चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 प्रदेश में कई राजनीतिक दलों का भविष्य तय करेगा. हरियाणा के चुनावी रण में कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. बीजेपी ने जहां 75 पार का नारा दिया है. वहीं कांग्रेस भी प्रदेश में सरकार बनाने का दावा कर रही है. इनेलो नेता अभय चौटाला ने कहा है कि इनेलो के बिना प्रदेश में सरकार नहीं बन सकती. जेजेपी 55 का आंकड़ा छूने की बात कह रही है.
हुड्डा की प्रतिष्ठा दांव पर
हरियाणा के दो बार के मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा की इस चुनाव में प्रतिष्ठा दांव पर है. वो 2019 लोकसभा चुनाव में सोनीपत के कांग्रेस के उम्मीदवार थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. विधानसभा चुनाव में वो रोहतक जिले की गढ़ी-सांपला-किलोई सीट से मैदान में है. ये उनकी परंपरागत सीट है.
माना जाता है कि हुड्डा के ही दबाव के बाद कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर को चुनाव से ठीक पहले उनके पद से हटा दिया था. कांग्रेस हाईकमान ने कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष का पद सौंपा है.
कांग्रेस के दिग्गज नेता
हुड्डा के साथ-साथ कांग्रेस में पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, किरण चौधरी, कैप्टन अजय सिंह यादव और कुलदीप बिश्नोई की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. सुरजेवाला कैथल, किरण तोशाम, कैप्टन अजय के बेटे चिरंजीव राव रेवाड़ी तथा कुलदीप आदमपुर से चुनाव लड़ रहे हैं.
क्या जेजेपी खुद को साबित कर पाएगी?
इनेलो से टूट कर बनी जेजेपी पहली बार विधानसभा चुनाव में है. पार्टी के बड़े नेता दुष्यंत चौटाला, नैना चौटाला चुनावी मैदीन में है. दिग्विजय चौटाला ने कूटनीतिक फैसला लेते हुए खुद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा. इस तीनों नेताओं ने प्रदेश में जबरदस्त चुनाव प्रचार किया है और खुद ही पार्टी के स्टार प्रचारक रहे हैं. दुष्यंत उचाना और नैना चौटाला बाढड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं.
इनेलो की अग्निपरीक्षा
पार्टी में टूट के बाद हरियाणा विधानसभा में उतरी इनेलो के लिए ये चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. इनेलो ने विधानसभा चुनाव के लिए शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन किया है. सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के राजनीतिक उत्तराधिकारी अभय सिंह चौटाला सिरसा जिले की ऐलनाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. अकाली दल से गठबंधन के बाद ऐलनाबाद विधानसभा चुनाव में उन्हें फायदा पहुंचने की संभावना है.
बीजेपी के दिया 75 पार का नारा
मनोहर लाल खट्टर के पास हरियाणा की राजनीति में खुद को चौथे लाल के रूप में स्थापित करने का मौका है. वो करनाल विधानसभा सीट से फिर से चुनाव मैदान में है. उनके सामने किसी बड़े चेहरे ने चुनाव नहीं लड़ा. बीजेपी ने प्रदेश में 75 पार का नारा दिया है. बीजेपी नेता प्रदेश में दोबारा सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. लेकिन कई दिग्गज नेताओं को खुद को साबित भी करना है.
हिसार लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी सांसद बृजेंद्र सिंह, वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के विधानसभा क्षेत्र नारनौंद में जेजेपी के दुष्यंत चौटाला से तीन हजार वोट से पिछड़ गए थे. वहीं लोकसभा चुनाव में रोहतक में सांसद डॉ. अरविंद शर्मा कृषि मंत्री ओपी धनखड़ के विधानसभा क्षेत्र बादली में कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा से करीब 14 हजार वोटों से पीछे रह गए थे. रोहतक संसदीय क्षेत्र हुड्डा का गढ़ माना जाता है. यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है.
नूंह में बीजेपी का खुलेगा खाता?
लोकसभा चुनाव में बीजेपी नूंह जिले की पुन्हाना और फिरोजपुर झिरका और नूंह विधानसभा सीट पर पिछड़ गई थी. बीजेपी के लिए नूंह में खाता खोलना किसी चुनौती से कम नहीं है. वहीं सोनीपत के खरखौदा और बरोदा हलकों में बीजेपी 2019 लोकसभा चुनाव में पिछड़ गई थी. यहां बीजेपी के रमेश कौशिक की टक्कर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से थी. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 79 पर बीजेपी ने बढ़त दर्ज की थी.
ये भी पढ़ें- छिटपुट हिंसा के बीच हरियाणा में समाप्त हुआ मतदान, करीब 68.30 फीसदी हुई वोटिंग