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जीटी रोड बेल्ट में राहुल की रैली कांग्रेस का सीक्रेट प्लान है! पढ़िए क्या है खास?

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जीटी बेल्ट पर आने वाली करनाल, अम्बाला, कुरुक्षेत्र और सोनीपत लोकसभा की सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस यहां फिर से अपना गढ़ बनाना चाहती है, लेकिन भाजपा के किले को भेदना आसान नहीं होगा.

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Published : Mar 29, 2019, 12:45 PM IST

Updated : Mar 29, 2019, 8:00 PM IST

चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी राजनैतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं. सभी दल तरह-तरह की रणनीतियां बनाकर हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर परचम लहराना चाहते हैं. वहीं सभी की नजरें टिकी हैं हरियाणा की जीटी रोड बेल्ट पर क्योंकि यहां कोई भी दल ये नहीं सकता कि ये मेरा गढ़ है. पिछले चुनाव के नतीजे देखते हुए ये जरूर कहा जा सकता है कि भाजपा यहां बढ़त में है. क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में जीटी रोड बेल्ट पर सारी सीटें भाजपा के खाते में गई थी.

करनाल, अम्बाला, कुरुक्षेत्र और सोनीपत लोकसभा सीटों पर भाजपा ने वर्ष 2014 में जीत दर्ज की थी. अंबाला, कुरुक्षेत्र और करनाल लोकसभा सीटों के अतंर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर 2014 में भाजपा ने परचम लहराया था. कालका, पंचकूला, नारायणगढ़, अंबाला कैंट, अंबाला शहर, मुलाना, सढौरा, जगाधरी, यमुनानगर, रादौर, लाडवा, शाहबाद, थानेसर, गुहला, निलोखेड़ी, इंद्री, करनाल, घरोंडा, असंध, पानीपत ग्रामीण, पानीपत शहर, इसराना. हालांकि समालखा से जीत दर्ज करने वाले रविंद्र मछरोली भी भाजपा में शामिल हो गए थे. इन विधानसभा सीटों पर भाजपा को ज्यादातर मुकाबला इनेलो ने ही दिया था.

जीटी रोड बेल्ट में राहुल की रैली क्या कांग्रेस का सीक्रेट प्लान है?


कांग्रेस विधानसभा चुनाव में नारायणगढ़, अंबाला कैंट, गुहला, पानीपत सिटी, इसराना, समालखा में दूसरे स्थान पर रही थी. कांग्रेस इस पूरी बेल्ट में कोई बड़ा नेता नहीं खड़ा कर पाई, जिसका खामियाजा उसके भुगतना पड़ा. भूपेंद्र हुड्डा रोहतक, झज्जर और सोनीपत से बाहर कम ही स्वीकार्य हो पाए. कांग्रेस यहां फिर से अपना गढ़ बनाना चाहती है, लेकिन भाजपा के किले को भेदना होगा. भाजपा ने अभी तक इन सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं.

जीटी रोड बेल्ट पर अंबाला, कुरुक्षेत्र और करनाल लोकसभा के अंतर्गत आने वाले 27 विधान सभा सीटों के अलावा गन्नौर, सोनीपत और राई की सीटों समेत ये आंकड़ा 30 विधान सभा सीटों पर पहुंच जाता है. रोहतक और झज्जर को हुड्डा का गढ़ कहा जाता है और सिरसा और जींद के आसपास का इनेलो का गढ़ माना जाता है.

