चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल किसान आंदोलन के नाम पर नेताओं का विरोध किए जाने से दुखी हैं. उन्होंने इस संबंध में जनता के नाम खुली चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में सीएम ने कहा है कि हम आंदोलन और उन्माद के फर्क को समझ रहे हैं.
खास बात ये है कि हरियाणा में जगह-जगह बीजेपी और जेजेपी नेताओं का विरोध हो रहा है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल के शनिवार को रोहतक दौरे के समय भी विरोध प्रदर्शन किया गया था.
कृषि कानूनों की आड़ में गठबंधन नेताओं का हो रहा विरोध
मुख्यमंत्री ने जनता के नाम लिखी चिट्ठी में कहा कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा आंदोलन पूरी तरह से राजनीतिक रंग लेता दिख रहा है. ऐसे कई मौके आए, जब आंदोलन के दौरान न केवल आम लोगों को तकलीफ उठानी पड़ी, बल्कि भाजपा व जजपा के वरिष्ठ नेताओं के घेराव की रणनीति को अमलीजामा पहनाया गया.
प्रदेश सरकार विधानसभा में बार-बार कह चुकी है कि उसकी नम्रता को कमजोरी न समझा जाए, लेकिन इसके बाद भी आंदोलनकारी और राजनीतिक विरोधी अपने मंसूबों से बाज नहीं आ रहे हैं. उनका मकसद एक ही है कि सत्तारूढ़ दलों के नेताओं का विरोध किया जाए, ताकि पुलिस कार्रवाई हो और यह आंदोलन शांतिप्रिय न रहकर उग्र रूप धारण कर ले.
किताब सिंह मलिक के गांववालों को लिखी खुली चिट्ठी
हिसार में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और रोहतक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल का विरोध किए जाने के बाद शनिवार को सीएम ने एक खुला पत्र लिखकर आंदोलन और उन्माद में फर्क समझाया है. मुख्यमंत्री ने यह चिट्ठी सोनीपत जिले के बरौदा हलके के गांव आंवलीवासियों के नाम लिखी है. गोहाना से दो बार विधायक रहे स्व. किताब सिंह मलिक के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाने की पीड़ा इस पत्र में साफ झलक रही है.
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