चंडीगढ़: हरियाणा में सरकार भले ही विकास के लाख दावे करे. लेकिन आज भी प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं जहां पर गांवों का विकास हुआ ही नहीं. प्रदेश में जब बीजेपी सरकार आई तो यहां के लोगों में उम्मीद जगी कि अब शायद उसकी तस्वीर बदलेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका.
लोग बुनियादी सुविधाओं से हैं महरूम
लोगों का कहना है कि राजनीतिक पार्टियां आती हैं और वादे कर के चली जाती हैं. लेकिन यहां के हालात जस के तस हैं. कहीं पक्के रास्ते नहीं है, कहीं लोगों को पानी की दिक्कत है, कहीं लोग खुले में शौच जाते हैं, कहीं बिजली नहीं है. ऐसी तमाम समस्याएं हैं, जिससे लोग परेशान हैं. लोगों का यही गुस्सा लोकसभा चुनाव के दौरान देखने को मिला.
मतदान बहिष्कार कर लोगों ने जताई नाराजगी
हरियाणा में रविवार को लोकसभा चुनाव के छठे चरण का मतदान हुआ. इस दौरान सरकार से लोगों की नाराजगी साफतौर पर देखने को मिली. कई जिलों में लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया.
इन जगहों पर हुआ मतदान का बहिष्कार:
1-हिसार
- ढाणी तारानगर गांव में 300 मतदाता हैं. यहां पर पक्की सड़क नहीं है. गांव वालों ने कई राजनीतिक दलों से गुहार लगाई लेकिन किसी ने इनकी समस्या सुनी ही नहीं. इसलिए इस गांव के लोगों ने मतदान नहीं किया.
- नलवा हलके के बालावास गांव में जमीनी विवाद के चलते लोगों ने चुनाव का बहिष्कार किया.
2-सिरसा
- जिले के रानियां के गांव कुत्ताबढ़ में घग्गर नदी पर पुल नहीं बनाया जा रहा. ग्रामीणों ने कई बार सरकार से गुहार लगाई लेकिन इनकी भी कोई सुनवाई नहीं हुई. इसलिए इन्होंने भी मतदान का बहिष्कार किया.
- बरवाला गांव सरसाना में ग्रामीणों द्वारा चुनाव का बहिष्कार किए जाने के चलते गांव के सरकारी स्कूल में बने बूथ संख्या 184 में कुल 2 मतदाताओं ने वोट डाले, जिसमें से एक वोट कर्मचारी ने डाला।
3-चरखी-दादरी
- जिले के गांव दातोली के लोग पानी के संकट से जूझ रहे हैं. यहां पर लाख शिकायतों के बाद भी पानी की समस्या खत्म नहीं हुई. इसलिए यहां के लोगों ने भी मतदान का बहिष्कार किया.
4-जींद
- कहने को तो जिले का खटकड़ गांव केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने गोद लिया है. लेकिन यहां लोग बुनियादी सुविधाओं से महरुम हैं. पानी की सप्लाई नहीं मिलने से नाराज लोगों ने मतदान का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया.
5-पंचकूला
- पंचकूला नगर निगम में आने वाले गुमथला गांव में लोगों ने लोकसभा चुनाव में एक भी वोट नहीं डाला. कारण ये रहा कि गांव वासियों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिली. जिस वजह से गांव वालों ने पूर्ण रूप से लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया.