चंडीगढ़: 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों में हरियाणा में कांग्रेस का सूफड़ा साफ हो गया. कांग्रेस सबसे सुरक्षित रोहतक सीट को मानकर चल रही थी मगर वहां पुराने कांग्रेसी ने ही पार्टी को हार का मुंह दिखा दिया. सिर्फ रोहतक ही नहीं बल्कि हरियाणा में और भी कई सीटों पर कांग्रेस पुराने कांग्रेसी नेताओं से ही शिकस्त खा बैठी जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा की हो रही है.
हुड्डा के गढ़ में लगा दी अरविंद शर्मा ने सेंध
पहले हरियाणा की सबसे हॉट सीट रोहतक की बात करते हैं. यहां से एक बार फिर दीपेंद्र हुड्डा कांग्रेस की ओर से मैदान में थे. हर कोई उनकी जीत सुनिश्चित मानकर चल रहा था. इसकी सबसे बड़ी वजह थी 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद दीपेंद्र का रोहतक में जीत का परचम लहराना. बीजेपी ने यहां से पुराने कांग्रेसी नेता और दो बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद रह चुके अरविंद शर्मा पर बड़ा दांव खेल दिया और यहीं से शुरू हुआ रोहतक में सबसे बड़ा मुकाबला.
अरविंद शर्मा कभी दीपेंद्र हुड्डा के साथ एक ही गाड़ी में घूमते रहते थे. 2009 के चुनाव में अरविंद शर्मा दीपेंद्र के लिए वोट मांग रहे थे. दोनों को एक जोड़ी के रूप में देखा जाता था. लेकिन अब दोनों आमने-सामने थे. राजनीतिक विद्वानों ने कड़ी टक्कर की उम्मीद तो की थी लेकिन नतीजा ऐसा आएगा ये किसी ने नहीं सोचा था.
हरियाणा की 10 में से 9 सीटों के नतीजे शाम तक आ चुके थे. हर और भगवा लहरा रहा था, सारे कांग्रेसी दिग्गज परास्त हो चुके थे सिर्फ दीपेंद्र हुड्डा ही मैदान में अकेले खड़े थे. दीपेंद्र और अरविंद शर्मा के बीच मुकाबला भी कांटे का रहा. कभी दीपेंद्र आगे निकलते तो कभी अरविंद शर्मा. अंत तक यह सीट फंसी रही और आखिर में देर रात अरविंद शर्मा को 7503 मतों से विजयी घोषित किया गया और दीपेंद्र हुड्डा अपने ही पुराने साथी के हाथों अपना किला गंवा बैठे.
कभी जिसका कटवाया था टिकट उससे ही हारे हुड्डा
बेटे दीपेंद्र की तरह ही पिता पूर्व सीएम हुड्डा के सामने भी पुराने कांग्रेसी नेता ही मैदान में थे. हम बात कर रहे हैं सोनीपत सीट की जहां एक ओर बीजेपी के प्रत्याशी और पूर्व कांग्रेसी रमेश कौशिक थे और दूसरी तरफ पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा. जैसे ही सोनीपत सीट पर इन दोनों के नामों की घोषणा हुई तो कड़े मुकाबले की बात होने लगी थी. भूपेंद्र हुड्डा तीन बार देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री देवीलाल को शिकस्त देने के लिए मशहूर हैं. वहीं उनके प्रतिद्वंदी और सोनीपत से 2014 में चुनाव जीतने वाले रमेश कौशिक कभी कांग्रेस के दिग्गज नेता हुआ करते थे.
कौशिक 2009 में कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन वो हुड्डा ही थे जिन्होंने उनकी टिकट कटवा दी. इसके बाद कौशिक ने बीजेपी का दामन थाम लिया. सियासी गलियारों में चर्चा थी कि हुड्डा और कौशिक में टक्कर तो जोरदार रहने वाली है लेकिन हुड्डा आखिर में मैदान मारने में कामयाब हो जाएंगे पर ऐसा नहीं हुआ और रमेश कौशिक ने एक बार फिर से सोनीपत सीट बीजेपी की झोली में डाल दी. वहीं इस हार के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े होने तय हैं.