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हरियाणा में चार कार्यकारी अध्यक्ष से कितनी दूर होगी कांग्रेस की गुटबाजी, जानिए इसका चुनावी समीकरण

हरियाणा में कांग्रेस लगता है अभी से चुनावी मोड में आ गई है. हाल के विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस आत्ममंथन और बदलाव के दौर से गुजर रही है. पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद हरियाणा कांग्रेस में हलचल है. इसी को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने एक बार फिर से प्रदेश अध्यक्ष को बदल दिया. लेकिन सबसे दिलचस्प ये है कि साथ में चार कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए हैं.

haryana new congress president
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Published : Apr 29, 2022, 8:21 PM IST

Updated : Apr 30, 2022, 2:48 PM IST

चंडीगढ़: आखिरकार कई दिनों की माथापच्ची और चर्चाओं के बाद कांग्रेस पार्टी हाईकमान ने हरियाणा में अध्यक्ष का ऐलान कर दिया. हरियाणा कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल गया है. अध्यक्ष पद की बागडोर चार बार विधायक कर चुके उदय भान को दी गई है. लेकिन इससे भी ज्यादा दिलचस्प ये है कि हरियाणा में पहली बार कांग्रेस ने अध्यक्ष पद के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है. पार्टी ने जिस तरीके से 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए हैं उससे एक बार फिर चर्चा चल पड़ी है कि आखिर कांग्रेस को इससे कितना फायादा होगा. ये बात साफ है कि कांग्रेस में गुटबाजी गंभीर समस्या रही है. शायद इसी से निपटने के लिए कांग्रेस ने इन चार कार्यकारी अध्यक्षों के बहाने जातीय समीकरणों का भी खासतौर पर ध्यान रखा है.

एक गौर करने वाली बात ये भी है कि पार्टी ने अशोक तंवर, कुमारी सैलजा के बाद एक बार फिर दलित चेहरे पर ही भरोसा जताया है. इससे कांग्रेस ने एक तीर से दो निशाना साधने का काम किया. पहला ये कि दलित समुदाय में दलित हितैषी होने का संदेश देना. और दूसरा ये कि पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह इस मुद्दे पर सावल ना खड़े हों. चार कार्यकारी अध्यक्ष में जाट, गुर्जर, ब्राह्मण और वैश्य समाज को तरजीह दी है. यानी आने वाले दिनों में हरियाणा कांग्रेस इन 5 जातियों के समीकरण के साथ प्रदेश की बीजेपी सरकार के सामने अपनी चुनौती खड़ा करने की तैयारी में है.

जिस तरीके से पार्टी ने सभी जातियों के समीकरणों को ध्यान में रखा है, उससे साफ दिखाई दे रहा है कि वोट बैंक की जो सियासत है उसको भी ध्यान में रखते हुए पार्टी ने इन बदलावों को किया है. कांग्रेस पार्टी ना सिर्फ अब जाट वोट बैंक को बल्कि वैश्य, दलित और पिछड़ा वर्ग को भी ध्यान में रखकर आगे की रणनीति पर काम कर रही है. इसके साथ ही पार्टी अंदरूनी गुटबाजी को भी विराम लगाने की कोशिश में दिखाई दे रही है.

नए पार्टी अध्यक्ष उदय भान पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी बताए जाते हैं. वहीं पार्टी की वरिष्ठ नेता और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे बंसीलाल की बहू किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को उपाध्यक्ष बनाया गया है. इसके साथ ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा के करीबी रामकिशन गुर्जर को भी उपाध्यक्ष पद दिया गया है. इन सब की नियुक्ति इस बात की ओर इशारा कर रही है कि आलाकमान के लिए हरियाणा कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी बड़ी चुनौती है.

जिस तरीके से हरियाणा में पार्टी ने 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए हैं, इससे पहले यह फार्मूला पार्टी पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले भी पंजाब में अपना चुकी है. लेकिन पार्टी को उससे कोई भी फायदा नहीं मिला. कांग्रेस की बुरी तरह हार हो गई. अब देखना होगा कि हरियाणा में पार्टी का फार्मूला कितना कारगर साबित होता है? और क्या इस फार्मूले से कांग्रेस पार्टी हरियाणा में सभी जाति के लोगों को अपने पक्ष में करने में कामयाब हो पाती है या नहीं.

इधर राजनीतिक मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी की नई सूची यह बताने के लिए काफी है कि वह आने वाले दिनों में किस तरीके से आगे बढ़ने जा रही हैं. इससे यह बात तो साफ है कि अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तो चलेगी ही, वहीं हाईकमान ने हुड्डा के दबाव को कम करने के लिए सभी गुटों को तरजीह देकर यह भी संदेश दे दिया है कि वे सभी को साथ लेकर चलेंगे. हालांकि जिस तरीके से अध्यक्ष चुना गया है उसे देखते हुए इसमें कोई शक नहीं कि पार्टी में हुड्डा एक मजबूत नेता के तौर पर बने रहेंगे.

