चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल शुक्रवार को शस्त्र लाइसेंस पर बुलाई गई समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने शस्त्र लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन को हरी झंडी दे दी. बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि शस्त्र लाइसेंस की आवेदन प्रक्रिया को परिवार पहचान पत्र के साथ लिंक किया जाए. इसके लिए एनआईसी, नागरिक संसाधन सूचना विभाग व गृह विभाग मिलकर कार्य करें. बैठक में मुख्यमंत्री को अश्वासन दिया गया कि एक-दो महीनों में पूरी प्रक्रिया को दुरस्त कर लिया जाएगा. एक जुलाई को यह पोर्टल लॉंच किया जा सकता है.
शस्त्र लाइसेंस के लिए ट्रेनिंग होगी अनिवार्य- बैठक में निर्णय लिया गया कि शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करने वालों को पुलिस विभाग से कम से कम एक सप्ताह की शस्त्र व फायरिंग की ट्रेनिंग (arms license training in haryana ) लेनी होगी. मुख्यमंत्री को अवगत करवाया कि आरम्भ में पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र मधुबन, करनाल, भोंडसी, गुरुग्राम, सुनारिया और रोहतक के अलावा हरियाणा पुलिस की सिरसा, नारनौल, जीन्द व कुरुक्षेत्र की फायरिंग रेंज में ट्रेनिंग दी जा सकती है. लाइसेंस के आवेदन करने वाले को ट्रेनिंग का विकल्प भी भरना होगा. ट्रेनिंग के बारे में आवेदक के मोबाइल पर मैसज भेज दिया जाएगा.
इस बात की भी जानकारी दी गई कि शस्त्र अधिनियम के तहत लाईसेंस प्रदान किए जाते हैं और इस अधिनियम में वर्ष 2016 व वर्ष 2019 में संशोधन भी किए गए हैं. अधिनियम के अनुसार पहले शस्त्र लाइसेंस फसलों की सुरक्षा के लिए तथा व्यक्ति की खुद की सुरक्षा के लिए दिए जाते हैं. वर्तमान में शस्त्र लाइसैंस की अवधि पांच वर्ष की है. पंजीकृत सुरक्षा एजेंसियों को भी नियमानुसार रिटेलर लाइसेंस दिए जाते है. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि लाईसेंस श्रेणियां प्राथमिकता के आधार पर वर्णित हो और प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता हो. सभी जिलों के शस्त्र लाइसेंसों के डाटा की समीक्षा नियमित आधार पर की जाए.