कांग्रेस अगर भाजपा के गैर जाट के दांव का जवाब जीटी बेल्ट की किसी सीट से कुलदीप बिश्नोई को आगे करके खेलती है, तो इसका सीधा फायदा इनेलो को मिल सकता है, क्योंकि गैर जाट वोटर दो जगह बंट जाएंगे और जीटी रोड बेल्ट वाला जाट वोटर जो हुड्डा के कारण कांग्रेस की तरफ गया था. वो इनेलो में आ सकता है. लेकिन यहां देखने वाली बात ये है कि इनेलो पहले ही दो फाड़ हो चुकी है और जींद के उपचुनाव में नवगठित जेजेपी के दिग्विजय चौटाला ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी. जिससे कोई भी अब जेजेपी को कमजोर समझने की गलती शायद ही करे. वहीं राजकुमार सैनी ने अपनी पार्टी का बसपा से गठबंधन कर मुकाबला और दिलचस्प बना दिया है. जींद के प्रर्दशन को देखते हुए कहा जा सकता है कि मुकाबला कड़ा होगा.

2014 को प्रदर्शन के नाते बीजेपी जरूर ये कह सकती है कि फिलहाल इस बेल्ट पर वो मजबूत हैं. कांग्रेस अब भाजपा के गढ़ जीटी बेल्ट में सेंध लगाने की रणनीति बना रही है. पार्टी के सभी दिग्गज जहां परिवर्तन यात्रा के जरिए एक बस में सफर कर रहे हैं, वहीं अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी बीजेपी की सबसे मजबूत माने जाने वाली जीटी बेल्ट की लोकसभा सीटों के दौरे पर आ रहे हैं.

सभी दल सारा जोर इसी बेल्ट पर लगा रहे हैं. कांग्रेस लोकसभा की करनाल, कुरुक्षेत्र और अम्बाला सीटों पर जीत दर्ज कर यहां पर फिर से अपना प्रभुत्व जमाने के प्रयास में है. लेकिन बीजेपी के किले में सेंध लगाना इतना आसान नहीं है. वहीं इनेलो, जेजेपी, बसपा की जोर आजमाइश के बाद यहां मुकाबला देखने वाला होगा.

चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी राजनैतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं. सभी दल तरह-तरह की रणनीतियां बनाकर हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर परचम लहराना चाहते हैं. वहीं सभी की नजरें टिकी हैं हरियाणा की जीटी रोड बेल्ट पर क्योंकि यहां कोई भी दल ये नहीं सकता कि ये मेरा गढ़ है. पिछले चुनाव के नतीजे देखते हुए ये जरूर कहा जा सकता है कि भाजपा यहां बढ़त में है. क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में जीटी रोड बेल्ट पर सारी सीटें भाजपा के खाते में गई थी.

करनाल, अम्बाला, कुरुक्षेत्र और सोनीपत लोकसभा सीटों पर भाजपा ने वर्ष 2014 में जीत दर्ज की थी. अंबाला, कुरुक्षेत्र और करनाल लोकसभा सीटों के अतंर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर 2014 में भाजपा ने परचम लहराया था. कालका, पंचकूला, नारायणगढ़, अंबाला कैंट, अंबाला शहर, मुलाना, सढौरा, जगाधरी, यमुनानगर, रादौर, लाडवा, शाहबाद, थानेसर, गुहला, निलोखेड़ी, इंद्री, करनाल, घरोंडा, असंध, पानीपत ग्रामीण, पानीपत शहर, इसराना. हालांकि समालखा से जीत दर्ज करने वाले रविंद्र मछरोली भी भाजपा में शामिल हो गए थे. इन विधानसभा सीटों पर भाजपा को ज्यादातर मुकाबला इनेलो ने ही दिया था.

जीटी रोड बेल्ट में राहुल की रैली क्या कांग्रेस का सीक्रेट प्लान है?


कांग्रेस विधानसभा चुनाव में नारायणगढ़, अंबाला कैंट, गुहला, पानीपत सिटी, इसराना, समालखा में दूसरे स्थान पर रही थी. कांग्रेस इस पूरी बेल्ट में कोई बड़ा नेता नहीं खड़ा कर पाई, जिसका खामियाजा उसके भुगतना पड़ा. भूपेंद्र हुड्डा रोहतक, झज्जर और सोनीपत से बाहर कम ही स्वीकार्य हो पाए. कांग्रेस यहां फिर से अपना गढ़ बनाना चाहती है, लेकिन भाजपा के किले को भेदना होगा. भाजपा ने अभी तक इन सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं.

