चंडीगढ़/ हाथरस: भगवान की मूर्ति बनाकर लोगों में सुख, समृद्धि और सम्पन्नता की भावना जगाने वाले लोगों का भविष्य भगवान भरोसे है. यह लोग मेहनत करके दो जून की रोटी जैसे-तैसे कमा पाते हैं. हमेशा जगह बदलने की वजह से इनके बच्चों को भी शिक्षा नहीं मिल पाती है. प्लास्टर ऑफ पेरिस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगने के बाद इनके खाने तक के लाले पड़ जाएंगे. इनका कहना है यह लोग मिट्टी में प्लास्टर ऑफ पेरिस मिलाकर मूर्तियां बनाकर ही गुजर बसर करते हैं, जो इनकी रोजी-रोटी का एकमात्र साधन है.
20 साल से कर रहे ये काम-
मूर्ति बनाने वालों के मुखिया मदन लाल ने बताया कि वह 20 साल से यह काम कर रहे हैं. उनके पूर्वज भी इसी काम को किया करते थे. उन्हीं से यह लोग भी सीख गए. उसने बताया कि वह घूमते-घूमते हाथरस आ गए. यहां मूर्तियां बिकने लगी तो ये लोग यहीं रहने लगे. उन्होंने बताया कि इस काम से परिवार का थोड़ा बहुत गुजारा हो जाता है.
मूर्ति बेचकर चलता है गुजारा-
मूर्ति बनाने वाले श्रावण ने बताया कि छोटे बच्चों को छोड़कर सभी लोग इस काम को करते हैं. उसने बताया कि मांगने पर भी अभी तक सरकार से कोई भी मदद नहीं मिली है. वह यहां मूर्ति बेचकर पेट भर रहे हैं. इससे किसी तरह परिवार का गुजारा चला रहे हैं.
बच्चों की नहीं हो पाती पढ़ाई-
इस काम को करने वाली एक महिला रेखा ने बताया कि परिवार के सभी लोग मिल-जुलकर मूर्ति बनाने का काम करते हैं. उसने बताया कि वह गणेश जी की मूर्ति बना कर बेचते हैं. अपने बच्चों को यह लोग पढ़ाना तो चाहते हैं, लेकिन स्थाई न होने की वजह से उनकी पढ़ाई नहीं हो पाती है.
प्रतिबंधित न हो जाए प्लास्टर ऑफ पेरिस-
यह लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बनाकर अपना और अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं. जिस दिन प्रदेश में प्लास्टर ऑफ पेरिस पूरी तरह से प्रतिबंधित हो जाएगा, उस दिन इनके सामने रोजी-रोटी के लाले पड़ जाएंगे, क्योंकि यह लोग कोई दूसरा और काम जानते भी नहीं है.