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क्यों मनाई जाती है बकरा ईद? जानिए क्या है कुर्बानी की असली कहानी

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Published : Jul 20, 2021, 9:31 PM IST

Updated : Jul 20, 2021, 10:44 PM IST

21 जुलाई को बकरा ईद यानि ईद-उल-अजहा(Eid ul adha 2021) का त्योहार मनाया जाएगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुस्लिमों के सबसे बड़े त्योहारों में से एक इस त्योहार की शुरूआत कैसे हुई और इस दिन दी जाने वाली कुर्बानी के पीछे की वजह क्या है.

eid ul adha 2021
eid ul adha 2021

चंडीगढ़ः 21 जुलाई को बकरा ईद यानि ईद-उल-अजहा(Eid ul adha 2021) का त्योहार देशभर में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. हालांकि कोरोना के इस मुश्किल वक्त में सभी त्योहारों का रंग फीका हुआ है, लेकिन फिर भी लोग कोरोना के बीच कल पूरी सावधानी से ये त्योहार मनाएंगे. हरियाणा के लिए भी बकरा ईद काफी अहमियत रखता है क्योंकि नूंह जिले में बड़ी संख्या में मुस्लिम रहते हैं जो इस त्योहार को मनाते हैं. इसके अलावा फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी काफी संख्या में लोग ये त्योहार मनाते हैं.

रमजान का महीना खत्म होने के 70 दिन बाद बकरा ईद का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन मुसलमान सुबह ईद की नमाज पढ़ते हैं, और जानवर की कुर्बानी देते हैं. कुर्बानी के बाद जानवर के गोश्त को 3 हिस्सों में बांटा जाता है, पहला हिस्सा गरीबों में बांटा जाता है, दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों में बांटा जाता है और तीसरा हिस्सा अपने पास रखा जाता है. ईद हर देश में अलग दिन मनाई जाती है. जैसे भारत से एक दिन पहले सऊदी अरब में ईद मनाई जाती है.

eid ul adha 2021
बकरा ले जाते बच्चे (फाइल फोटो)

चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर कुर्बानी क्यों दी जाती है. दरअसल इस्लामिक मान्यता के मुताबिक हजरत इस्माइल को इस दिन खुदा ने हुक्म दिया था कि अपनी किसी प्रिय चीज की कुर्बानी दो. हजरत इस्माइल अपने बेटे हजरत इब्राहिम से सबसे ज्यादा प्यार करते थे. लिहाजा उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया.

eid ul adha 2021
बाजार में सजे-धजे बकरे (फाइल फोटो)

हजरत इस्माइल अपने बेटे हजरत इब्राहिम की कुर्बानी देने के लिए जंगल में ले गए और एक वक्त में वो घबराने लगे, लेकिन तब हजरत इब्राहिम ने कहा कि आप अल्लाह का हुक्म पूरा कीजिए. इसके बाद जैसे ही हजरत इस्माइल ने हजरत इब्राहिम के गले पर छुरी चलाई तो अल्लाह ने उन्हें बचा लिया, और उन्हें जीवनदान दे दिया. हजरत इस्माइल की जगह उस वक्त एक दुंबे की गर्दन कट गई थी. तभी से इस्लाम में कुर्बानी दी जाती है, और बकरा ईद का त्योहार मनाया जाता है.

eid ul adha 2021
बाजार में बकरों की बिक्री (फाइल फोटो)

आपको यहां ये बता दें कि हजरत इब्राहिम इस्लाम में एक पैगंबर हुए हैं. दरअसल इस्लाम में कई सारे पैगंबर आये हैं, उन्हीं में से एक हजरत इब्राहिम भी थे. उन्हीं के जमाने में कुर्बानी शुरू हुई. हकीकत में तो ये त्योहार अल्लाह की राह में अपना सबकुछ कुर्बान करने का संदेश देता है.

ये भी पढ़ेंः तीसरी लहर से पहले बैखौफ ईद की तैयारियों में जुटे लोग, ना मास्क और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग

चंडीगढ़ः 21 जुलाई को बकरा ईद यानि ईद-उल-अजहा(Eid ul adha 2021) का त्योहार देशभर में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. हालांकि कोरोना के इस मुश्किल वक्त में सभी त्योहारों का रंग फीका हुआ है, लेकिन फिर भी लोग कोरोना के बीच कल पूरी सावधानी से ये त्योहार मनाएंगे. हरियाणा के लिए भी बकरा ईद काफी अहमियत रखता है क्योंकि नूंह जिले में बड़ी संख्या में मुस्लिम रहते हैं जो इस त्योहार को मनाते हैं. इसके अलावा फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी काफी संख्या में लोग ये त्योहार मनाते हैं.

रमजान का महीना खत्म होने के 70 दिन बाद बकरा ईद का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन मुसलमान सुबह ईद की नमाज पढ़ते हैं, और जानवर की कुर्बानी देते हैं. कुर्बानी के बाद जानवर के गोश्त को 3 हिस्सों में बांटा जाता है, पहला हिस्सा गरीबों में बांटा जाता है, दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों में बांटा जाता है और तीसरा हिस्सा अपने पास रखा जाता है. ईद हर देश में अलग दिन मनाई जाती है. जैसे भारत से एक दिन पहले सऊदी अरब में ईद मनाई जाती है.

eid ul adha 2021
बकरा ले जाते बच्चे (फाइल फोटो)

चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर कुर्बानी क्यों दी जाती है. दरअसल इस्लामिक मान्यता के मुताबिक हजरत इस्माइल को इस दिन खुदा ने हुक्म दिया था कि अपनी किसी प्रिय चीज की कुर्बानी दो. हजरत इस्माइल अपने बेटे हजरत इब्राहिम से सबसे ज्यादा प्यार करते थे. लिहाजा उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया.

eid ul adha 2021
बाजार में सजे-धजे बकरे (फाइल फोटो)

हजरत इस्माइल अपने बेटे हजरत इब्राहिम की कुर्बानी देने के लिए जंगल में ले गए और एक वक्त में वो घबराने लगे, लेकिन तब हजरत इब्राहिम ने कहा कि आप अल्लाह का हुक्म पूरा कीजिए. इसके बाद जैसे ही हजरत इस्माइल ने हजरत इब्राहिम के गले पर छुरी चलाई तो अल्लाह ने उन्हें बचा लिया, और उन्हें जीवनदान दे दिया. हजरत इस्माइल की जगह उस वक्त एक दुंबे की गर्दन कट गई थी. तभी से इस्लाम में कुर्बानी दी जाती है, और बकरा ईद का त्योहार मनाया जाता है.

eid ul adha 2021
बाजार में बकरों की बिक्री (फाइल फोटो)

आपको यहां ये बता दें कि हजरत इब्राहिम इस्लाम में एक पैगंबर हुए हैं. दरअसल इस्लाम में कई सारे पैगंबर आये हैं, उन्हीं में से एक हजरत इब्राहिम भी थे. उन्हीं के जमाने में कुर्बानी शुरू हुई. हकीकत में तो ये त्योहार अल्लाह की राह में अपना सबकुछ कुर्बान करने का संदेश देता है.

ये भी पढ़ेंः तीसरी लहर से पहले बैखौफ ईद की तैयारियों में जुटे लोग, ना मास्क और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग

Last Updated : Jul 20, 2021, 10:44 PM IST
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