जीटी रोड बेल्ट पर अंबाला, कुरुक्षेत्र और करनाल लोकसभा के अंतर्गत आने वाले 27 विधान सभा सीटों के अलावा गन्नौर, सोनीपत और राई की सीटों समेत ये आंकड़ा 30 विधान सभा सीटों पर पहुंच जाता है. रोहतक और झज्जर को हुड्डा का गढ़ कहा जाता है और सिरसा और जींद के आसपास का इनेलो का गढ़ माना जाता है.

कांग्रेस अगर भाजपा के गैर जाट के दांव का जवाब जीटी बेल्ट की किसी सीट से कुलदीप बिश्नोई को आगे करके खेलती है, तो इसका सीधा फायदा इनेलो को मिल सकता है, क्योंकि गैर जाट वोटर दो जगह बंट जाएंगे और जीटी रोड बेल्ट वाला जाट वोटर जो हुड्डा के कारण कांग्रेस की तरफ गया था. वो इनेलो में आ सकता है. लेकिन यहां देखने वाली बात ये है कि इनेलो पहले ही दो फाड़ हो चुकी है और जींद के उपचुनाव में नवगठित जेजेपी के दिग्विजय चौटाला ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी. जिससे कोई भी अब जेजेपी को कमजोर समझने की गलती शायद ही करे. वहीं राजकुमार सैनी ने अपनी पार्टी का बसपा से गठबंधन कर मुकाबला और दिलचस्प बना दिया है. जींद के प्रर्दशन को देखते हुए कहा जा सकता है कि मुकाबला कड़ा होगा.

2014 को प्रदर्शन के नाते बीजेपी जरूर ये कह सकती है कि फिलहाल इस बेल्ट पर वो मजबूत हैं. कांग्रेस अब भाजपा के गढ़ जीटी बेल्ट में सेंध लगाने की रणनीति बना रही है. पार्टी के सभी दिग्गज जहां परिवर्तन यात्रा के जरिए एक बस में सफर कर रहे हैं, वहीं अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी बीजेपी की सबसे मजबूत माने जाने वाली जीटी बेल्ट की लोकसभा सीटों के दौरे पर आ रहे हैं.

सभी दल सारा जोर इसी बेल्ट पर लगा रहे हैं. कांग्रेस लोकसभा की करनाल, कुरुक्षेत्र और अम्बाला सीटों पर जीत दर्ज कर यहां पर फिर से अपना प्रभुत्व जमाने के प्रयास में है. लेकिन बीजेपी के किले में सेंध लगाना इतना आसान नहीं है. वहीं इनेलो, जेजेपी, बसपा की जोर आजमाइश के बाद यहां मुकाबला देखने वाला होगा.
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हरियाणा की जीटी रोड बैल्ट पर हर पार्टी लगा रही है जोर, पढ़िए आखिर क्या है खास?



चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी राजनैतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं. सभी दल तरह-तरह की रणनीतियां बनाकर हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर परचम लहराना चाहते हैं. वहीं सभी की नजरें टिकी हैं हरियाणा की जीटी रोड बैल्ट पर क्योंकि यहां कोई भी दल ये नहीं सकता कि ये मेरा गढ़ है. पिछले चुनाव के नतीजे देखते हुए ये जरूर कहा जा सकता है कि भाजपा यहां बढ़त में है. क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में जीटी रोड बैल्ट पर सारी सीटें भाजपा के खाते में गई थी.

