसा डीबीटी के जरिए खाते में पहुंच जायेगा. जेपी दलाल, कृषि मंत्री, हरियाणा
हरियाणा में चारा संकट- आपको बता दें कि हरियाणा में सूखे चारे खासकर गेहूं से बनने वाले भूसे (तूड़ी) का दाम सातवें आसमान पर पहुंच चुका है. पिछले सीजन जो भूसा करीब 300 रूपये प्रति क्विंटल था वो अब 700 के ऊपर मिल रहा है. थोक में किसान 7 हजार रुपये में एक एकड़ खरीद लेते थे. लेकिन उसका दाम अब 16 हजार रुपये को पार कर गया है. सामान्य किसान के लिए इतना महंगा चारा खरीदना बेहद मुश्किल हो रहा है. चारे की किल्लत को देखते हुए हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और पानीपत में धारा 144 लगानी पड़ी. प्रशासन ने इन जिलों में चारे की बिक्री और बाहर भेजने पर रोक लगा दी.
सिरसा और फतेहाबाद जिलों में सूखे चारे की कमी (sirsa fodder shortage) को देखते हुए जिला उपायुक्त ने धारा 144 के तहत जिले से बाहर जाने और ईंट-भट्टों और बॉयलर में इसके प्रयोग पर रोक लगाने का आदेश दिया था. जिला प्रशासन ने पत्र में कहा कि तूड़ी फैक्ट्री में प्रयोग होती है और इसे बाहर भी भेजा जाता है. इससे गौवंश में सूखे चारे की कमी होती है. इसलिए तूड़ी को फैक्ट्री में प्रयोग करने व सिरसा से बाहर भेजने पर प्रतिबंध लगाया जाता है.
हरियाणा में चारा महंगा क्यों हुआ- चारा महंगा होने के पीछे कई बड़े कारण बताये जा रहे हैं. पहला यह है कि इस बार पिछले सालों की तुलना में गेहूं की बिजाई बेहद कम की गई थी. क्योंकि सरसों का भाव तेज था इसलिए किसानों ने मुनाफे के लिए सरसों ज्यादा बोई. दूसरा बड़ा कारण ये भी है कि अब हाथ से कटाई की बजाए 90 फीसदी गेहूं की कटाई कंबाइन मशीन से का जाती है. मैनुअल कटाई और कंबाइन से कटाई की तुलना में तूड़ी 30 प्रतिशत तक कम निकलती है. इसके अलावा तीसरा बड़ा कारण ये भी है कि समय से पहले शुरू हुई गर्मी की वजह से भी गेहूं उत्पादन कम हुआ है. भारी गर्मी की वजह से गेहूं की फसल हल्की हो गई.
संकट में गौशाला संचालक- चारे की किल्लत से सबसे ज्यादा संकट में गैशाला संचालक हैं. केवल सिरसा जिले में करीब 134 पंजीकृत और 18 गैर पंजीकृत गौशालाएं हैं. चारे की कमी को देखते हुए गौशाला संचालकों ने प्रशासन के साथ मीटिंग की और भूसा सस्ता करवाने का अल्टीमेट दिया. आखिरकार प्रशासन को जिले में सूखे चारे की बिक्री और बाहर भेजने पर रोक लगानी पड़ी. वहीं हिसार में गैशाला चला रहे दिलबाग ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि चारे के बढ़ते दाम और किल्लत की वजह से हम चारा नहीं खरीद पा रहे हैं. बड़ी संख्या में गौधन संकट में है.
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