ये भी पढ़ें-'कांग्रेस में अब नहीं रहेगी कोई गुटबाजी', पार्टी अध्यक्ष उदय भान ने कुलदीप बिश्नोई के बागी तेवर पर कही ये बात

चंडीगढ़: आखिरकार कई दिनों की माथापच्ची और चर्चाओं के बाद कांग्रेस पार्टी हाईकमान ने हरियाणा में अध्यक्ष का ऐलान कर दिया. हरियाणा कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल गया है. अध्यक्ष पद की बागडोर चार बार विधायक कर चुके उदय भान को दी गई है. लेकिन इससे भी ज्यादा दिलचस्प ये है कि हरियाणा में पहली बार कांग्रेस ने अध्यक्ष पद के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है. पार्टी ने जिस तरीके से 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए हैं उससे एक बार फिर चर्चा चल पड़ी है कि आखिर कांग्रेस को इससे कितना फायादा होगा. ये बात साफ है कि कांग्रेस में गुटबाजी गंभीर समस्या रही है. शायद इसी से निपटने के लिए कांग्रेस ने इन चार कार्यकारी अध्यक्षों के बहाने जातीय समीकरणों का भी खासतौर पर ध्यान रखा है.

एक गौर करने वाली बात ये भी है कि पार्टी ने अशोक तंवर, कुमारी सैलजा के बाद एक बार फिर दलित चेहरे पर ही भरोसा जताया है. इससे कांग्रेस ने एक तीर से दो निशाना साधने का काम किया. पहला ये कि दलित समुदाय में दलित हितैषी होने का संदेश देना. और दूसरा ये कि पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह इस मुद्दे पर सावल ना खड़े हों. चार कार्यकारी अध्यक्ष में जाट, गुर्जर, ब्राह्मण और वैश्य समाज को तरजीह दी है. यानी आने वाले दिनों में हरियाणा कांग्रेस इन 5 जातियों के समीकरण के साथ प्रदेश की बीजेपी सरकार के सामने अपनी चुनौती खड़ा करने की तैयारी में है.

जिस तरीके से पार्टी ने सभी जातियों के समीकरणों को ध्यान में रखा है, उससे साफ दिखाई दे रहा है कि वोट बैंक की जो सियासत है उसको भी ध्यान में रखते हुए पार्टी ने इन बदलावों को किया है. कांग्रेस पार्टी ना सिर्फ अब जाट वोट बैंक को बल्कि वैश्य, दलित और पिछड़ा वर्ग को भी ध्यान में रखकर आगे की रणनीति पर काम कर रही है. इसके साथ ही पार्टी अंदरूनी गुटबाजी को भी विराम लगाने की कोशिश में दिखाई दे रही है.

नए पार्टी अध्यक्ष उदय भान पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी बताए जाते हैं. वहीं पार्टी की वरिष्ठ नेता और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे बंसीलाल की बहू किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को उपाध्यक्ष बनाया गया है. इसके साथ ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा के करीबी रामकिशन गुर्जर को भी उपाध्यक्ष पद दिया गया है. इन सब की नियुक्ति इस बात की ओर इशारा कर रही है कि आलाकमान के लिए हरियाणा कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी बड़ी चुनौती है.

जिस तरीके से हरियाणा में पार्टी ने 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए हैं, इससे पहले यह फार्मूला पार्टी पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले भी पंजाब में अपना चुकी है. लेकिन पार्टी को उससे कोई भी फायदा नहीं मिला. कांग्रेस की बुरी तरह हार हो गई. अब देखना होगा कि हरियाणा में पार्टी का फार्मूला कितना कारगर साबित होता है? और क्या इस फार्मूले से कांग्रेस पार्टी हरियाणा में सभी जाति के लोगों को अपने पक्ष में करने में कामयाब हो पाती है या नहीं.

इधर राजनीतिक मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी की नई सूची यह बताने के लिए काफी है कि वह आने वाले दिनों में किस तरीके से आगे बढ़ने जा रही हैं. इससे यह बात तो साफ है कि अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तो चलेगी ही, वहीं हाईकमान ने हुड्डा के दबाव को कम करने के लिए सभी गुटों को तरजीह देकर यह भी संदेश दे दिया है कि वे सभी को साथ लेकर चलेंगे. हालांकि जिस तरीके से अध्यक्ष चुना गया है उसे देखते हुए इसमें कोई शक नहीं कि पार्टी में हुड्डा एक मजबूत नेता के तौर पर बने रहेंगे.

ये भी पढ़ें-'कांग्रेस में अब नहीं रहेगी कोई गुटबाजी', पार्टी अध्यक्ष उदय भान ने कुलदीप बिश्नोई के बागी तेवर पर कही ये बात

Last Updated : Apr 30, 2022, 2:48 PM IST
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