करनाल, अम्बाला, कुरुक्षेत्र और सोनीपत लोकसभा सीटों पर भाजपा ने वर्ष 2014 में जीत दर्ज की थी. अंबाला, कुरुक्षेत्र और करनाल लोकसभा सीटों के अतंर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर 2014 में भाजपा ने परचम लहराया था. कालका, पंचकूला, नारायणगढ़, अंबाला कैंट, अंबाला शहर, मुलाना, सढौरा, जगाधरी, यमुनानगर, रादौर, लाडवा, शाहबाद, थानेसर, गुहला, निलोखेड़ी, इंद्री, करनाल, घरोंडा, असंध, पानीपत ग्रामीण, पानीपत शहर, इसराना. हालांकि समालखा से जीत दर्ज करने वाले रविंद्र मछरोली भी भाजपा में शामिल हो गए थे. इन विधानसभा सीटों पर भाजपा को ज्यादातर मुकाबला इनेलो ने ही दिया था. 

कांग्रेस नारायणगढ़, अंबाला कैंट, गुहला, पानीपत सिटी, इसराना, समालखा में दूसरे स्थान पर रही थी. कांग्रेस इस पूरी बैल्ट में कोई बड़ा नेता नहीं खड़ा कर पाई, जिसका खामियाजा उसके भुगतना पड़ा. भूपेंद्र हुड्डा रोहतक, झज्जर और सोनीपत से बाहर कम ही स्वीकार्य हो पाए. कांग्रेस यहां फिर से अपना गढ़ बनाना चाहती है, लेकिन भाजपा के किले को भेदना होगा. भाजपा ने अभी तक इन सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं. 

जीटी रोड बैल्ट पर अंबाला, कुरुक्षेत्र और करनाल लोकसभा के अंतर्गत आने वाले 27 विधान सभा सीटों के अलावा गन्नौर, सोनीपत और राई की सीटों समेत ये आंकड़ा 30 विधान सभा सीटों पर पहुंच जाता है. रोहतक और झज्जर को हुड्डा का गढ़ कहा जाता है और सिरसा और जींद के आसपास का इनेलो का गढ़ माना जाता है. 

कांग्रेस अगर भाजपा के गैर जाट के दांव का जवाब जीटी बैल्ट की किसी सीट से कुलदीप बिश्नोई को आगे करके खेलती है, तो इसका सीधा फायदा इनेलो को मिल सकता है, क्योंकि गैर जाट वोटर दो जगह बंट जाएंगे और जीटी रोड बैल्ट वाला जाट वोटर जो हुड्डा के कारण कांग्रेस की तरफ गया था. वो इनेलो में आ सकता है. लेकिन यहां देखने वाली बात ये है कि इनेलो पहले ही दो फाड़ हो चुकी है और जींद के उपचुनाव में नवगठित जेजेपी के दिग्विजय चौटाला ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी. जिससे कोई भी अब जेजेपी को कमजोर समझने की गलती शायद ही करे. वहीं राजकुमार सैनी ने अपनी पार्टी का बसपा से गठबंधन कर मुकाबला और दिलचस्प बना दिया है. जींद के प्रर्दशन को देखते हुए कहा जा सकता है कि मुकाबला कड़ा होगा.

2014 को प्रदर्शन के नाते बीजेपी जरूर ये कह सकती है कि फिलहाल इस बैल्ट पर वो मजबूत हैं. कांग्रेस अब भाजपा के गढ़ जीटी बेल्ट में सेंध लगाने की रणनीति बना रही है. पार्टी के सभी दिग्गज जहां परिवर्तन यात्रा के जरिए एक बस में सफर कर रहे हैं, वहीं अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी बीजेपी की सबसे मजबूत माने जाने वाली जीटी बेल्ट की लोकसभा सीटों के दौरे पर आ रहे हैं. 

सभी दल सारा जोर इसी बैल्ट पर लगा रहे हैं. कांग्रेस लोकसभा की करनाल, कुरुक्षेत्र और अम्बाला सीटों पर जीत दर्ज कर यहां पर फिर से अपना प्रभुत्व जमाने के प्रयास में है. लेकिन बीजेपी के किले में सेंध लगाना इतना आसान नहीं है. वहीं इनेलो, जेजेपी, बसपा की जोर आजमाइश के बाद यहां मुकाबला देखने वाला होगा.





 


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Last Updated : Mar 29, 2019, 8:00 PM IST
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