चंडीगढ़: पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस पार्टी लगातार बदलाव के दौर से गुजर रही है. क्या पंजाब, क्या उत्तराखंड दोनों राज्यों में पार्टी ने प्रदेश प्रमुखों के चेहरे बदलने के साथ-साथ कुछ नया करने के संकेत दिए हैं. वहीं हिमाचल में इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं. वहां भी पार्टी में बदलाव को लेकर मंथन लगातार जारी है. ऐसे हालातों में ये कयास लगाये जा रहे हैं कि अब हरियाणा में भी जल्द कांग्रेस पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का चेहरा बदल सकती है.
जल्द मिलेगा हरियाणा कांग्रेस को नया अध्यक्ष!- सूत्रों के मुताबिक हरियाणा में पार्टी अध्यक्ष का चेहरा बदलने के लिए तैयार है. दरअसल कुछ दिनों पहले इस बात की खबरें मीडिया में आई थी कि वर्तमान अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने पार्टी हाईकमान से मुलाकात कर अध्यक्ष पद छोड़ने की बात की थी. हालांकि इस बात को पार्टी का कोई भी नेता औपचारिक तौर पर नहीं कह रहा है. लेकिन वरिष्ठ पत्रकार प्रो. गुरमीत सिंह कहते हैं कि ऐसा हो सकता है क्योंकि जिस तरह नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के रहते हुए पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर संगठन का विस्तार नहीं कर पाए थे, उसी तरह कुमारी सैलजा (Bhupinder Hooda and Kumari Selja dispute) भी इस काम को अंजाम नहीं दे पाई. साथ ही ज्यादातर विधायक हुड्डा के साथ हैं. वे पार्टी अध्यक्ष के कार्यक्रमों में भी दिखाई नहीं देते. ऐसे में स्वाभाविक है कि वे खुद को इस पद पर असहज महसूस कर रहीं होंगी.
अध्यक्ष पद की दौड़ में कौन आगे? जहां तक पार्टी के नए अध्यक्ष की दौड़ की बात है तो सूत्रों के मुताबिक इसमें सबसे पहला नाम पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का चल रहा है. इसके साथ ही जिन नामों की चर्चा है उनमें किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई और रणदीप सुरजेवाला शामिल हैं. इसको लेकर प्रो. गुरमीत सिंह कहते हैं कि भले ही कई नामों पर पार्टी में मंथन हो रहा हो लेकिन हुड्डा का तोड़ अभी पार्टी के पास नहीं है. क्योंकि हुड्डा एक जन नेता की पहचान रखते हैं इसलिए उनको नजर अंदाज कर पाना पार्टी के लिए मुश्किल है.
क्या हुड्डा छोड़ेंगे नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी? पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा अभी हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं. अगर वे अध्यक्ष बनते हैं तो उन्हें एक व्यक्ति. एक पोस्ट के तहत नेता प्रतिपक्ष की भूमिका को छोड़ना पड़ेगा. क्या वे इसके लिए राजी होंगे. इस पर वरिष्ठ पत्रकार प्रो. गुरमीत सिंह कहते हैं कि पार्टी में वैसे तो अध्यक्ष का पद बड़ा होता है. इसके साथ ही वह संगठन से लेकर टिकट वितरण तक में अहम रोल अदा करता है. अगर हुड्डा पार्टी अध्यक्ष बनते हैं तो वे सहजता से अपने लोगों को पार्टी के संगठन के साथ-साथ आगामी चुनावों में मैदान में अपनी जिम्मेदारी पर उतार सकते हैं. लेकिन वे खुद इसके लिए तैयार होंगे यह देखना दिलचस्प रहेगा.
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जाट नॉन जाट का बैलेंस बनाएगी पार्टी- सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी में इस बात को लेकर भी चर्चा हो रही है कि अगर उन्होंने किसी जाट नेता को पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी तो नॉन जाट को नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है. अगर नॉन जाट अध्यक्ष बना तो नेता प्रतिपक्ष की भूमिका जाट नेता के पास ही रहेगी. इस बात पर प्रो गुरमीत सिंह कहते हैं कि सभी पार्टियां आज के दौर में जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर ही पार्टी प्रमुखों की तैनाती करती है. वहीं हरियाणा की बात करें तो इस बैलेंस को बीजेपी ने भी बना रखा है. ऐसे में कांग्रेस भी इस बात को दरकिनार नहीं कर सकती.
अगर हुड्डा बने अध्यक्ष तो मिलेगा नया नेता प्रतिपक्ष- अगर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा अध्यक्ष बनते हैं तो राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी और गीता भूक्कल का नाम सबसे आगे है. कुलदीप बिश्नोई नॉन जाट हैं और गीता भूक्कल भी. इसके साथ ही गीता भूक्कल हुड्डा कैंप की नेता भी हैं. ऐसे में हुड्डा के अध्यक्ष बनने से इन दोनों में से पार्टी किसी एक को यह जिम्मेदारी दे सकती है. सूत्रों के मुताबिक किरण चौधरी और कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हाईकमान सोनिया गांधी से भी मुलाकात हो चुकी है. यह बात इस ओर संकेत करती है कि इनमें से किसी एक को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाने के लिए पार्टी आगे कर सकती है.
क्या दीपेंद्र हुड्डा को आगे करेगी कांग्रेस- सूत्र बताते हैं कि नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने बेटे राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा का नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे कर रहे हैं. लेकिन पार्टी हाईकमान इसको लेकर असमंजस में है. गुरमीत सिंह कहते हैं कि पार्टी हाईकमान ऐसा नहीं करेगा, और अगर ऐसा होता है तो फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष की भूमिका से हटना पड़ेगा. इसको लेकर फैसला लेना उनके लिए भी आसान नहीं होगा. साथ ही एक ही परिवार का अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष पार्टी को भी दबाव में ले आएगा. इसलिए इसकी संभावना तभी बनेगी जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी से खुद को अलग करने के लिए तैयार होते हैं.
राज्यसभा जाएंगी कुमारी सैलजा? सूत्रों के मुताबिक अगर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा अध्यक्ष बनते हैं तो पार्टी कुमारी सैलजा को राज्यसभा भेज सकती हैं. जिसके लिए खुद कुमारी सैलजा भी तैयार दिखाई देती है. क्योंकि इसी साल जून महीने में हरियाणा में दो राज्यसभा सीटें खाली हो रही है. जिसमें से एक पर बीजेपी-जेजेपी प्रत्याशी की जीत तय है, वहीं दूसरी कांग्रेस के खाते में जा सकती है.
बता दें कि पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी बदलाव के दौर से गुजर रही है. इन हालातों में पार्टी के लिए हरियाणा की अनदेखी करना मुश्किल हो रहा है. साथ ही हुड्डा गुट को तरजीह न दिए जाने का असर भी पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव में देख चुकी है. ऐसे में पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अनदेखी नहीं करना चाहती. अब पार्टी उनकी किस सलाह पर काम करती है यह देखना दिलचस्प होगा.